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धमतरी: आदिवासी समाज के विरोध के बीच बदला गया रथ का रूट, इंतजार करते रहे कांग्रेसी - राम वन गमन परिपथ योजना

आदिवासी समाज राम वन गमन रथयात्रा का विरोध कर रहा है. जिसे देखते हुए बुधवार को सिहावा पहुंचने वाले रथ का रूट ही बदल दिया गया. जिससे सिहावा में रथ के स्वागत के लिए तैयार खड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मायूसी दिखी.

Route of Ram Van Gaman rathyatra changed
राम वन गमन रथयात्रा का रूट बदला
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Published : Dec 17, 2020, 3:53 AM IST

Updated : Dec 17, 2020, 8:58 AM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ यात्रा और बाइक रैली दक्षिण के रामाराम से निकलकर आगे बढ़ रही है. चूंकि भगवान श्री राम का आगमन धमतरी जिले के सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा क्षेत्र में भी हुआ था, लिहाजा बाइक रैली और रथ को यहां भी पहुंचना था, लेकिन कांकेर में आदिवासियों के विरोध के चलते ऐन वक्त पर यात्रा का रूट बदल दिया गया. ये यात्रा नेशनल हाईवे से धमतरी जिले पहुंची. जिससे पहले से स्वागत के लिए तैयार खड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित श्रद्धालुओं में मायूसी नजर आई.

राम वन गमन रथयात्रा का रूट बदला

दरअसल जिले में राम वन गमन पथ पर विराट बाइक रैली और पर्यटन रथयात्रा का आयोजन 16 दिसंबर को किया गया था. यह यात्रा जिले की नगरी के बांसपानी से शुरू होकर मगरलोड के लोमश ऋषि आश्रम पर सम्पन्न होनी थी. इसके लिए प्रशासन ने तमाम तैयारियां और व्यवस्था कर रखी थी. वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन के साथ जिले के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता भी जुटे हुए थे.

पढ़ें: भारी विरोध के बीच राम वन गमन पथ यात्रा पहुंची धमतरी, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद हुए शामिल

घंटों इंतजार करते रहे कांग्रेसी

इधर इस यात्रा के विरोध में आदिवासी समाज के लोग अलग-अलग स्थानों पर विरोध की तैयारी भी कर रहे थे. जैसे ही कांकेर में इसका विरोध शुरू हुआ, उसके बाद यात्रा मार्ग ही बदल दिया गया, जबकि सिहावा क्षेत्र में कार्यक्रम के लिए पहले तय स्थान बांसपानी में न बाइक रैली पहुंची और न रथ. घंटों इंतजार के बाद रथ नहीं पहुंचा, तो स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकालकर औपचारिकता निभाई.

'आदिवासियों की मिट्टी वापस करें'

सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव का कहना है कि आदिवासी समाज रथ का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि मिट्टी ले जाने का विरोध कर रहे थे. विधायक ने कहा कि वे खुद स्वागत करने की तैयारी में थे. वहीं आदिवासी प्रमुखों का कहना है कि हमारा क्षेत्र ट्रैवल में आता है, कोई भी देवी-देवताओं की मिट्टी गायता, पुजारी, ग्राम पटेल की अनुमति के बिना नहीं उठा सकते. बगैर अनुमति के मिट्टी उठाया गया है, इसलिए आदिवासी समाज इसका विरोध कर रहा है. यदि मिट्टी उठाया गया है, तो वे उसे आदिवासियों को वापस कर दें.

धमतरी: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ यात्रा और बाइक रैली दक्षिण के रामाराम से निकलकर आगे बढ़ रही है. चूंकि भगवान श्री राम का आगमन धमतरी जिले के सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा क्षेत्र में भी हुआ था, लिहाजा बाइक रैली और रथ को यहां भी पहुंचना था, लेकिन कांकेर में आदिवासियों के विरोध के चलते ऐन वक्त पर यात्रा का रूट बदल दिया गया. ये यात्रा नेशनल हाईवे से धमतरी जिले पहुंची. जिससे पहले से स्वागत के लिए तैयार खड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित श्रद्धालुओं में मायूसी नजर आई.

राम वन गमन रथयात्रा का रूट बदला

दरअसल जिले में राम वन गमन पथ पर विराट बाइक रैली और पर्यटन रथयात्रा का आयोजन 16 दिसंबर को किया गया था. यह यात्रा जिले की नगरी के बांसपानी से शुरू होकर मगरलोड के लोमश ऋषि आश्रम पर सम्पन्न होनी थी. इसके लिए प्रशासन ने तमाम तैयारियां और व्यवस्था कर रखी थी. वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन के साथ जिले के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता भी जुटे हुए थे.

पढ़ें: भारी विरोध के बीच राम वन गमन पथ यात्रा पहुंची धमतरी, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद हुए शामिल

घंटों इंतजार करते रहे कांग्रेसी

इधर इस यात्रा के विरोध में आदिवासी समाज के लोग अलग-अलग स्थानों पर विरोध की तैयारी भी कर रहे थे. जैसे ही कांकेर में इसका विरोध शुरू हुआ, उसके बाद यात्रा मार्ग ही बदल दिया गया, जबकि सिहावा क्षेत्र में कार्यक्रम के लिए पहले तय स्थान बांसपानी में न बाइक रैली पहुंची और न रथ. घंटों इंतजार के बाद रथ नहीं पहुंचा, तो स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकालकर औपचारिकता निभाई.

'आदिवासियों की मिट्टी वापस करें'

सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव का कहना है कि आदिवासी समाज रथ का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि मिट्टी ले जाने का विरोध कर रहे थे. विधायक ने कहा कि वे खुद स्वागत करने की तैयारी में थे. वहीं आदिवासी प्रमुखों का कहना है कि हमारा क्षेत्र ट्रैवल में आता है, कोई भी देवी-देवताओं की मिट्टी गायता, पुजारी, ग्राम पटेल की अनुमति के बिना नहीं उठा सकते. बगैर अनुमति के मिट्टी उठाया गया है, इसलिए आदिवासी समाज इसका विरोध कर रहा है. यदि मिट्टी उठाया गया है, तो वे उसे आदिवासियों को वापस कर दें.

Last Updated : Dec 17, 2020, 8:58 AM IST
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