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धमतरी का एक ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण दहन, जानिए वजह - तेलिन सत्ती गांव

Tallinn Satti village of Dhamtari धमतरी में एक गांव ऐसा भी है, जहां दशहरा मनाई तो जाती है. लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता है. तेलिन सत्ती गांव में बारहवीं सदी से यह परंपरा कायम है. इसके पीछे एक महिला के सती होने की कहानी है. यहां लोग सभी त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन किसी भी चीज का दहन नहीं करते.

Ravana is not burnt at Tallinn Satti village
धमतरी का एक ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण दहन
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Published : Oct 5, 2022, 7:29 PM IST

Updated : Oct 6, 2022, 1:10 PM IST

धमतरी: भारत को उत्सवों का देश कहा जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा को पूरा देश धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान रावण वध की नाट्य भी प्रस्तुत किया जाता है. लेकिन धमतरी के तेलीन सत्ती गांव में रावण दहन नहीं किया जाता है. इस गांव में किसी भी त्यौहार में कुछ भी दहन नहीं किया जाता. चाहे वह होलिका दहन हो या फिर दशहरा में रावण दहन या चिता का दहन. यहां त्यौहारों में किसी भी प्रकार की अग्नि नहीं दी जाती. ये प्रथा 12वीं शताब्दी से चली आ रही है. Tallinn Satti village of Dhamtari

धमतरी का एक ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण दहन

क्या है मान्यता के पीछे की कहानी: गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि "इस प्रथा को तोड़कर सत्ती माता को नाराज करने वालों ने या तो संकट झेला है या उनकी जान ही चली गई. इसके पीछे की वजह मान्यता को बताया जाता है. 12 वीं शताब्दी में गांव का एक व्यक्ति तालाब का पानी रोकने खुद ही मिट्टी के बांध के साथ सो गया और उसकी मौत हो गई. इसकी खबर मिलते ही उसकी पत्नी सती हो गई. तबसे ही वो पूजनीय हो गई. गांव का नाम भी उसी सती के नाम पर तेलिन सती रखा गया है.

यह भी पढ़ें: Kawardha Shahi Dussehra 2022 : कवर्धा का शाही दशहरा , राजा योगेश्वर राज रथ से करेंगे नगर भ्रमण

इस गांव में चिता जलाना भी है मना: इस गांव में सिर्फ होली ही नहीं बल्कि रावण दहन और चिता जलाना भी मना है. किसी की मृत्यु होने पर पड़ोसी गांव की सरहद में जाकर चिता जलाई जाती है. इनका मानना है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो, गांव में कोई न कोई विपत्ति आती है. इस दौर में अविश्वसनीय, अकल्पनीय लग सकती है. डिजिटल युग में जीने वाले आज के युवा भी इस प्रथा को अपना चुके हैं. इस गांव में हर शुभ काम तेलिनसती का आशीर्वाद लेने के बाद ही किया जाता है. बुजुर्गों ने इस परम्परा को कायम रखने के लिए सभी को कहा है, जिसे निभाया जा रहा है.

धमतरी: भारत को उत्सवों का देश कहा जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा को पूरा देश धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान रावण वध की नाट्य भी प्रस्तुत किया जाता है. लेकिन धमतरी के तेलीन सत्ती गांव में रावण दहन नहीं किया जाता है. इस गांव में किसी भी त्यौहार में कुछ भी दहन नहीं किया जाता. चाहे वह होलिका दहन हो या फिर दशहरा में रावण दहन या चिता का दहन. यहां त्यौहारों में किसी भी प्रकार की अग्नि नहीं दी जाती. ये प्रथा 12वीं शताब्दी से चली आ रही है. Tallinn Satti village of Dhamtari

धमतरी का एक ऐसा गांव जहां नहीं होता रावण दहन

क्या है मान्यता के पीछे की कहानी: गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि "इस प्रथा को तोड़कर सत्ती माता को नाराज करने वालों ने या तो संकट झेला है या उनकी जान ही चली गई. इसके पीछे की वजह मान्यता को बताया जाता है. 12 वीं शताब्दी में गांव का एक व्यक्ति तालाब का पानी रोकने खुद ही मिट्टी के बांध के साथ सो गया और उसकी मौत हो गई. इसकी खबर मिलते ही उसकी पत्नी सती हो गई. तबसे ही वो पूजनीय हो गई. गांव का नाम भी उसी सती के नाम पर तेलिन सती रखा गया है.

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इस गांव में चिता जलाना भी है मना: इस गांव में सिर्फ होली ही नहीं बल्कि रावण दहन और चिता जलाना भी मना है. किसी की मृत्यु होने पर पड़ोसी गांव की सरहद में जाकर चिता जलाई जाती है. इनका मानना है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो, गांव में कोई न कोई विपत्ति आती है. इस दौर में अविश्वसनीय, अकल्पनीय लग सकती है. डिजिटल युग में जीने वाले आज के युवा भी इस प्रथा को अपना चुके हैं. इस गांव में हर शुभ काम तेलिनसती का आशीर्वाद लेने के बाद ही किया जाता है. बुजुर्गों ने इस परम्परा को कायम रखने के लिए सभी को कहा है, जिसे निभाया जा रहा है.

Last Updated : Oct 6, 2022, 1:10 PM IST
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