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'अंधेरे' में बिहान योजना, रिक्शे खराब और लाइसेंस नहीं, कैसे सशक्त हों महिलाएं - रिक्शे खराब

इन दिनों इन्हीं महिलाओं को ई रिक्शा के पार्ट्स खराब होने पर भटकना पड़ रहा है, तो वहीं महिलाओं को लर्निंग लाइसेंस भी नहीं दिया जा सका है. ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से नहीं की है. वे कहती हैं कि उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है, जबकि अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं.

ई रिक्शा
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Published : Mar 27, 2019, 11:36 PM IST

Updated : Mar 28, 2019, 12:43 PM IST

धमतरी: बिहान योजना का बुरा हाल है, जिसका खामियाजा यहां की महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल इस योजना के तहत महिलाओं को ई रिक्शा चलाने की न सिर्फ ट्रेनिंग दी गई थी बल्कि एक बेहतर और समृद्ध भविष्य बनाने का सपना भी दिखाया गया था. लेकिन सब का सब धरा रह गया है.

इन दिनों इन्हीं महिलाओं को ई रिक्शा के पार्ट्स खराब होने पर भटकना पड़ रहा है, तो वहीं महिलाओं को लर्निंग लाइसेंस भी नहीं दिया जा सका है. ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से नहीं की है. वे कहती हैं कि उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है, जबकि अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं.

ई रिक्शा

क्या है बिहान योजना
बिहान योजना गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की योजना है. इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर डेढ़ लाख से ज्यादा की सब्सिडी हर रिक्शे पर देती है. साल 2018 की शुरुआत में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना आई थी और 80 फीसदी सब्सिडी के साथ इन महिलाओं को ई रिक्शा दिया जाना तय हुआ. धमतरी जिले में विभिन्न इलाकों में से तकरीबन 100 से अधिक महिलाओं को इसके चुना गया, जिन्हें मुक्त आवासीय ट्रेनिंग भी दी गई थी. इनमें से अधिकांश महिलाओं को ई-रिक्शा दिया गया.

कैसे पालें परिवार ?
इस बीच समाज की परंपराओं को तोड़ बाहर आकर जहां ये महिलाएं ई-रिक्शा का हैंडिल थाम यात्रियों को लाने-ले जाने में अहम भूमिका निभा रही थीं, वहीं परिवार का भरण पोषण में पति के साथ बराबर की सहभागी भी बनीं. लेकिन इन दिनों महिलाओं के पास रोजी रोटी की समस्या आन खड़ी है. जिन कंपनियों से यह रिक्शा लिया गया था, उन कंपनियों के यहां एक भी मैकेनिक नहीं है और न ही खराब होने पर सामान उपलब्ध हो सकता है. बल्कि इसे सुधारने के लिए उन्हें रायपुर जाना पड़ता है इसी वजह से ई-रिक्शा खराब होकर पड़े हैं.

उठाना पड़ रहा है नुकसान
ऐसे में महिलाओं को मानसिक तनाव के साथ साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है और बैंक से लिया कर्ज भी नहीं पटा पा रहे हैं. इन महिलाओं का कहना है कि पहले शासन ने शोरूम और सर्विस सेंटर खोलने की बात कही थी लेकिन अब तक इस पर पहल नहीं किया जा सका है. जिसकी वजह से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन
हालांकि पहले भी शिकायतों के बाद कलेक्टर में आश्वस्त किया था लेकिन फिलहाल महिला ई-रिक्शा चालकों की समस्याएं दूर होते नहीं दिख रही है. महिलाएं ई रिक्शा में आए दिन हो रहे खराबी और लर्निंग लाइसेंस नहीं होने से परेशान हो रही हैं, तो अब एक बार फिर जिला कलेक्टर जल्द ही समस्या दूर होने का भरोसा दिला रहे हैं.

धमतरी: बिहान योजना का बुरा हाल है, जिसका खामियाजा यहां की महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल इस योजना के तहत महिलाओं को ई रिक्शा चलाने की न सिर्फ ट्रेनिंग दी गई थी बल्कि एक बेहतर और समृद्ध भविष्य बनाने का सपना भी दिखाया गया था. लेकिन सब का सब धरा रह गया है.

इन दिनों इन्हीं महिलाओं को ई रिक्शा के पार्ट्स खराब होने पर भटकना पड़ रहा है, तो वहीं महिलाओं को लर्निंग लाइसेंस भी नहीं दिया जा सका है. ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से नहीं की है. वे कहती हैं कि उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है, जबकि अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं.

ई रिक्शा

क्या है बिहान योजना
बिहान योजना गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की योजना है. इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर डेढ़ लाख से ज्यादा की सब्सिडी हर रिक्शे पर देती है. साल 2018 की शुरुआत में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना आई थी और 80 फीसदी सब्सिडी के साथ इन महिलाओं को ई रिक्शा दिया जाना तय हुआ. धमतरी जिले में विभिन्न इलाकों में से तकरीबन 100 से अधिक महिलाओं को इसके चुना गया, जिन्हें मुक्त आवासीय ट्रेनिंग भी दी गई थी. इनमें से अधिकांश महिलाओं को ई-रिक्शा दिया गया.

कैसे पालें परिवार ?
इस बीच समाज की परंपराओं को तोड़ बाहर आकर जहां ये महिलाएं ई-रिक्शा का हैंडिल थाम यात्रियों को लाने-ले जाने में अहम भूमिका निभा रही थीं, वहीं परिवार का भरण पोषण में पति के साथ बराबर की सहभागी भी बनीं. लेकिन इन दिनों महिलाओं के पास रोजी रोटी की समस्या आन खड़ी है. जिन कंपनियों से यह रिक्शा लिया गया था, उन कंपनियों के यहां एक भी मैकेनिक नहीं है और न ही खराब होने पर सामान उपलब्ध हो सकता है. बल्कि इसे सुधारने के लिए उन्हें रायपुर जाना पड़ता है इसी वजह से ई-रिक्शा खराब होकर पड़े हैं.

उठाना पड़ रहा है नुकसान
ऐसे में महिलाओं को मानसिक तनाव के साथ साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है और बैंक से लिया कर्ज भी नहीं पटा पा रहे हैं. इन महिलाओं का कहना है कि पहले शासन ने शोरूम और सर्विस सेंटर खोलने की बात कही थी लेकिन अब तक इस पर पहल नहीं किया जा सका है. जिसकी वजह से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन
हालांकि पहले भी शिकायतों के बाद कलेक्टर में आश्वस्त किया था लेकिन फिलहाल महिला ई-रिक्शा चालकों की समस्याएं दूर होते नहीं दिख रही है. महिलाएं ई रिक्शा में आए दिन हो रहे खराबी और लर्निंग लाइसेंस नहीं होने से परेशान हो रही हैं, तो अब एक बार फिर जिला कलेक्टर जल्द ही समस्या दूर होने का भरोसा दिला रहे हैं.

Intro:धमतरी में बिहान योजना का बुरा हाल है जिसका खामियाजा यहां की महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है.दरअसल इस योजना के तहत महिलाओं को ई रिक्शा चलाने की न सिर्फ ट्रेनिंग दी गई थी बल्कि एक बेहत्तर और समृद्धि भविष्य बनाने का सपना भी दिखाया गया था.लेकिन इन दिनों इन्हीं महिलाओं को ई रिक्शा के पार्ट्स खराब होने पर भटकना पड़ रहा है तो वही महिलाओं को लर्निंग लाइसेंस भी नहीं दिया जा सका है.ऐसा नही है कि महिलाओं ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से नही किया है उनका कहना है कि प्रशासन उनकी सुन रही है.इधर अब प्रशासन महिलाओं की समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिला रहे है.


Body:दरअसल बिहान योजना गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से खुदमुख्तार बनाने की योजना है.इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर डेढ़ लाख से ज्यादा की सब्सिडी हर रिक्शे पर देती है.साल 2018 की शुरुआत में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना आई थी और 80 फ़ीसदी सब्सिडी के साथ इन महिलाओं को ई रिक्शा दिया जाना तय हुआ.धमतरी जिले में विभिन्न इलाकों में से तकरीबन 100 से अधिक महिलाओं को इसके चुना गया जिन्हें मुक्त आवासीय ट्रेनिंग भी दी गई थी जिनमें से अधिकांश महिलाओं को ई-रिक्शा दिया गया.

इस बीच समाज की परंपराओं को तोड़ बाहर आकर यह महिलाएं दोनों हाथों में ई-रिक्शा का हैंडल थामें यात्रियों को लाने ले जाने में अपनी अहम निभाई.साथ ही परिवार का भरण पोषण में पति के साथ बराबर की सहभागी भी बने.लेकिन इन दिनों महिलाओं के पास रोजी रोटी की समस्या आन खड़ी है क्योंकि जिन कंपनियों से यह रिक्शा दिलाया गया था उन कंपनियों के यहां एक भी मैकेनिक नहीं है और न ही खराब होने पर सामान उपलब्ध हो सकता है.बल्कि इसे सुधारने के लिए उन्हें रायपुर जाना पड़ता है यहां तक कई ई रिक्शा खराब होने के कारण बेकार पड़े है.
ऐसे में उन्हें मानसिक तनाव के साथ साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है और बैंक से लिया कर्ज भी नहीं पटा पा रहे है.इन महिलाओं का कहना है कि पहले शासन ने शोरूम और सर्विस सेंटर खोलने की बात कही थी लेकिन अब तक इस पर पहल नहीं किया जा सका है जिसकी वजह से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बाईट....ललिता साहू,हितग्राही
बाईट....सरस्वती धृतलहरे

हालांकि पहले भी शिकायतों के बाद कलेक्टर में आश्वस्त किया था लेकिन फिलहाल महिला ई-रिक्शा चालकों की समस्याएं दूर होते नहीं दिख रही है.महिलाएं ई रिक्शा में आए दिन हो रहे खराबी और लर्निंग लाइसेंस नही होने से परेशान हो रही है तो अब एक बार फिर जिला कलेक्टर जल्द ही समस्या दूर होने का भरोसा दिला रहे है.

बाईट....रजत बंसल,कलेक्टर धमतरी






Conclusion:बहरहाल हर बार शिकायतों के बाद प्रशासन के पास वही रटा रटाया जवाब सुनने को मिलता है कि समस्याएं दूर कर ली जाएगी लेकिन कब इसका जवाब उसके पास नहीं मिलता.

रामेश्वर मरकाम धमतरी
Last Updated : Mar 28, 2019, 12:43 PM IST
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