धमतरी: जिले के निजी विद्यालय संचालक कल्याण संघ ने स्कूल खोलने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. संघ के सदस्यों ने 1 जुलाई से ऑफलाइन पढ़ाई प्रारंभ कराने की अनुमति मांगी है. इसके साथ ही आरटीई का शुल्क विद्यालयों को जारी करने की मांग की है. संघ ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन दिया.
गंभीर संकट से जूझ रहे प्राइवेट स्कूल
निजी विद्यालय संचालक कल्याण संघ ने बताया कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही प्रदेश के प्राइवेट स्कूल गंभीर संकट से जूझ रहे हैं. संक्रमण काल में प्रदेशभर के 500 से 700 निजी स्कूल बंद हो रहे हैं. जिसके कारण विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हुई है. संघ ने कहा कि राज्य सरकार के प्रभावी नीतियों के कारण कोरोना के संक्रमण में कमी आई है. प्रदेश में अब लगभग अनलॉक की स्थिति है, जिसे देखते हुए शासन-प्रशासन से 1 जुलाई से स्कूल खोलने की मांग की गई है.
स्कूल खोलने की मांग
उन्होंने कहा कि निजी विद्यालय संचालक कल्याण संघ चाहता है कि अब छात्रों के लिए स्कूल खोल दिए जाएं. जिससे छात्रों की पढ़ाई सूचारू रूप से शुरू हो सके. उनका कहना है कि पिछले सत्र में परिस्थितियां विपरीत होते हुए भी शिक्षा (पढ़ाई) को रुकने नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि स्कूल ना खुलने से केवल 40 फीसदी पालकों ने ही ट्यूशन फीस जमा की है. अन्य पालक जिन्होंने शिक्षण शुल्क जमा नहीं किया है, उन्हें शुल्क जमा करने के लिए निवेदन पत्र जारी किया जाना चाहिए.
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आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि देने की मांग
संघ ने वर्ष 2020-21 की आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि प्राइवेट स्कूलों को जल्द दिए जाने की मांग की. उन्होंने बताया कि स्कूल में पिछले 15 महीनों से बसों का संचालन बंद है. जब तक स्कूल बस शुरू ना हो जाए, तब तक सभी स्कूल बसों का रोड टैक्स माफ करने की मांग की. उन्होंने कहा कि बसों की पात्रता अवधि 12 माह से 2 वर्ष आगे बढ़ाई जाए. स्कूल बसों का संचालन बंद है, ऐसे में बैंक और फाइनेंस कंपनियां किस्त जमा करने के लिए दबाव बना रही हैं. बसों की किस्त स्कूल खुल जाने तक स्थगित रखी जाए. इसके साथ ही विभिन्न मांगों को लेकर निजी विद्यालय संचालक कल्याण संघ ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.
जिले में प्राइवेट स्कूलों पर निर्भर हैं 5 हजार परिवार
निजी विद्यालय संचालक कल्याण संघ के अध्यक्ष सुबोध राठी ने कहा कि जिले में करीब 215 निजी स्कूल हैं, जिससे 5 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की रोजी-रोटी चलती है. ऐसे में निजी स्कूल आर्थिक संकट से गुजर रहे है. उन्होंने शासन को इस ओर ध्यान देकर मदद करने की गुहार लगाई है. उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की है कि स्कूल खुलने से प्रबंधकों को थोड़ी राहत मिलेगी.