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unique friend of crows : धमतरी में कौवों का अनोखा दोस्त प्रकाश आडवाणी

धमतरी में एक शख्स पिछले 25 साल से कौवों को भोजन करा रहे (unique friend of crows in dhamtari) हैं. पितृपक्ष के मौके पर हर साल कौवें इनकी छत पर इकट्ठा होते हैं. जहां वे हर रोज इन्हें भोजन कराते हैं. ये क्रम तीन से चार महीने तक चलता रहता है. Dhamtari latest news

धमतरी में कौवों का अनोखा दोस्त प्रकाश आडवाणी
धमतरी में कौवों का अनोखा दोस्त प्रकाश आडवाणी
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Published : Sep 17, 2022, 5:03 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 10:18 PM IST

धमतरी : पशु पक्षी हमारी प्रकृति का हिस्सा है. इंसानों के बीच पशु-पक्षियों का अपना अलग स्थान है. इनके बिना सुंदर प्रकृति की कल्पना नहीं की जा सकती. संसार में हजारों प्रजातियों के जीव जंतु मौजूद हैं. भारत में हर जीव जंतु का अपना अलग महत्व है. पुरातनकाल से लेकर आधुनिक युग तक इनकी उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता. आज भी इंसानों के बीच कई पशु और पक्षी अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं. धमतरी में ऐसे ही एक पक्षी प्रेमी हैं. जो पूरे जिले में कौवों के मित्र (unique friend of crows in Dhamtari ) के तौर पर जाने जाते हैं.यूं तो पितृपक्ष में कौवों का अपना महत्व है.लेकिन इस शख्स के पास साल के चार महीने कौवों के लिए कुछ खास होता है.

धमतरी में कौवों का अनोखा दोस्त प्रकाश आडवाणी

कौन है कौवा प्रेमी : धमतरी के प्रकाश आडवाणी (Prakash Advani) पिछले 25 साल से इसी तरह कौवों को सुबह दाना देते हैं. प्रकाश जब छोटे थे तो उनके माता पिता इसी काम को किया करते थे. तब कौवों के लिए ये जगह उनके दूसरे घर जैसा हो गया. माता-पिता के गुजर जाने के बाद प्रकाश ने जिम्मेदारी संभालते हुए कौवों को खाना देना बंद नहीं किया. आज भी वो हर सुबह कौवों को खाना देने के लिए समय पर छत में चले जाते हैं.


पितृपक्ष में कौवों का महत्व : पितृपक्ष में लोग पंरपरा के मुताबिक अपने पितृों को खुश करने के लिए गाय, कुत्तों और कौवों को भोजन खिलाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इन्हें भोजन कराने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं. लेकिन धमतरी के प्रकाश आडवाणी सिर्फ पितृपक्ष में ही नहीं बल्कि हर रोज कौवों को भोजन करवाकर अपना दायित्व पूरा करते हैं.


कौन है प्रकाश आडवाणी : धमतरी शहर के गणेश चौक में रहने वाले प्रकाश की गोल बाजार में कपड़ों की छोटी सी दुकान है. इससे होने वाली कमाई से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. साथ ही इसी कमाई का एक हिस्सा वो अपने खास दोस्तों पर भी खर्च करते हैं.प्रकाश आडवाणी बताते हैं कि '' हर साल पितृपक्ष में कई कौवें आते हैं. जो दो-तीन महीने रहते हैं, फिर न जाने कहां चले जाते है. उनके पिता पहले इन पक्षियों को रोजाना दाना डालते थे. उनके निधन के बाद भी कौवें लगातार आते रहे और शोर मचाते थे. तब खुद प्रकाश ने उन्हें दाना देना शुरू किया जो आज भी जारी है. लेकिन प्रकाश इन दिनों अपने इन खास दोस्तों के लिए भी काफी चिंतित रहते हैं. उनका मानना है कि प्रदूषण बढ़ने के कारण पक्षी अब शहरों से दूर जाने लगे हैं.'' Dhamtari latest news

धमतरी : पशु पक्षी हमारी प्रकृति का हिस्सा है. इंसानों के बीच पशु-पक्षियों का अपना अलग स्थान है. इनके बिना सुंदर प्रकृति की कल्पना नहीं की जा सकती. संसार में हजारों प्रजातियों के जीव जंतु मौजूद हैं. भारत में हर जीव जंतु का अपना अलग महत्व है. पुरातनकाल से लेकर आधुनिक युग तक इनकी उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता. आज भी इंसानों के बीच कई पशु और पक्षी अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं. धमतरी में ऐसे ही एक पक्षी प्रेमी हैं. जो पूरे जिले में कौवों के मित्र (unique friend of crows in Dhamtari ) के तौर पर जाने जाते हैं.यूं तो पितृपक्ष में कौवों का अपना महत्व है.लेकिन इस शख्स के पास साल के चार महीने कौवों के लिए कुछ खास होता है.

धमतरी में कौवों का अनोखा दोस्त प्रकाश आडवाणी

कौन है कौवा प्रेमी : धमतरी के प्रकाश आडवाणी (Prakash Advani) पिछले 25 साल से इसी तरह कौवों को सुबह दाना देते हैं. प्रकाश जब छोटे थे तो उनके माता पिता इसी काम को किया करते थे. तब कौवों के लिए ये जगह उनके दूसरे घर जैसा हो गया. माता-पिता के गुजर जाने के बाद प्रकाश ने जिम्मेदारी संभालते हुए कौवों को खाना देना बंद नहीं किया. आज भी वो हर सुबह कौवों को खाना देने के लिए समय पर छत में चले जाते हैं.


पितृपक्ष में कौवों का महत्व : पितृपक्ष में लोग पंरपरा के मुताबिक अपने पितृों को खुश करने के लिए गाय, कुत्तों और कौवों को भोजन खिलाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इन्हें भोजन कराने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं. लेकिन धमतरी के प्रकाश आडवाणी सिर्फ पितृपक्ष में ही नहीं बल्कि हर रोज कौवों को भोजन करवाकर अपना दायित्व पूरा करते हैं.


कौन है प्रकाश आडवाणी : धमतरी शहर के गणेश चौक में रहने वाले प्रकाश की गोल बाजार में कपड़ों की छोटी सी दुकान है. इससे होने वाली कमाई से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. साथ ही इसी कमाई का एक हिस्सा वो अपने खास दोस्तों पर भी खर्च करते हैं.प्रकाश आडवाणी बताते हैं कि '' हर साल पितृपक्ष में कई कौवें आते हैं. जो दो-तीन महीने रहते हैं, फिर न जाने कहां चले जाते है. उनके पिता पहले इन पक्षियों को रोजाना दाना डालते थे. उनके निधन के बाद भी कौवें लगातार आते रहे और शोर मचाते थे. तब खुद प्रकाश ने उन्हें दाना देना शुरू किया जो आज भी जारी है. लेकिन प्रकाश इन दिनों अपने इन खास दोस्तों के लिए भी काफी चिंतित रहते हैं. उनका मानना है कि प्रदूषण बढ़ने के कारण पक्षी अब शहरों से दूर जाने लगे हैं.'' Dhamtari latest news

Last Updated : Sep 17, 2022, 10:18 PM IST
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