धमतरी: पेट की भूख मिटाने के लिए लोग तरह-तरह के काम करते हैं, लेकिन भिलाई की गणेश मंडली के बहरूपियों का काम अनोखा है. महाभारत के अर्जुन, दुर्योधन और भीम जैसे पात्रों के वेशभूषा में गणेश मंडली के कलाकार बीते कई वर्षों से अपने कलाकारी के जरिये दक्षिणा ले रहे हैं. ये कलाकार इन दिनों धमतरी शहर में अपना डेरा जमाएं हुए हैं. दक्षिणा लेकर रोजी-रोटी चला रहे हैं.
उम्मीद की किरण: गांव-गांव होने लगी पंडवानी
ये कलाकार भिलाई के चरोदा के रहने वाले हैं. ये कलाकार हर रोज अलग-अलग विभिन्न पात्रों के वेशभूषा में दुकान दुकान पहुंच रहे हैं. अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. कलाकार शुरु के 6 दिनों तक रामायण और महाभारत के भजन प्रस्तुत करते हैं. इसके बाद सातवें दिन दक्षिणा मांगते हैं. बदले में दुकानदार जो भी उन्हें देते हैं. दान स्वरूप स्वीकार कर लेते हैं.
राजस्थान के कलाकार ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा हारमोनियम, रिकार्ड में दर्ज
पूर्वजों ने प्रभुराम को नैया पार कराया था
ये कलाकार केवट जनजाति के हैं. लोगों को मनोरंजन करने का काम वर्षों से करते आ रहे हैं. पूर्वज इस काम को किया करते थे. अब उनकी इस परपंरा को आगे बढ़ा रहे है.इन कलाकारों का मानना है कि उनके पूर्वजों ने प्रभुराम को नैया पार कराया था, इसलिए आज भी वह प्रभुराम की महिमा का बखान कर रहे है.
कलाकार रोजी-रोटी की तलाश में निकले
कोरोना संक्रमण में लाॅकडाउन के कारण गणेश मंडली के कलाकारों को महीनों घर में बैठना पड़ा. इनके कार्यक्रम बंद हो गए. वजह उसका असर उनकी दिनचर्या पर भी पड़ा. कालाकार बताते है कि खाली समय का सदुपयोग संगीत का रियाज करने में बिताए. इसके आलावा बच्चों को संगीत सिखाने में लगे रहे. अब ये कलाकार रोजी-रोटी की तलाश में फिर से निकल पड़े है इन्हे उम्मीद है कि लोगों के सहयोग से उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आएगी.
भगवान के वेशभूषा में दिख रहे कलाकार
शहरवासी बताते हैं कि ये कालाकार पिछले कई वर्षों से शहर में आ रहे हैं. भगवान के विभिन्न वेशभूषा में दुकानों में आते है.किसी को तंग भी नही करते है और आखिरी दिन ही दक्षिणा मांगते है और दुकानदार भी खुशी खुशी उन्हे दक्षिणा देतें है.
अलग-अलग वेशभूषा में शहर का भ्रमण कर रहे कलाकार
बहरहाल हर साल की तरह ये कलाकार तबला हारमोनियम लेकर बिना किसी संकोच और अलग-अलग वेशभूषा में शहर का भ्रमण करते है भले ही कुछ लोग इन्हे देखकर हंस देते है तो लेकिन ये दुकानदानों का निर्भर करता है कि वे इन्हे कैसे विदा करें.