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मौत से हार रहे बसंत को 'पेंसिल' ने किया जिंदा - मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है

एक हादसे ने बसंत को दिव्यांग बना दिया. लेकिन उनकी बनाई पेटिंग्स ने उनकी बेरंग जिंदगी में रंग भर दिए. आज बसंत युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. इस सफर में बंसत के परिवार ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया. सच है अगर मन में सच्ची लगन हो तो मंजिल पाने से कोई रोक नहीं सकता.

मौत से हार रहे बसंत को 'पेंसिल' ने किया जिंदा
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Published : Jun 3, 2019, 9:51 PM IST

धमतरी: मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है, कवि दिनकर की ये पंक्तियां धमतरी के कुरुद में रहने वाले बसंत साहू के लिए ही बनी हैं. बसंत ने पेंसिल से न सिर्फ अपनी जिंदगी के पतझड़ में बहार ला दी बल्कि अपनी नई तकदीर भी लिख दी.

मौत से हार रहे बसंत को 'पेंसिल' ने किया जिंदा

एक हादसे ने बसंत को दिव्यांग बना दिया. हर रोज मौत का इंतजार करते-करते बसंत को पेंटिंग ने नई जिंदगी दे दी. एक वक्त था जब उन्हें अपनी जिंदगी किसी श्राप से कम नहीं लगती थी, हर वक्त यही सोचते थे कि मुक्ति मिल जाए. लेकिन उनकी बनाई पेटिंग्स ने उनकी बेरंग जिंदगी में रंग भर दिए.

हादसे ने बना दिया दिव्यांग
21 साल पहले बसंत साहू इलेक्ट्रानिक्स का काम करता था. इसी सिलसिले में वो पास के गांव गए हुए हैं. वापस घर लौटते वक्त ट्रक ने उसे ठोकर मार दी. इस हादसे के बाद उसके दोनों पैर और एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया. बसंत का सारा दिन बिस्तर पर गुजरने लगा, इसके बाद मानो उसे सिर्फ मौत का इंतजार था.

दुनिया में धूम मचा रही है पेंटिग्स
लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था. बिस्तर पर पड़े-पड़े बंसत रोज पेंसिल पकड़ कर पेंटिंग बनाने की कोशिश करने लगे. शुरुआत में थाड़ी दिक्कतें हुई लेकिन वो कहते हैं ना कि 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'. बसंत को भी कामयाबी मिली और कुछ यूं मिली जैसे उसके हाथ में जादू हो. उसकी बनाई पेटिंग आज देश-दुनिया में धूम मचा रही हैं.

एक बेजान पेंसिल ने बसंत साहू के शरीर में जान फूंक दी. आज इन्हीं पेटिंग्स के बदौलत बंसत को कई सम्मान भी मिल चुके हैं.

एक ख्वाहिश ऐसी भी
बसंत साहू की एक ही ख्वाहिश है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चो को पेंटिंग की कला सिखा सकें. साथ ही बसंत का कहना है कि हमारे राज्य में कला के कई धनी हैं जिन्हें एक मंच की जरूरत है. बसंत का शासन से निवेदन है कि ऐसे कला साधकों को आगे आने का मौका जरूर दें.

आज बसंत युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. इस सफर में बंसत के परिवार ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया. सच है अगर मन में सच्ची लगन हो तो मंजिल पाने से कोई रोक नहीं सकता.

धमतरी: मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है, कवि दिनकर की ये पंक्तियां धमतरी के कुरुद में रहने वाले बसंत साहू के लिए ही बनी हैं. बसंत ने पेंसिल से न सिर्फ अपनी जिंदगी के पतझड़ में बहार ला दी बल्कि अपनी नई तकदीर भी लिख दी.

मौत से हार रहे बसंत को 'पेंसिल' ने किया जिंदा

एक हादसे ने बसंत को दिव्यांग बना दिया. हर रोज मौत का इंतजार करते-करते बसंत को पेंटिंग ने नई जिंदगी दे दी. एक वक्त था जब उन्हें अपनी जिंदगी किसी श्राप से कम नहीं लगती थी, हर वक्त यही सोचते थे कि मुक्ति मिल जाए. लेकिन उनकी बनाई पेटिंग्स ने उनकी बेरंग जिंदगी में रंग भर दिए.

हादसे ने बना दिया दिव्यांग
21 साल पहले बसंत साहू इलेक्ट्रानिक्स का काम करता था. इसी सिलसिले में वो पास के गांव गए हुए हैं. वापस घर लौटते वक्त ट्रक ने उसे ठोकर मार दी. इस हादसे के बाद उसके दोनों पैर और एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया. बसंत का सारा दिन बिस्तर पर गुजरने लगा, इसके बाद मानो उसे सिर्फ मौत का इंतजार था.

दुनिया में धूम मचा रही है पेंटिग्स
लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था. बिस्तर पर पड़े-पड़े बंसत रोज पेंसिल पकड़ कर पेंटिंग बनाने की कोशिश करने लगे. शुरुआत में थाड़ी दिक्कतें हुई लेकिन वो कहते हैं ना कि 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'. बसंत को भी कामयाबी मिली और कुछ यूं मिली जैसे उसके हाथ में जादू हो. उसकी बनाई पेटिंग आज देश-दुनिया में धूम मचा रही हैं.

एक बेजान पेंसिल ने बसंत साहू के शरीर में जान फूंक दी. आज इन्हीं पेटिंग्स के बदौलत बंसत को कई सम्मान भी मिल चुके हैं.

एक ख्वाहिश ऐसी भी
बसंत साहू की एक ही ख्वाहिश है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चो को पेंटिंग की कला सिखा सकें. साथ ही बसंत का कहना है कि हमारे राज्य में कला के कई धनी हैं जिन्हें एक मंच की जरूरत है. बसंत का शासन से निवेदन है कि ऐसे कला साधकों को आगे आने का मौका जरूर दें.

आज बसंत युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. इस सफर में बंसत के परिवार ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया. सच है अगर मन में सच्ची लगन हो तो मंजिल पाने से कोई रोक नहीं सकता.

Intro:हौसले बुलंद हो तो मौत भी घुटने टेक देते है.और कुछ करने की जज्बा हो तो कोई रूकावट इंसान का रास्ता नही रोक सकता..कुछ इसी तरह की दास्तान है धमतरी जिले के कुरूद मे रहने वाले बंसत साहू की..जिन्होने मौत को मात देकर पेन्सिल को अपनी जिंदगी बना ली...और हाथ पैर से अपाहिज होने के बाद पेटिंग मे महारत हालिस कर ली है..

धमतरी जिले के कुरूद में रहने वाले बंसत साहू एक समय अपनी मौत के इंतजार मे थे की कब उनको इस जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति मिल जाये..लेकिन जीवन मे एक दिन ऐसा मोड आया कि एक बेजान पेन्सिल ने उसके शरीर मे जान फूंक दी....और इस शख्स ने इसी पेन्सिल को अपने जीने का सहारा बना लिया है....आज हाथ पैर से विकलांग बंसत साहू की बनाई पेटिंग देश विदेश मे धूम मचा रही है....और इसी पेटिंग की वजह से इनको देश और विदेश मे शोहरत मिला है.......

दरअसल बंसत साहू 21 साल पहले इलेक्ट्रानिक्स का काम करता था..और इसी सिलसिले से किसी काम से पास के गांव गये हुऐ थे.. वापस घर लौटते वक्त ट्रक ने उनको टोकर मार दी..हादसे के बाद उनके दोनो पैर व हाथ काम करना बंद कर दिया..और शरीर भी पूरी तरह से कमजोर हो गया..जिसके चलते बंसत का सारा दिन बिस्तर मे गुजरने लगा...जिसके बाद मानो बंसत को सिर्फ मौत का इंतजार रहने लगा..कि कब उनको इस जिल्लत भरी जिंदगी से छुटकारा मिले..लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था..बिस्तर मे पडे पडे बंसत रोज पेसिंल पकड कर चित्रकारी करने की कोशिश करता था..शुरूआत मे थोडी समस्या जरूर हुई ..लेकिन बाद मे कोशिश से ऐसे कामयाब हुआ की मानो उनके हाथ मे जादू हो...उनके बनाये पेटिंग आज देश विदेश के प्रदर्षनी मे लगाई जाती है....और इसी पेटिंग के बदौलत बंसत को कई सम्मान मिल चुका है..

क्या है ख्वाहिश...

बसंत साहू की एक ही ख्वाहिष की नक्सल प्रभावित बच्चो को पेटिंग कला सिखाने की

युवाओं के लिए संदेश...

आज के इस दौर मे युवाओ मे सबसे बडी कमजोरी ये है कि छोटी मोटी समस्या आने पर आत्मघाती जैसे कदम उठाने को तैयार हो जाते है......लेकिन आज बंसत साहू पूरे ईलाके के युवाओ के लिये प्ररेणास्त्रोत बना हुआ है......की एक आदमी विगलांग होने के बाद भी हिम्मत नही हारा......और अपनी जिदंगी पेसिल और पेटिंग को बना ली ...बंसत के इस हौसले को कभी भी परिवार वालो ने रोकेने की कोषिष नही की...बंसत के हर कदम पर परिवारो के लोगो ने भरपूर साथ दिया...बंसत के हौसले और उनके इस कामयाबी से उनके छोटे भाई अपने आप बहुत ही गर्व महसूस कर रहे...बंसत के छोटे भाई की माने तो आज पूरे ईलाके मे उनको उनके बडे भाई के नाम से जाना जाता है..

कुरुद क्षेत्र के लोगो के लिए बना प्रेंरणाश्रोत....

बहरहाल अगर इंसान के अंदर कोई जज्बा हो तो दुनिया की सारी कायनात भी उसे मंजिल पाने से रोक नही सकता..अगर आप मे सच्ची लगन और कुछ कर गुजरने की हौसले हो तो कोई भी काम मुश्किल नही होता...इन्ही बातो को कुरूद के बंसत साहू ने साबित कर दिखाया...जिसके बदौलत आज बंसत साहू ने इस मुकाम को हासिल किया है.


शासन से मांग
बसंत साहू जी का कहना है कि हमारे राज्य में मेरे तरह और कई कला के धनी यहाँ पर निवास करते है जिसे एक मंच की जरूरत है जिससे सामने लाया जा सकता है इस पर शासन एक कदम उठाने की बात कही तथा जो मंच की कमी के कारण आगे नही आ सकता उसे एक प्रयास से आगे लाने की बात कहीBody:बाइट.. बसंत साहू चित्रकार कुरुद

अभिमन्यु नेताम कुरुद 9907441955Conclusion:
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