धमतरी: भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) पिछले चार दिनों से बीमार हैं, इसलिए मंदिर के पट बंद हैं. भगवान के दर्शन नहीं होने से श्रद्धालु (Devotees) मंदिर के बाहर से ही मत्था टेककर लौट रहे हैं. भगवान को स्वस्थ होने के लिए जड़ी-बूटियों से युक्त काढ़ा का भोग लगाने की रस्म आज से शुरू कर दी गई है, जो 10 जुलाई तक चलेगी. श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में इसी काढ़े को बांटा जा रहा है. मान्यता है कि भगवान को अर्पित किए गए काढ़े का प्रसाद ग्रहण करने वाले श्रद्धालु सालभर तक निरोगी रहते हैं. जगदीश मंदिर में 4 जुलाई को भगवान भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा को श्रद्धालुओं ने स्नान कराया था. इसके बाद से भगवान के दर्शन नहीं हो रहे हैं. मान्यता के अनुसार स्नान के बाद भगवान बीमार हैं और 11 जुलाई को अब स्वस्थ होकर नेत्रोत्सव में दर्शन देंगे.
10 जुलाई से बांटा जाएगा काढ़ा
श्री जगदीश मंदिर ट्रस्ट (Shree Jagdish Mandir Trust) अध्यक्ष डॉ. हीरा महावर ने बताया कि चार जुलाई की सुबह भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) को स्नान कराया गया, भगवान बीमार होकर आराम करेंगे. सात से 10 जुलाई तक श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन (corona guideline) का पालन करते हुए काढ़ा का वितरण किया जाएगा.
इस साल की यात्रा स्थगित
11 जुलाई को पुनः प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. 12 जुलाई को रथयात्रा के अवसर पर पूजा-अर्चना की जाएगी. भगवान जगन्नाथ की पारंपरिक रथयात्रा इस बार कोरोना के कारण नहीं निकाली जाएगी, मन्दिर में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान का दर्शन करवाया जाएगा. कोरोना संक्रमण काल के चलते लगातार दूसरे वर्ष रथयात्रा स्थगित करनी पड़ी है.
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100 साल पुरानी है रथ यात्रा
बताया जाता है कि धमतरी शहर में रथयात्रा का इतिहास 100 साल से भी पुराना है. जगदीश मंदिर ट्रस्ट 100 साल से शहर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाल रहे हैं. करीब 44 साल तक बैलगाड़ी के जरिए शुरुआत में रथयात्रा निकाली गई. 56 साल पहले भगवान का रथ तैयार कर रथ से नगर भ्रमण कराना शुरु किया गया. इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकलने का निर्णय लिया गया है. बताया जाता है कि मंदिर में काढ़ा वितरण पिछले 40 वर्षों से किया जा रहा है. वहीं श्रद्धालुओं में रथयात्रा नहीं निकलने के निर्णय से काफी मायूसी है.