धमतरीः मीड-डे मिल योजना के तहत सभी सरकारी स्कूलों के प्राथमिक और मीडिल क्लास में पढ़ने सभी बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जाता है. जिससे बच्चों में कुपोषण की वजह से होने वाली बीमारियों का रोकथाम किया जा सके.
राज्य सरकार ने हाल ही में मध्यान्ह भोजन के मेनू में बदलाव करते हुए बच्चों को अंडा देने का आदेश जारी किया है. लेकिन जिले में नए मेनू के साथ फंड में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके साथ ही भूपेश सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के साथ शिशुवती माताओं को भी सुपोषण दिए जाने का ऐलान किया है.
सीएम सुपोषण योजना की शुरुआत
कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि जिले में 2 अक्टूबर से सीएम सुपोषण योजना की शुरुआत की जा रही है. जिसके तहत जिले के अलग-अलग जगहों का निरीक्षण कर पांइट आउट किया गया है. जिससे उन क्षेत्रों में गर्भवती और शिशुवती माताओं को अंडा, दूध या सोयाबिन जैसे सप्लिमेंट पोषक आहार दिए जाएंगे.
फंड जारी नहीं किया गया
सरकारी स्कूलों के बच्चो को मध्यान्ह भोजन में अंडा परोसने का मामला भले ही वर्तमान में सियासी मुद्दा बना है. लेकिन पहली बार इसका आदेश 2016 में भाजपा शासन के दौरान दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से सभी जिला प्रशासन को स्कूलों में अंडा, दूध या अन्य पोषण युक्त आहार दिया जाने का आदेश जारी किया था. प्रदेश की नई सरकार ने इस फैसले को एक बार फिर लागू किया है, लेकिन अभी तक फंड जारी नहीं किया है.
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इधर अंडे पर सियासत का दौर जारी है. कांग्रेस जहां इसमें चुनाव जीतने का फंडा देखती है, तो भाजपा विचारों का सम्मान करने की बात करती है. सरकारी अंडे से बच्चों का पोषण होगा या नहीं ये पता नहीं लेकिन नेता अपनी राजनीति की सेहत जरूर दुरूस्त करने की फिराक में है.