धमतरी: पीजी कॉलेज में शुक्रवार को मूट कोर्ट का आयोजन हुआ. इस कोर्ट में 2 केस की सुनवाई हुई. एक हत्या का मामला था और दूसरा भरण पोषण मामले को लेकर सुनवाई हुई. वकालत की पढ़ाई कर छात्र- छात्राओं ने जज, गवाह, आरोपी, लोक अभियोजक, रीडर का पात्र के रूप में मूट कोर्ट का आयोजन किया. सभी पात्रों ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई.
धमतरी पीजी कॉलेज में कोर्ट: शासकीय पीजी कॉलेज में शुक्रवार को एलएलबी के विद्यार्थियों ने मूट कोर्ट का नाट्य मंचन किया. जहां अपराधिक मामले में न्यायाधीश की भूमिका किस प्रकार निभाई जाती है, इसकी प्रेक्टिस की गई. बीसीएस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धमतरी के विधि संकाय एलएलबी भाग 3 प्रथम सेमेस्टर के स्टूडेंट्स ने मूटकोट एक्सरसाइज किया. पहले मामले में भारतीय दंड संहिता धारा 302 से संबंधित था. जिसमें अभियुक्त पर आरोप था कि उसने किस आशय के साथ हत्या की थी जिला एवं सत्र न्यायाधीश बने अतुल सोनकर ने आरोपी पर लगे आरोप को पढ़कर सुनाया लेकिन कार्यवाही के दौरान बचाव पक्ष ने आरोपी के ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठ असत्य एवं निराधार बताया.
अभियोजन पक्ष के वकील साक्षी साहू, रविंद्र,प्रीतम, गीत राम सिन्हा, गुंजन दूगड़,रेणुका साहू ने आरोपी को दोष सिद्ध ठहराने के लिए साक्ष्य, गवाहों को पेश किया. वहीं बचाव पक्ष अधिवक्ता दीपिका गिरि गोस्वामी, सुधीर साहू,सतीश सिंह, कुलदीप साहू, चित्रेश वाडे ने आरोपी पर लगाए गए आरोप को झूठा निराधार बताया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलिलों को देखा और सुना जिसके बाद न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी पर लगे आरोपों से दोष मुक्त कर दिया. इस वाद में गवाह कि भुमिका शुभम, युगेश धीवर, खिलेश, संतोष, डाकेश्वर साहू, वैशाली, रानु, खुशबू,, सफल शर्मा, आरोपी लोकेश पुलिस सत्यम थे.
एक दूसरे मामले में जो कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 से संबंधित था. जिसमें आवेदिका ने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के कारण कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण का वाद प्रस्तुत किया था. इस मामले को परिवार न्यायालय के न्यायाधीश नेहा ढीमर की कोर्ट में पेश किया गया था. जिसमें आवेदिका की अधिवक्ता मोनिका, दामिनी कुर्रे,तरुण सोनकर थे. अनावेदक डोरेलाल के अधिवक्ता युगल किशोर,प्रियंका ध्रुव,विकास लहरे ने अपना पक्ष रखा. न्यायालय ने दोनों पक्षों के बातों को सुनकर, सबूतों के आधार पर भरण पोषण करने में सक्षम मानते हुए भरण पोषण के आवेदन को निरस्त कर दिया. लेकिन बच्चों 18 वर्ष की आयु होने तक भरण पोषण का आदेश पारित किया. इस मौके पर लॉ के कई छात्र मौजूद रहे और कोर्ट की प्रक्रिया के बारे में जाना.