धमतरी: जिले से 110 किलोमीटर दूर बसे दर्जनों गांवों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इन गांवों में न तो बिजली है, न सड़क की और न ही पुल-पुलिया. केवल इतना ही नहीं यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. जिले के करीब 10 से 12 गांव इन समस्याओं से जूझ रहे हैं. ये सभी गांव घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के अंदर आते हैं. इन गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है.
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गांव के लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद खस्ता है. गांव में किसी के बीमार पड़ने पर उसे चारपाई या साइकिल पर बिठाकर ब्लॉक मुख्यालय नगरी ले जाना पड़ता है. साइकिल से ले जाने में मरीज को बहुत परेशानी होती है. बिजली की बात की जाए, तो गांव में इसकी भी कोई खास व्यवस्था नहीं है. सौर ऊर्जा से थोड़ी-बहुत बिजली ही ग्रामीणों को नसीब होती है. गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है. कच्चा रास्ता होने की वजह से नदी-नाला पार करके जाने में बड़ी दिक्कत होती है.
ग्रामीणों को होती हैं ये समस्याएं
गांव में रहने वाले लोगों ने कई बार प्रशासन से पुल-पुलिया, बिजली और सड़क को लेकर गुहार लगाई, लेकिन वहां से केवल उन्हें आश्वासन ही मिला. ग्रामीणों का कहना है कि जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था, तब भी यही स्थिति थी जो आज है. कुछ गांवों में स्कूल तो हैं, लेकिन कुछ को बंद भी कर दिया गया है. वहीं बच्चे बड़े स्कूल में पढ़ाई करने के लिए बीहड़ों के रास्ते से पैदल चलकर जाते हैं. बारिश के दिनों में बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी कीचड़ में गिर जाते हैं, तो कभी नदी-नालों को पार करने के दौरान जान का खतरा बना रहता है. कभी-कभी ज्यादा बारिश होने पर ग्रामीणों को कई दिनों तक आवागमन का साधन बंद होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.