धमतरी: जिले के प्रसिद्ध मंदिर मां विंध्यवासिनी मंदिर के ट्रस्ट पर अधिकार को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ये विवाद बीते चार साल से जारी है. विवाद की जड़ असली और नकली ट्रस्ट को लेकर है. हालांकि इस विवाद की वजह से प्रशासन ने मंदिर की व्यवस्था बनाने के लिए तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त किया है. इसके अलावा यह विवाद कोर्ट में भी चल रहा है.
इस बीच अब पुराने ट्रस्टियों ने घी खरीदी समेत कई गंभीर आरोप लगाये हैं. इधर, कलेक्टर मामले की जांच के बाद कुछ कहने की बात कह रहे हैं. मां विंध्यवासिनी मंदिर हजारों साल से पूजा और आस्था का केन्द्र रहा है. खासतौर पर देवी मंदिरों में नवरात्र में आस्था का अलग ही सैलाब उमड़ता है, लेकिन इस नवरात्र में धमतरी का प्रसिद्ध मंदिर मां विंध्यवासिनी मंदिर विवाद के केंद्र में है.
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विवाद मंदिर के दो ट्रस्ट के बीच अधिकार को लेकर है. पूर्व ट्रस्टी विनोद खंडेलवाल का आरोप है कि उनको हटाकर एक ही परिवार ने मंदिर पर कब्जा कर लिया है और अनियमितताएं कर रहा है, जबकि मौजूदा ट्रस्ट की ओर से कहा जा रहा है कि उनका ट्रस्ट पहले से ही है.
घी खरीदी में घोटाले का आरोप
एक ट्रस्ट के ट्रस्टी विनोद खंडेलवाल ने दस्तावेजों का जखीरा पेश करके अपने ट्रस्ट को असली और वैधानिक होने का दावा किया है. वहीं मंदिर के प्रबंधन पर काबिज ट्रस्ट को गैरकानूनी बताया है. साथ ही आरोप लगाया है कि मंदिर में घी खरीदी में बड़ा घोटाला किया जा रहा है. इनमें सस्ता मिलने वाले घी को ज्यादा दाम में खरीदने और घी का भुगतान चेक के बजाए नकद करने का आरोप है. ट्रस्टी ने ये भी कहा है कि मंदिर में प्रशासन ने जो रिसीवर बिठाया है, वो राजस्व अधिकारी भी इस भष्ट्राचार में लिप्त है.
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आरोपों को बताया गलत
इस मामले में दूसरा पक्ष ट्रस्टी विनोद खंडेलवाल को फर्जी बता रहा है और खुद पर लगे तमाम आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताया है. वैसे इस मामले में धमतरी के डीएम जयप्रकाश मौर्य ने जांच के बाद कुछ कह पाने की बात कही है.