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कैसे चलेगा परिवार, लॉकडाउन के कारण नहीं मिल रहा काम

लॉकडाउन के कारण सारे काम ठप हैं. ऐसे में रोज कमाकर खाने वाले लोगों के सामने अपना परिवार पालने की चुनौती है. जिले के ज्यादातर मजदूर इन दिनों काम की तलाश में भटक रहे हैं, ताकि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके.

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Published : May 15, 2020, 5:53 PM IST

Labours searching for work
काम की तलाश में मजदूर

धमतरी: कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन चल रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ा है, खासकर दिहाड़ी मजदूर. धमतरी में रोजाना कमाकर अपना परिवार चलाने वाले ज्यादातर मजदूर लॉकडाउन की वजह से खाली बैठे हुए हैं. ये मजदूर काम की तलाश में हर रोज निकलते हैं, लेकिन काम नहीं मिलने पर निराश होकर उन्हें बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में अब मजदूरों को इस बात की चिंता है कि उनके परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा.

कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगे इस लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है. ज्यादातर कामकाज बंद पड़े हैं, जिसकी वजह से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है, हालांकि लॉकडाउन में राहत देते हुए कुछ निर्माण कार्य जरूर शुरू किए गए हैं, लेकिन इन निर्माण कार्यों में ज्यादा मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ रही है, इसलिए ठेकेदार भी कम से कम रेजा, कुली और मिस्त्री को काम पर रख रहे हैं.

कम मजदूरी में भी काम कर रहे मजदूर

निर्माण कार्य में लगे मजदूर रोजाना काम की तलाश में शहर के मकई चौक पर पहुंचते हैं, जिनमें से ज्यादातर मजदूर खाली हाथ ही लौट जाते हैं. कुछ लोग तो कम मजदूरी में भी काम करने को तैयार हो जाते हैं, ताकि कुछ तो पैसे मिलें. मजदूरों का कहना है कि वह रोजाना काम की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें बिना काम के ही वापस लौटना पड़ता है. इन्हें छिटपुट काम भी मिल जाता है तो वो बड़ी बात होती है.

दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष

बहरहाल लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर मजदूरों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. मजदूर इस आस में काम के लिए शहर आते हैं कि उन्हें कोई भी काम मिल जाए, ताकि उनके घर का चूल्हा जल सके, लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूरों को रोटी की जगह सिर्फ निराशा ही मिल रही है.

धमतरी: कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन चल रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ा है, खासकर दिहाड़ी मजदूर. धमतरी में रोजाना कमाकर अपना परिवार चलाने वाले ज्यादातर मजदूर लॉकडाउन की वजह से खाली बैठे हुए हैं. ये मजदूर काम की तलाश में हर रोज निकलते हैं, लेकिन काम नहीं मिलने पर निराश होकर उन्हें बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में अब मजदूरों को इस बात की चिंता है कि उनके परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा.

कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगे इस लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है. ज्यादातर कामकाज बंद पड़े हैं, जिसकी वजह से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है, हालांकि लॉकडाउन में राहत देते हुए कुछ निर्माण कार्य जरूर शुरू किए गए हैं, लेकिन इन निर्माण कार्यों में ज्यादा मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ रही है, इसलिए ठेकेदार भी कम से कम रेजा, कुली और मिस्त्री को काम पर रख रहे हैं.

कम मजदूरी में भी काम कर रहे मजदूर

निर्माण कार्य में लगे मजदूर रोजाना काम की तलाश में शहर के मकई चौक पर पहुंचते हैं, जिनमें से ज्यादातर मजदूर खाली हाथ ही लौट जाते हैं. कुछ लोग तो कम मजदूरी में भी काम करने को तैयार हो जाते हैं, ताकि कुछ तो पैसे मिलें. मजदूरों का कहना है कि वह रोजाना काम की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें बिना काम के ही वापस लौटना पड़ता है. इन्हें छिटपुट काम भी मिल जाता है तो वो बड़ी बात होती है.

दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष

बहरहाल लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर मजदूरों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. मजदूर इस आस में काम के लिए शहर आते हैं कि उन्हें कोई भी काम मिल जाए, ताकि उनके घर का चूल्हा जल सके, लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूरों को रोटी की जगह सिर्फ निराशा ही मिल रही है.

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