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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 : धमतरी की ग्रामीण महिलाएं ऑटो चलाकर पेश कर रहीं मिसाल, लोगों को मंजिल तक पहुंचाकर लौटती हैं घर

धमतरी की महिलाएं ऑटो चलाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. हर कोई इनके हौसले को सलाम कर रहा (Dhamtari Rural women are driving auto) है.

International Womens Day 2022
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022
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Published : Mar 8, 2022, 9:53 AM IST

Updated : Mar 8, 2022, 12:56 PM IST

धमतरी: आज के दौर में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. हर क्षेत्र में ये बढ़-चढ़कर न सिर्फ हिस्सा ले रही हैं बल्कि अपना नाम भी रौशन कर रहीं हैं. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको धमतरी की उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहा है, जो समाज में बदलाव के साथ-साथ अपनी आर्थिक तंगी भी दूर कर रही हैं. धमतरी की महिलाएं ऑटो चलाकर आत्मनिर्भर बन रही (Dhamtari Rural women are driving auto) हैं.

रोजाना 25 से 30 किलोमीटर तक करती हैं सफर

धमतरी के ग्राम इर्रा की भुनेश्वरी साहू, ग्राम लोहार पथरा की आरती विश्वकर्मा समेत 15 महिलाएं रोजाना 25 से 30 किलोमीटर अपने इलेक्ट्रिक ऑटो में धमतरी शहर तक आती हैं. दिनभर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. फिर शाम को अपने गांव, अपने घर और परिवार के बीच लौट जाती हैं. जब ये अपने घर लौटती हैं तो इनके हाथों में कमाई के 4 सौ से लेकर 6 सौ या कभी उससे भी अधिक रकम होती है. चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व होता है. दिल में कामयाबी का सुकून होता है.

धमतरी ऑटोचालक महिलाओं की दास्तां

आर्थिक तौर पर हो रहीं सबल

चार साल पहले तक यही महिलाएं घर की रसोई में रोटियां सेंकती थीं या खेतों में जाकर मेहनत-मजदूरी करती थीं. फिर भी हाथ में सीधी रकम नहीं आती थी. अपने बड़े-बुजुर्गों पर इन्हें निर्भर रहना पड़ता था. अब वही महिलाएं कमा कर अपने घर में आर्थिक मदद कर रही हैं. ये बड़ा परिवर्तन है. एक तरह की क्रांंति है. क्योंकि ग्रामीण परिवेश में शादी और बाल-बच्चे होने के बाद महिलाओं की नियति लगभग तय हो जाती है कि अब उन्हें घर संभालना है. बच्चों की देख-रेख करनी है. खाना पकाना है और जब जरूरत पड़े तो खेतों में जाकर मजदूरी भी करनी है.

यह भी पढ़ें: नक्सलियों ने छीन लिया था सर से पिता का साया...आज बस्तर की बेटी लिपि मेश्राम बनीं मिस इंडिया

हर कोई इनके हौसले को कर रहा सलाम

सामाजिक ताना-बाना और मान्यताएं ऐसी रहती हैं कि महिलाएं इससे ज्यादा आगे बढ़ने की सोच भी नहीं पातीं और एक सीमित दायरे में ही जीवन शुरू और खत्म हो जाता है. पीढ़ी-दर-पीढ़ी हर ग्रामीण महिला की लगभग यही कहानी होती है. लेकिन भुनेश्वरी और आरती जैसी महिलाएं उन सामाजिक और मानसिक दायरों को ध्वस्त कर गांव की शादीशुदा महिलाओं के लिये मिसाल बनी हैं. उम्र के किसी भी मोड़ में संभावनाओं की मौजूदगी का संदेश दे दिया है. इन महिलाओं की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. हर कोई इन महिलाओं के हौसले को सलाम कर रहा है.

धमतरी: आज के दौर में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. हर क्षेत्र में ये बढ़-चढ़कर न सिर्फ हिस्सा ले रही हैं बल्कि अपना नाम भी रौशन कर रहीं हैं. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको धमतरी की उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहा है, जो समाज में बदलाव के साथ-साथ अपनी आर्थिक तंगी भी दूर कर रही हैं. धमतरी की महिलाएं ऑटो चलाकर आत्मनिर्भर बन रही (Dhamtari Rural women are driving auto) हैं.

रोजाना 25 से 30 किलोमीटर तक करती हैं सफर

धमतरी के ग्राम इर्रा की भुनेश्वरी साहू, ग्राम लोहार पथरा की आरती विश्वकर्मा समेत 15 महिलाएं रोजाना 25 से 30 किलोमीटर अपने इलेक्ट्रिक ऑटो में धमतरी शहर तक आती हैं. दिनभर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. फिर शाम को अपने गांव, अपने घर और परिवार के बीच लौट जाती हैं. जब ये अपने घर लौटती हैं तो इनके हाथों में कमाई के 4 सौ से लेकर 6 सौ या कभी उससे भी अधिक रकम होती है. चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व होता है. दिल में कामयाबी का सुकून होता है.

धमतरी ऑटोचालक महिलाओं की दास्तां

आर्थिक तौर पर हो रहीं सबल

चार साल पहले तक यही महिलाएं घर की रसोई में रोटियां सेंकती थीं या खेतों में जाकर मेहनत-मजदूरी करती थीं. फिर भी हाथ में सीधी रकम नहीं आती थी. अपने बड़े-बुजुर्गों पर इन्हें निर्भर रहना पड़ता था. अब वही महिलाएं कमा कर अपने घर में आर्थिक मदद कर रही हैं. ये बड़ा परिवर्तन है. एक तरह की क्रांंति है. क्योंकि ग्रामीण परिवेश में शादी और बाल-बच्चे होने के बाद महिलाओं की नियति लगभग तय हो जाती है कि अब उन्हें घर संभालना है. बच्चों की देख-रेख करनी है. खाना पकाना है और जब जरूरत पड़े तो खेतों में जाकर मजदूरी भी करनी है.

यह भी पढ़ें: नक्सलियों ने छीन लिया था सर से पिता का साया...आज बस्तर की बेटी लिपि मेश्राम बनीं मिस इंडिया

हर कोई इनके हौसले को कर रहा सलाम

सामाजिक ताना-बाना और मान्यताएं ऐसी रहती हैं कि महिलाएं इससे ज्यादा आगे बढ़ने की सोच भी नहीं पातीं और एक सीमित दायरे में ही जीवन शुरू और खत्म हो जाता है. पीढ़ी-दर-पीढ़ी हर ग्रामीण महिला की लगभग यही कहानी होती है. लेकिन भुनेश्वरी और आरती जैसी महिलाएं उन सामाजिक और मानसिक दायरों को ध्वस्त कर गांव की शादीशुदा महिलाओं के लिये मिसाल बनी हैं. उम्र के किसी भी मोड़ में संभावनाओं की मौजूदगी का संदेश दे दिया है. इन महिलाओं की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. हर कोई इन महिलाओं के हौसले को सलाम कर रहा है.

Last Updated : Mar 8, 2022, 12:56 PM IST
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