धमतरी: तमाम आंदोलनों का गवाह रहा धमतरी का गांधी मैदान अव्यवस्था के चलते अपनी दुर्दशा की तस्वीर बयां कर रहा है. गांधी जी के आंदोलनों का गवाह रहा ये मैदान आजकल सिर्फ अवैध पार्किंग के लिए काम आ रहा है. इतना ही नहीं पार्किंग के नाम पर यहां अवैध वसूली भी जारी है.
1996 में रायपुर से अलग होकर बने धमतरी जिले का ये गांधी मैदान हर तरह के आंदोलनों का गवाह रहा है. चाहे वो राजनीतिक आंदोलन हो या किसी संगठन का या किसी समाज का, इस मैदान ने सभी तरह के संघर्षों को अपनी मिट्टी दी है, अपना मंच दिया है. आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी जब धमतरी आए थे, तो इसी मंच से उन्होंने लोगों में आजादी की चिंगारी फूंकी थी. ये सबसे बड़ी वजह है जो इस मंच को ऐतिहासिक बनाती है और मैदान के नाम के पीछे भी यही वजह है.
मैदान को खास बनाता है इसका लोकेशन
इस मैदान के खास होने की वजह इसका लोकेशन है. शहर के बीचों बीच इस मैदान के चारों ओर कोतवाली थाना, एसडीएम कार्यालय, तहसील कार्यालय, पोस्टआफिस, नगर निगम और मुख्य बाजार हैं. यहां लोगों को पहुंचना सहज होता है, लेकिन, कुछ वक्त पहले प्रशासन ने इसे धरना स्थल हटा कर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया.
निगम ने कराया मैदान का किया गया सौंदर्यीकरण
गांधी मैदान को व्यवस्थित करने के उदेश्य से इसका सौंदर्यीकरण किया गया. करीब 50 लाख की लागत से हुए सौंदर्यीकरण से कोई फायदा नहीं हुआ. लाखों खर्च कर यहां टाईल्स, रेलिंग, खूबसूरत प्रवेश द्वार लगाया गया ताकि मैदान व्यवस्थित हो जाए, यहां अपने वाहन खड़े कर रहे है. मैदान का सौंदर्यीकरण करने का उदेश्य था कि 'लोगों को शहर के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अच्छी और व्यवस्थित जगह मिल सके. आम लोग इसे निगम और प्रशासन की लापरवाही और जनता की पैसों की बर्बादी बता रहे हैं.
एसडीएम ने पार्किंग रोकने की बात कही
इस मामले में एसडीएम ने कहा कि 'यहां वाहन खड़ा करने से रोका जाएगा. वहीं बीजेपी इस मामले में राजनीति करते हुए, 'सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की बात कह रही है'.
अवैध पार्किंग स्थल में तब्दील हुआ मैदान
प्रशासन की ओर से विरासत को संजोकर रखने में ढिलाई बरती जा रही है और शायद यही वजह है कि गांधी मैदान अवैध पार्किंग स्थल में तब्दील हो चुका है.