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धमतरी : सैटेलाइट अलार्म सिस्टम के बाद भी आग से कितने सुरक्षित हैं जंगल

वन विभाग के पास सैटेलाइट अलार्म सिस्टम है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग का आग पर कोई काबू दिखाई नहीं दे रहा है.

आग से कितने सुरक्षित हैं जंगल
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Published : May 14, 2019, 8:35 PM IST

धमतरी : जंगलों को आग से बचाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जंगल की आग के लिए वन विभाग के पास सैटेलाइट अलार्म सिस्टम है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग का आग पर कोई काबू दिखाई नहीं दे रहा है. इस संबंध में वन विभाग के डीएफओ अमिताभ वाजपेयी से बातचीत की गई.

आग से कितने सुरक्षित हैं जंगल

बातचीत में उन्होंने दावा किया है कि, 'सभी 117 बीट में फायर वाचर हैं, जैसे ही आग की सूचना मिलती है पूरी टीम हरकत में आ जाती है'. बता दें कि 2018 में फरवरी से जून के बीच आगजनी की 358 घटनाएं हुई थीं, जिसमें कुल 504 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया था. वहीं इस साल 2019 में कुल 125 आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे कुल 214 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है.

8 परिक्षेत्र और 117 बीट में बटा है जंगल
धमतरी वनमंडल के आंकड़े देखें तो जंगल कुल 1400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. वन विभाग ने इस पूरे इलाके को 8 परिक्षेत्र और 117 बीट में बांटा है. यहां के जंगल अपने शानदार साल पेड़ों के लिए जाने जाते हैं. साल के आलावा यहां सागौन, बीजा जैसी इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में जंगल में आग लगने पर कीमती पेड़ों के साथ-साथ जानवरों को भी नुकसान पहुंच रहा है.

बहरहाल वन विभाग के डीएफओ आग लगने पर तुरंत कार्रवाई की बात कह रहे हैं, लेकिन आंकड़ों को देखा जाए तो ऐसा होता दिख नहीं रहा है.

धमतरी : जंगलों को आग से बचाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जंगल की आग के लिए वन विभाग के पास सैटेलाइट अलार्म सिस्टम है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग का आग पर कोई काबू दिखाई नहीं दे रहा है. इस संबंध में वन विभाग के डीएफओ अमिताभ वाजपेयी से बातचीत की गई.

आग से कितने सुरक्षित हैं जंगल

बातचीत में उन्होंने दावा किया है कि, 'सभी 117 बीट में फायर वाचर हैं, जैसे ही आग की सूचना मिलती है पूरी टीम हरकत में आ जाती है'. बता दें कि 2018 में फरवरी से जून के बीच आगजनी की 358 घटनाएं हुई थीं, जिसमें कुल 504 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया था. वहीं इस साल 2019 में कुल 125 आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे कुल 214 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है.

8 परिक्षेत्र और 117 बीट में बटा है जंगल
धमतरी वनमंडल के आंकड़े देखें तो जंगल कुल 1400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. वन विभाग ने इस पूरे इलाके को 8 परिक्षेत्र और 117 बीट में बांटा है. यहां के जंगल अपने शानदार साल पेड़ों के लिए जाने जाते हैं. साल के आलावा यहां सागौन, बीजा जैसी इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में जंगल में आग लगने पर कीमती पेड़ों के साथ-साथ जानवरों को भी नुकसान पहुंच रहा है.

बहरहाल वन विभाग के डीएफओ आग लगने पर तुरंत कार्रवाई की बात कह रहे हैं, लेकिन आंकड़ों को देखा जाए तो ऐसा होता दिख नहीं रहा है.

Intro:गर्मी के मौसम में जंगल को आग से बचाना एक बड़ी चुनौती रहती है.हालांकि वनविभाग इस समस्या से निपटने सेटेलाइट अलार्म सिस्टम से लैस है.फिर भी आगजनी पूरी तरह से नही रोकी जा सकी है.धमतरी जिला का बड़ा हिस्सा घने जंगलों से ढका हुआ है.यहाँ बेशुमार जंगली जानवर, साल सागौन के बेशकीमती दरख्त है और ओडिशा की सीमा से लगे होने के कारण यहाँ की ये वन संपदा तस्करों, शिकारियों और चोरों के निशाने पर रहती है जो अक्सर जंगल मे आग लगा कर अपराध को अंजाम देने की फिराक में रहते है.दूसरा महुआ के सीजन में ग्रामीण अपनी सुविधा के लिए आग लगा देते है ताकि कचरा साफ हो सके.जब गर्मी अपने चरम पर हो तो छोटी सी भी आग बेकाबू होने में देर नही लगती.इस कारण गर्मी के मौसम में जंगल को दावानल से बचाना वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है.सबसे महत्वपूर्ण होता है समय पर आग की सूचना मिल जाना.जब से सेटेलाइट फायर अलार्म सिस्टम आया है तब से वन विभाग को बड़ी राहत मिली है.



Body:धमतरी वनमंडल को आंकड़ो में देखें तो ये कुल 1400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.वन विभाग ने इस पूरे इलाके को 8 परिक्षेत्र और 117 बीट में बांटा है.यहाँ के जंगल अपने शानदार साल पेड़ो के लिये जाने जाते हैं.साल के आलावा यह सागौन बीजा जैसी इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ बड़ी संख्या में है.वही जंगली जानवरों की बात करें तो चीतल और नीलगाय बहुतायत में है इसके बाद तेंदुआ और भालू जैसे जॉनवर भी यहाँ अच्छी तादात में है.जंगल मे आग लगने पर कीमती पेड़ो के साथ जॉनवरो कि जान भी खतरे में आ जाती है.वन विभाग का दावा है कि सभी 117 बीट में फायर वाचर है जैसे ही आग की सूचना मिलती है पूरी टीम हरकत में आ जाती है.वैसे जहाँ 2018 में फरवरी से जून के बीच आगजनी की की 358 घटनाए हुई थी और इसमें कुल 504 हेक्टेयर जंगल चपेट में आया था.वही इस साल 2019 में अभी तक कुल 125 आगजनी ही हुई है जिसमे कुल 214 हेक्टेयर जंगल एरिया प्रभावित हुआ है।

बाइट.अमिताभ वाजपेयी, डीएफओ धमतरी

दुनिया भर में तेजी से बिगड़ते पर्यावरण संतुलन के बीच हमारे जंगल अनमोल संपत्ति की तरह है इन्हें आग से बचाने के लिये शायद संसाधन अभी भी कम ही है लेकिन अभी भी समय है कि इन्हें बचाने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान के स्तर की तकनीक और युद्ध स्तर की तैयारी की जा सकती है.

रामेश्वर मरकाम धमतरी Conclusion:
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