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SPECIAL: एक हफ्ते पहले रंग और फाग में डूबा सेमरा, आखिर क्या है कहानी

सप्ताह भर पहले त्योहार मनाने की जो परंपरा सालों से चली आ रही है, वो आज भी यहां के लोग निभा रहे हैं. सेमरा में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे सभी त्योहार एक हफ्ते पहले मना लेते हैं.

एक हफ्ते पहले रंग और फाग में डूबा सेमरा
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Published : Mar 15, 2019, 8:22 PM IST

धमतरी: ये रंग और फाग सुनकर आप हैरान हों इससे पहले हम आपको बता दें कि धमतरी के सेमरा गांव के लोग एक हफ्ते पहले ही होली खेल लेते हैं. सप्ताह भर पहले त्योहार मनाने की जो परंपरा सालों से चली आ रही है, वो आज भी यहां के लोग निभा रहे हैं. सेमरा में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे सभी त्योहार एक हफ्ते पहले मना लेते हैं.

यहां रहने वाले लोगों की मानें,तो जब भी उन्होंने ये परंपरा तोड़ने की कोशिश की कुछ न कुछ अनहोनी हो गई. सेमरा में दूर-दूर से लोग यहां की होली देखने आते हैं.ग्रामीण बताते हैं कि सालों पहले इस गांव में देवता सिदार देव ने किसी के सपने में आकर कहा था कि हर त्योहार मनाने से पहले उन्हें पूजा करना जरूरी है और हर त्योहार को एक सप्ताह पहले मनाना जाए तभी से लोग अपने देवता को खुश करने के लिए हर त्योहार हफ्तेभर पहले मनाते आ रहे हैं, जो अब एक परंपरा बन गई है.

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अब तक किसी ने भी जमाने से चली आ रही परंपरा को तोड़ने की कोशिश भी नहीं की. यहां के युवा भी बड़ों की मान कर उनका कहा करते आ रहे हैं. सिदार देव के नाम से भी कहानी प्रचलितहै. बताया जाता है कि सालों पहले सिदार नाम के एक पुरुष घोड़े पर सवार होकर सेमरा में अखाड़ा खेलने आया करता था. उस समय गांव घनघोर जंगल के बीच बसा था. जंगली जानवरों के आतंक से सिदार ने गांव की रक्षा की थी. उनके मृत्यु के बाद गांव के लोग उनकी पूजा करने लगे और तब से सिदार के आराध्य देव हैं. फिलहाल देश भले ही 21 मार्च को रंग खेले, सेमरा के लोग तो एक हफ्ते पहली ही जी भर कर झूम लिए.

धमतरी: ये रंग और फाग सुनकर आप हैरान हों इससे पहले हम आपको बता दें कि धमतरी के सेमरा गांव के लोग एक हफ्ते पहले ही होली खेल लेते हैं. सप्ताह भर पहले त्योहार मनाने की जो परंपरा सालों से चली आ रही है, वो आज भी यहां के लोग निभा रहे हैं. सेमरा में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे सभी त्योहार एक हफ्ते पहले मना लेते हैं.

यहां रहने वाले लोगों की मानें,तो जब भी उन्होंने ये परंपरा तोड़ने की कोशिश की कुछ न कुछ अनहोनी हो गई. सेमरा में दूर-दूर से लोग यहां की होली देखने आते हैं.ग्रामीण बताते हैं कि सालों पहले इस गांव में देवता सिदार देव ने किसी के सपने में आकर कहा था कि हर त्योहार मनाने से पहले उन्हें पूजा करना जरूरी है और हर त्योहार को एक सप्ताह पहले मनाना जाए तभी से लोग अपने देवता को खुश करने के लिए हर त्योहार हफ्तेभर पहले मनाते आ रहे हैं, जो अब एक परंपरा बन गई है.

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अब तक किसी ने भी जमाने से चली आ रही परंपरा को तोड़ने की कोशिश भी नहीं की. यहां के युवा भी बड़ों की मान कर उनका कहा करते आ रहे हैं. सिदार देव के नाम से भी कहानी प्रचलितहै. बताया जाता है कि सालों पहले सिदार नाम के एक पुरुष घोड़े पर सवार होकर सेमरा में अखाड़ा खेलने आया करता था. उस समय गांव घनघोर जंगल के बीच बसा था. जंगली जानवरों के आतंक से सिदार ने गांव की रक्षा की थी. उनके मृत्यु के बाद गांव के लोग उनकी पूजा करने लगे और तब से सिदार के आराध्य देव हैं. फिलहाल देश भले ही 21 मार्च को रंग खेले, सेमरा के लोग तो एक हफ्ते पहली ही जी भर कर झूम लिए.

Intro:वैसे तो रंगो के त्यौहार होली आने वाले 21 मार्च को मनाई जाएगी पर अनोखे दस्तूर के चलते धमतरी में सेमरा गांव के लोग एक सप्ताह पहले यानि शुक्रवार को ही मना लिया है.हफ्तेभर पहले ही त्यौहार मनाने सदियों की इस परंपरा को मौजूदा पीढ़ियां भी आगे बढ़ा रही है.बताया जाता है कि इस लकीर को तोड़ने की जरूरत करने पर कोई न कोई अनहोनी जरूर होती है.दिगर जगहों से अलहदा त्यौहार मनाने का यह तरीका अब इस गांव की पहचान बन चुकी है जिससे देखने लोग दूर-दूर से आते है.


Body:01.सदियों से छत्तीसगढ़ रहस्यों और अबूझ पहेलियों का पिटारा रहा है.धमतरी जिले के सेमरा गांव भी इस धारणा को पूरी तरह चरितार्थ करता है.इस गांव का अनोखापन यह है कि यहां सभी प्रमुख त्यौहार तय तिथि से एक सप्ताह पहले मना लिए जाते है.
वक्त जरूर बदला लेकिन धमतरी के सेमरा गांव के दस्तूर आज भी कायम है.धमतरी से करीब 22 किलोमीटर दूर इस गांव में हफ्तेभर पहले ही त्यौहार मनाने का अनोखा दस्तूर है.इस दस्तूर में अपनी एक दास्तां छिपी है.ग्रामीण बताते है कि सदियों पहले इस गांव में देवता सिदार देव सपने में आकर कहा था कि हर त्यौहार मनाने से पहले उन्हें पूजा करना जरूरी है और हर त्यौहार को एक सप्ताह पहले मनाने की बात कही थी जिसके चलते आज भी गांव के लोग अपने देवता को खुश करने हर त्यौहार हफ्तेभर पहले मनाते आ रहे है जो अब एक परंपरा बन गई है.हालांकि अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों से जमाने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि इस परंपरा की शुरुआत कब हुई इससे गांव वाले अनजान है. बताया जाता है कि सालों पहले सिदार नाम के एक पुरुष घोड़े पर सवार होकर सेमरा में अखाड़ा खेलने आया करता था.उस समय गांव घनघोर जंगल के बीच बसा था.जंगली जानवरों के आतंक से सिदार ने गांव की रक्षा की थी.उनके मृत्यु के बाद गांव के लोग उनकी पूजा करने लगे और तब से सिदार के आराध्य देव है.

बाईट...सुधीर बल्लाल,सरपंच सेमरा
बाईट....मोजेराम निषाद,स्थानीय

02. शुक्रवार को सेमरा में होली की खुमारी लोगों के बीच खूब नजर आई.नगाड़े खूब बजते दिखाई दिए तो वही फाग गीतों की गूंज भी खूब सुनाई दी.भले ही आज जमाने के लोग इस पर यकीन ना करें लेकिन बताया जाता है कि ऐसा नहीं करने पर उनके ऊपर आफत आ सकती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी अंधविश्वास के बजाए आस्था से जुड़कर देखता है और इसे आगे भी संजोए रखने का यकीन दिलाता है.उनकी माने तो इसी बहाने उनके रिश्तेदारों से मिलने और मेहमाननवाजी का मौका मिल जाता है जो यहां त्यौहार देखने आते है.

बाईट...संतोष कुमार यादव,स्थानीय युवा
बाईट... कृपाराम सिन्हा,स्थानीय


Conclusion:प्रचलित लोक संस्कृति और परंपरा के अनुसार यहां त्यौहारों को हफ्ते भर पहले इसलिए मना लिया जाता है ताकि ग्राम देवता प्रसन्न रहें.यही कारण है कि इस साल सारा देश जहां होली का त्यौहार 21 मार्च को मनाएगा तो वही यहां सप्ताह भर पहले मना लिया जाएगा.

रामेश्वर मरकाम धमतरी
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