धमतरी: कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन ने हथकरघा व्यापार को चौपट कर दिया है, जिससे बुनकरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. अपनी मेहनत से जो बुनकर कभी एक-एक सूत बुनकर कपड़ों में भर रंग भरते थे, आज उनकी खुद की जिंदगी बेरंग सी हो गई है. बुनकर पाई-पाई को मोहताज हो गए हैं. लॉकडाउन के बाद काम पर वापस लौटे बुनकरों को आने वाले दिनों की चिंता सताने लगी है.
धमतरी के कुरुद में स्थित विकास हाथकरघा सहकारी संस्था से लगभग 250 बुनकर जुड़े हुए हैं. साथ ही इससे ज्यादा लोग घरों में रहकर चादर, बेडशीट, शर्ट कपड़ा बनाने का काम करते हैं. कपड़ा बनाने के बाद बुनकर सहकारी संस्था कुरुद में लाकर खादी कपड़ा को जमा करते हैं, जहां गवर्नमेंट उसकी सप्लाई करती है. साथ ही खादी कपड़े से बने सामान को अपेक्स कंपनी भी उठाव करती है, लेकिन फिलहाल उठाव बंद है, जिससे बुनकर रोजी रोटी को लेकर परेशान हैं.
बुनकरों को रोटी की चिंता
इधर लॉकडाउन के बाद से लगभग 50 लाख से अधिक का खादी कपड़ा जाम पड़ा हुआ है. उठाव नहीं होने के कारण कच्चा माल भी ऊपर से नहीं आ रहा, जिसके कारण लोग बचे हुए धागों से काम चला रहे हैं, लेकिन बुनकरों को कपड़ों की सप्लाई नहीं होने से रोजी रोटी की चिंता सता रही है.
बुनकरों का व्यापार चौपट हो गया
बुनकर पीताम्बर देवांगन और श्रवण देवांगन का कहना है कि अपेक्स कंपनी उनको कच्चा माल देती है, लेकिन अभी सब बंद है, जिससे माल का उठाव भी नहीं हो पा रहा है. ऐसे में बुनकरों को घर बैठने की नौबत आ गई है. इतना ही नहीं लॉकडाउन के कारण किसी तरह की मदद भी नहीं मिली है. ऐसे में न में उनका व्यापार चौपट हो गया है. बुनकरों के समाने रोजी रोटी की परेशानी बनी हुई है.
जिला प्रशासन बुनकरों के मदद के लिए कर रहा काम
वहीं जिला कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि विकास हाथ करघा सहकारी संस्था कुरुद बेहद ही सक्रिय है, जिसको और सक्रिय रखने के लिए जद्दोजहद किया जा रहा. अपेक्स कंपनी माल का उठाव करती है, लेकिन वर्तमान में माल का उठाव नहीं हो रहा है. इसे देखते हुए जिला प्रशासन भी कोशिश में लगा हुआ है, जिससे उनको गुजर बसर में तकलीफ न हो.