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हाथियों ने उजाड़ा आशियाना, 6 महीने से सरकारी मदद की आस, पॉलीथिन की छत के नीचे रहने को मजबूर - पटवारी की लापरवाही

करीब 6 महीने पहले धमतरी के खुदुर पानी गांव में हाथियों का दल तबाही मचाकर निकल गया था, जिसमें गांव के राम रतन का सबकुछ बर्बाद हो गया. उन्हें उस वक्त सरकारी मदद का भरोसा दिलाया गया था, जो आज तक उन्हें नहीं मिला है.

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फाइल फोटो
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Published : Jul 21, 2021, 9:18 AM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी में हाथियों का दल कुछ महीने पहले तबाही मचाकर निकल गया था. इसमें इलाके के रहने वाले राम रतन ध्रुव का सबकुछ उजड़ गया. अब 6 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक पीड़ित बुजुर्ग को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. आज वे टूटे मकान में पॉलीथिन की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं और गुजर-बसर करने के लिए अपनी भैंसों को बेच रहे हैं.

हाथियों ने उजाड़ा आशियाना

खुदुर पानी गांव धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बसा है. इस गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग राम रतन ध्रुव आज बेघर हो चुके हैं. फरवरी माह में हाथियों के एक दल ने राम रतन के मकान को तहस-नहस कर दिया था. घर में रखा सारा अनाज हाथी खा गए थे. हाथियों से जान बचाकर भागने में राम रतन जरूर कामयाब रहे, लेकिन हाथियों के जाने के बाद जब वे लौटे, तो घर की ईंटों के साथ, खाने और रहने का सहारा भी बिखर चुका था. खेत की फसल चौपट हो चुकी थी.

जशपुर में हाथी के हमले से महिला की मौत

इस घटना के बाद एक झटके में राम रतन खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए. आज वह अपने टूटे मकान की बची हुई इकलौती दीवार से पॉलीथिन बांधकर उसके नीचे ही अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. जंगल की लकड़ी और पत्थरों से बने चूल्हे पर खाना बनाते हैं. उसके पास 15 भैंस थी, अब 4 ही बची हैं. बाकी उन्हें खर्च के लिए बेचने पड़ गए. आज दुर्गम रास्तों से होकर कोई भी आता है, तो राम रतन उसे सरकारी अधिकारी समझते हैं. वह इसलिए क्योंकि उन्हें बताया गया था कि सरकार उन्हें नुकसान के बदले मुआवजा देगी, लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है.

वन विभाग के मुताबिक राजस्व विभाग के कारण देर ज्यादा हो गई. पटवारी की लापरवाही से प्रकरण वन विभाग तक पहुंच ही नहीं पाया. अब आला अफसरों की सख्ती के बाद मैदानी अमला हरकत में आया है और मुआवजा देने की तैयारी पीड़ित को की जा रही है.

धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी में हाथियों का दल कुछ महीने पहले तबाही मचाकर निकल गया था. इसमें इलाके के रहने वाले राम रतन ध्रुव का सबकुछ उजड़ गया. अब 6 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक पीड़ित बुजुर्ग को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. आज वे टूटे मकान में पॉलीथिन की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं और गुजर-बसर करने के लिए अपनी भैंसों को बेच रहे हैं.

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खुदुर पानी गांव धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बसा है. इस गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग राम रतन ध्रुव आज बेघर हो चुके हैं. फरवरी माह में हाथियों के एक दल ने राम रतन के मकान को तहस-नहस कर दिया था. घर में रखा सारा अनाज हाथी खा गए थे. हाथियों से जान बचाकर भागने में राम रतन जरूर कामयाब रहे, लेकिन हाथियों के जाने के बाद जब वे लौटे, तो घर की ईंटों के साथ, खाने और रहने का सहारा भी बिखर चुका था. खेत की फसल चौपट हो चुकी थी.

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इस घटना के बाद एक झटके में राम रतन खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए. आज वह अपने टूटे मकान की बची हुई इकलौती दीवार से पॉलीथिन बांधकर उसके नीचे ही अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. जंगल की लकड़ी और पत्थरों से बने चूल्हे पर खाना बनाते हैं. उसके पास 15 भैंस थी, अब 4 ही बची हैं. बाकी उन्हें खर्च के लिए बेचने पड़ गए. आज दुर्गम रास्तों से होकर कोई भी आता है, तो राम रतन उसे सरकारी अधिकारी समझते हैं. वह इसलिए क्योंकि उन्हें बताया गया था कि सरकार उन्हें नुकसान के बदले मुआवजा देगी, लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है.

वन विभाग के मुताबिक राजस्व विभाग के कारण देर ज्यादा हो गई. पटवारी की लापरवाही से प्रकरण वन विभाग तक पहुंच ही नहीं पाया. अब आला अफसरों की सख्ती के बाद मैदानी अमला हरकत में आया है और मुआवजा देने की तैयारी पीड़ित को की जा रही है.

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