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धमतरी: धड़ल्ले से चल रहे हैं जुए के फड़, पुलिस प्रशासन अंजान या मौन!

जिला बीते कुछ महीनों से जुआरियों का गढ़ बन चुका है. यहां घने जंगलों के बीच जुआरियों के फड़ लगते हैं. सूत्रों के मुताबिक जुआ फड़ों को संचालित करने वाले भी राजिम इलाके के हैं.

धड़ल्ले से चल रहे हैं जुए के फड़
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Published : May 21, 2019, 9:23 AM IST

धमतरी: जिले के मगरलोड और केरेगांव थाना के फुटहामुड़ा के जंगलों में जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है. इतना ही नहीं ये जुआरी किसी भी तरह के खतरे से बचने के लिए मुखबिर तैनात रखते हैं जो इन्हें समय समय पर सूचित करते रहते हैं. ऐसे में लगातार बढ़ रहे फड़ों से पुलिस प्रशासन के काम पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

धड़ल्ले से चल रहे हैं जुए के फड़

जुआरियों का गढ़
जिला बीते कुछ महीनों से जुआरियों का गढ़ बन चुका है. यहां घने जंगलों के बीच जुआरियों के फड़ लगते हैं. सूत्रों के मुताबिक जुआ फड़ों को संचालित करने वाले भी राजिम इलाके के हैं. इन फड़ों में शौकीनों के लिए शराब सिगरेट और मिनरल वाटर की भी सुविधा रहती है.

हजारों रुपए की एंट्री फीस
फड़ के संचालक यहां आने वाले लोगों से सुरक्षा और सुविधा के नाम पर हजारों रुपए की एंट्री फीस लेते हैं. जिसकी बाजी चलती है उसे बतौर इनाम मोटी रकम अदा करनी पड़ती है. खास बात ये कि ये फड़ कई बार तो 24 घंटे भी लगातार चलते हैं. रोजाना यहां 52 परी और जोकर के पीछे लाखों रुपए दांव पर लगते हैं.

जिम्मेदारों की मिलीभगल
धमतरी में बीते कई साल से जुआ लगभग बैन था. लेकिन करीब 6 महीनों से फिर बड़े फड़ सजने लगे हैं. दबी जुबान में ये चर्चा जरूर है कि जुआ चलाने वालों को जिम्मेदारों ने खुद हरि झंडी दे रखी है. उसके एवज में मोटी रकम का लेनदेन किया जाता है. जिसका बंटवारा रैंक और पद के हिसाब से होता है. दिखावे के नाम पर छोटी-मोटी कार्रवाई भी होती है.

बड़े अफसरों ने नोट के बंडलों से अपनी निष्ठा का सौदा किया हुआ है. इसलिए जुआ खेलने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती और जुआ बेधड़क चलता है.

धमतरी: जिले के मगरलोड और केरेगांव थाना के फुटहामुड़ा के जंगलों में जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है. इतना ही नहीं ये जुआरी किसी भी तरह के खतरे से बचने के लिए मुखबिर तैनात रखते हैं जो इन्हें समय समय पर सूचित करते रहते हैं. ऐसे में लगातार बढ़ रहे फड़ों से पुलिस प्रशासन के काम पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

धड़ल्ले से चल रहे हैं जुए के फड़

जुआरियों का गढ़
जिला बीते कुछ महीनों से जुआरियों का गढ़ बन चुका है. यहां घने जंगलों के बीच जुआरियों के फड़ लगते हैं. सूत्रों के मुताबिक जुआ फड़ों को संचालित करने वाले भी राजिम इलाके के हैं. इन फड़ों में शौकीनों के लिए शराब सिगरेट और मिनरल वाटर की भी सुविधा रहती है.

हजारों रुपए की एंट्री फीस
फड़ के संचालक यहां आने वाले लोगों से सुरक्षा और सुविधा के नाम पर हजारों रुपए की एंट्री फीस लेते हैं. जिसकी बाजी चलती है उसे बतौर इनाम मोटी रकम अदा करनी पड़ती है. खास बात ये कि ये फड़ कई बार तो 24 घंटे भी लगातार चलते हैं. रोजाना यहां 52 परी और जोकर के पीछे लाखों रुपए दांव पर लगते हैं.

जिम्मेदारों की मिलीभगल
धमतरी में बीते कई साल से जुआ लगभग बैन था. लेकिन करीब 6 महीनों से फिर बड़े फड़ सजने लगे हैं. दबी जुबान में ये चर्चा जरूर है कि जुआ चलाने वालों को जिम्मेदारों ने खुद हरि झंडी दे रखी है. उसके एवज में मोटी रकम का लेनदेन किया जाता है. जिसका बंटवारा रैंक और पद के हिसाब से होता है. दिखावे के नाम पर छोटी-मोटी कार्रवाई भी होती है.

बड़े अफसरों ने नोट के बंडलों से अपनी निष्ठा का सौदा किया हुआ है. इसलिए जुआ खेलने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती और जुआ बेधड़क चलता है.

Intro:
धमतरी जिला बीते कुछ माह से जुआरियो का गढ़ बन चुका है.जिले के मगरलोङ और केरेगांव थाना के फुटहामुड़ा के जंगलों में रोज जुआरी इकट्ठा होते है जिन जगहों में फड़ लगता है वो आबादी से दूर घने जंगल के बीच होते है और उसके आस पास हर रास्ते पर जुआरी अपना मुखबिर तैनात रखते है जो किसी पत्रकार या पुलिस के इलाके में मूवमेंट की फौरन मोबाइल से सूचना देता है.इन मुखबिरों को ऊंची पगार में रखा जाता है.इतना ही नही फड़ में लठैत टाइप लोग भी रहते है जो मौका पड़ने पर किसी पर भी हमला कर सकते है.यहाँ न सिर्फ धमतरी के बल्कि रायपुर, राजिम, चारामा के भी जुआरी आते हैं.Body:
विश्वस्त सूत्रों के हवाले मिली जानकारी के मुताबिक जुआ फड़ो को संचालित करने वाले भी राजिम इलाके के हैं... इन फड़ो मे शौकीनों के लिए शराब सिगरेट और मिनरल वाटर की भी सुविधा रहती है.यहाँ जुए की खुजली मिटाने आने वाले धनाढ्य वर्ग के होते हैं.जिनसे फाड़ संचालक सुरक्षा और सुविधा के नाम पर हजारो रुपये की एंट्री फीस लेता है जिसकी बाजी चलती है उसे बतौर नाल मोटी रकम अदा करनी पड़ती है.खास बात ये की ये फड़ कई बार तो 24 घंटे भी लगातार चल जाते हैं.रोजाना यहाँ 52 पारी और जोकर के पीछे लाखो रुपये दांव पर लगते हैं.

धमतरी में बीते कई साल से जुआ लगभग बैंद था लेकिन करीब 6 माह से फिर बड़े फड़ सजने लगे है.ये तमाम सूचना और जानकारी आम जनता के बीच है लेकिन पुलिस क्या कर रही है ये सवाल भी लोग पूछते हैं.वैसे इस बात का कोई प्रमाण तो नही है लेकिन दबी जुबान में ये चर्चा जरुर ही कि जुआ चलाने वालों को जिम्मेदारों ने खुद हरि झंडी दे रखी है और उसके एवज में मोटी रकम का लेनदेन किया जाता है.जिसका बंटवारा रैंक और पद के हिसाब से होता है.दिखावे के नाम पर छोटी मोटी कार्रवाई भी होती है.लेकिन बड़ी मछलियों ने नोटों के बंडलों से निष्ठा का सौदा किया हुआ है इसलिए जुआ पकड़ने के लिए बड़े फंदे नही डाले जाते और जुआ बेधड़क चलता है.एक फिल्मी गाने के बोल यहाँ प्रासंगिक है कि’सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का’

बाईट ...अशरफ विरानी,स्थानीय नागरिक
बाईट ...केपी चंदेल,एएसपी धमतरी

रामेश्वर मरकाम धमतरी


Conclusion:
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