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कोर्रा जिला सहकारी बैंक से लाखों रुपए के गबन में 13 साल बाद FIR

धमतरी के भखारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोर्रा में संचालित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में 80 लाख से भी ज्यादा का गबन हुआ था. इस मामले में 13 साल बाद एफआईआर दर्ज की गई है.

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गबन के मामले में 13 साल बाद दर्ज कराई गई FIR
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Published : Sep 8, 2020, 10:33 PM IST

धमतरी: कोर्रा जिला सहकारी बैंक में लाखों रुपये के फर्जीवाड़ा किए जाने का खुलासा हुआ है. आरोप है कि 2007 से लेकर 2012 के बीच किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर मैनेजर, कैशियर, चपरासी और चौकीदार ने मिलकर लाखों रुपये का आहरण कर घोटाले को अंजाम दिया था. अब इस मामले में 13 साल बाद चारों के खिलाफ भखारा थाने में अपराध दर्ज किया गया है. कोर्रा में संचालित जिला सहकारी बैंक मर्यादित शाखा के बर्खास्त मैनेजर कुमार दत्त दुबे, कैशियर राजकुमार साहू सहित चपरासी झाड़ूराम साहू और चौकीदार रामकुमार सिंह पर मिलीभगत कर 2007 से 2012 के बीच किसानों में 59 लाख 69 हजार 58 रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप है.

गबन केस में 13 साल बाद FIR

साल 2012 में हाथ से लिखा पढ़ी समाप्त होने के बाद कंप्यूटर में लेन देन की एंट्री शुरू हई. तब यह घोटाला सामने आया. हांलाकि इस बीच में कई बैंक मैनेजर आए लेकिन किसी ने भी विधिवत FIR दर्ज नहीं कराई थी. जिसके चलते मामला पेंडिंग था. बता दें यह मामला विधानसभा में भी उठा था. जिसके बाद वर्तमान बैंक मैनेजर को उच्च कार्यालय से करीब 8 बार रिमांइडर मिल चुका था. आखिरकार इस मामले में FIR दर्ज कराई गई है.

पढ़ें: रायपुर: आयुर्वेदिक कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन, स्टाइपेंड नहीं मिलने से परेशान

पैसों की वापसी, लेकिन देनदारी अब भी बाकी
जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने 2007 से लेकर 2012 के बीच करीब 83 लाख रुपयों का गबन किया था. मामला उजागर होने के बाद आरोपी कुमार दत्त दुबे ने करीब 19 लाख रुपये जमा कर दिया. 4 लाख रुपये जो किसानों के नाम पर फर्जी जमा किया गया था उसे किसानों से लेकर बैंक में जमा करवा दिया गया. इस तरह वर्तमान में करीब 60 लाख रुपये की रिकवरी बाकी है. फिलहाल इस मामले में वर्तमान बैंक मैनेजर किशनचंद यादव की शिकायत पर तीन सदस्यीय जांच टीम घोटाले का प्रमाण मिलने के बाद चारों बर्खास्त आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है.

धमतरी: कोर्रा जिला सहकारी बैंक में लाखों रुपये के फर्जीवाड़ा किए जाने का खुलासा हुआ है. आरोप है कि 2007 से लेकर 2012 के बीच किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर मैनेजर, कैशियर, चपरासी और चौकीदार ने मिलकर लाखों रुपये का आहरण कर घोटाले को अंजाम दिया था. अब इस मामले में 13 साल बाद चारों के खिलाफ भखारा थाने में अपराध दर्ज किया गया है. कोर्रा में संचालित जिला सहकारी बैंक मर्यादित शाखा के बर्खास्त मैनेजर कुमार दत्त दुबे, कैशियर राजकुमार साहू सहित चपरासी झाड़ूराम साहू और चौकीदार रामकुमार सिंह पर मिलीभगत कर 2007 से 2012 के बीच किसानों में 59 लाख 69 हजार 58 रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप है.

गबन केस में 13 साल बाद FIR

साल 2012 में हाथ से लिखा पढ़ी समाप्त होने के बाद कंप्यूटर में लेन देन की एंट्री शुरू हई. तब यह घोटाला सामने आया. हांलाकि इस बीच में कई बैंक मैनेजर आए लेकिन किसी ने भी विधिवत FIR दर्ज नहीं कराई थी. जिसके चलते मामला पेंडिंग था. बता दें यह मामला विधानसभा में भी उठा था. जिसके बाद वर्तमान बैंक मैनेजर को उच्च कार्यालय से करीब 8 बार रिमांइडर मिल चुका था. आखिरकार इस मामले में FIR दर्ज कराई गई है.

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पैसों की वापसी, लेकिन देनदारी अब भी बाकी
जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने 2007 से लेकर 2012 के बीच करीब 83 लाख रुपयों का गबन किया था. मामला उजागर होने के बाद आरोपी कुमार दत्त दुबे ने करीब 19 लाख रुपये जमा कर दिया. 4 लाख रुपये जो किसानों के नाम पर फर्जी जमा किया गया था उसे किसानों से लेकर बैंक में जमा करवा दिया गया. इस तरह वर्तमान में करीब 60 लाख रुपये की रिकवरी बाकी है. फिलहाल इस मामले में वर्तमान बैंक मैनेजर किशनचंद यादव की शिकायत पर तीन सदस्यीय जांच टीम घोटाले का प्रमाण मिलने के बाद चारों बर्खास्त आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है.

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