धमतरी: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का जहां अन्य कामों पर असर पड़ा है, तो वहीं कृषि क्षेत्र भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कोरोना वायरस की इस महामारी ने धमतरी के किसानों की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के कारण जिले में सब्जी की फसल चौपट हो गई है. हालात यह है कि जिले के किसान सब्जियां औने पौने दाम पर बेच रहे हैं और जो सब्जियां बच गई हैं, उन्हें खेतों में ही सड़ने के लिए फेंकने को मजबूर हैं.
कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है, हालांकि छत्तीसगढ़ में ग्रीन जोन वाले जिलों को इससे राहत दी गई है और इस दौरान सब्जियों को जरूर लिस्ट में रखा गया है. लेकिन अच्छी खेती होने के बाद भी जिले के कई किसानों को इससे नुकसान उठाना पड़ रहा है, जो किसान तीन महीने के खेती में 50 से 70 हजार का मुनाफा कमा लेते थे, वे इस बार लॉकडाउन के कारण उतने ही घाटे में हैं.
किसान कड़ी मेहनत कर उगाते हैं फसल
जिले के दुधावा बांध का डुबान क्षेत्र में 250 से ज्यादा एकड़ जमीन हर साल 3 से 4 महीने हरी भरी रहती है. इलाके के बनोरा, भूमका सहित भुरसीडोंगरी से छोटे छोटे किसान यहां खेतों को लीज पर लेते हैं और कड़ी मेहनत करके इस पर हरी सब्जियां उगाते हैं. जब तक इन खेतों में उगाई गई सब्जियां बिकती हैं, तब तक इलाके के लोग सस्ती और ताजी हरी सब्जी खाते हैं.
खेत में पड़े-पड़े सड़ रही हैं सब्जी
किसान यहां पर्याप्त मात्रा में कद्दू, लौकी, भिंडी, ग्वारफली, खीरा, ककड़ी सहित अन्य सब्जी उगाते हैं. इस जमीन पर उगाई गई सब्जियां पूरे ब्लॉक में नहीं बल्कि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी जाती हैं. इस खेती से किसानों को लगभग 1 लाख रुपये तक का फायदा होता है. लेकिन लॉकडाउन ने इस बार इनके किए कराए पर पानी फेर दिया है. पर्याप्त मात्रा में सब्जियां होने के बाद भी इन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि, खेतों में सब्जियां पड़े-पड़े सड़ रही हैं, या तो उन्हें किसान फेंकने को मजबूर हो गए हैं.
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नहीं हैं मंदी में डिमांड
लॉकडाउन की वजह से बहुत कम बाजार लग रहे हैं और जो लगते भी हैं, उनमें मंदी की वजह से डिमांड नहीं है. सब्जी की खेती करने वाले किसान बताते हैं, कि वो सब्जियों को इलाके के क्षेत्रीय बाजारों में बेचा करते थे, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण बाजारों में इनकी डिमांड कम हो गई है और खरीददार भी नहीं मिल रहे हैं. दोपहर तक आधी सब्जियां ही बिकती हैं, बाकी बची सब्जियों को खेतों में लाकर सड़ने के लिए फेंक देते हैं.
किसान प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
बहरहाल लॉकडाउन के कारण आई मंदी की वजह से किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसान सरकार और प्रशासन से यही उम्मीद कर रहे हैं, कि वे कोई ऐसी व्यवस्था बनाए, जिससे उनकी फसल की लागत ही निकल आए.