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सियासत के फेर में फंसा किसान, कम रेट में धान बेचने को है मजबूर - कांग्रेस और भाजपा

धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ने से किसान मजबूरी में मंडी में कम दाम पर धान बेचने के लिए मजबूर हैं.

कम रेट में धान बेच रहे किसान
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Published : Nov 7, 2019, 10:26 PM IST

Updated : Nov 7, 2019, 11:38 PM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ में एक तरफ धान खरीदी पर सियासत मची हुई है, तो वहीं दूसरी ओर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. किसान अपनी उपज को कम दामों पर बेचने को मजबूर है. किसानों के धान को कम दामों पर खरीदने के लिए व्यापारी और कोचिये भी सक्रिय हो गए हैं.

कम रेट में धान बेचने को मजबूरहै किसान

दरअसल, धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इस सियासत का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं. धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की तिथि बढ़ने से किसान मंडी की ओर रुख कर रहे हैं.

कम दामों में बेचने को मजबूर
किसानों का कहना है कि 'मजदूरों और साहूकारों को रुपए देने के लिए कम दामों पर अपनी फसल बेचकर जाना पड़ रहा है, किसान मंडी में 1500 से 1800 की कीमत पर धान बेच रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से धान खरीदी केंद्रों में धान समर्थन मूल्य 2500 रुपए तय किया गया है, लेकिन देरी से खरीदी होने के कारण कम दाम पर धान बेचने के लिए किसान मजबूर हैं.

धान की आवक बढ़ी
मंडी सचिव का कहना है कि रोजाना तकरीबन 1700 क्विंटल नए धान की आवक हो रही है. इसके अलावा सांभा धान सहित अन्य धान की आवक भी हो रही है. वहीं सोसायटी में धान खरीदी नहीं होने से मंडी में नए धान की आवक बढ़ने की संभावना है.

किसानों में मायूसी
गौरतलब है कि मौसम साफ होने के कारण गांव में धान की कटाई का काम तेजी से किया जा रहा है. किसान मजदूरों के अलावा थ्रेसर का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे कटाई-मिंजाई का कार्य जल्दी हो सके. इधर मंडी में भी नए धान आवक भी शुरू हो गई है, लेकिन किसानों को इसका वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों में मायूसी है.

धमतरी: छत्तीसगढ़ में एक तरफ धान खरीदी पर सियासत मची हुई है, तो वहीं दूसरी ओर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. किसान अपनी उपज को कम दामों पर बेचने को मजबूर है. किसानों के धान को कम दामों पर खरीदने के लिए व्यापारी और कोचिये भी सक्रिय हो गए हैं.

कम रेट में धान बेचने को मजबूरहै किसान

दरअसल, धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इस सियासत का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं. धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की तिथि बढ़ने से किसान मंडी की ओर रुख कर रहे हैं.

कम दामों में बेचने को मजबूर
किसानों का कहना है कि 'मजदूरों और साहूकारों को रुपए देने के लिए कम दामों पर अपनी फसल बेचकर जाना पड़ रहा है, किसान मंडी में 1500 से 1800 की कीमत पर धान बेच रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से धान खरीदी केंद्रों में धान समर्थन मूल्य 2500 रुपए तय किया गया है, लेकिन देरी से खरीदी होने के कारण कम दाम पर धान बेचने के लिए किसान मजबूर हैं.

धान की आवक बढ़ी
मंडी सचिव का कहना है कि रोजाना तकरीबन 1700 क्विंटल नए धान की आवक हो रही है. इसके अलावा सांभा धान सहित अन्य धान की आवक भी हो रही है. वहीं सोसायटी में धान खरीदी नहीं होने से मंडी में नए धान की आवक बढ़ने की संभावना है.

किसानों में मायूसी
गौरतलब है कि मौसम साफ होने के कारण गांव में धान की कटाई का काम तेजी से किया जा रहा है. किसान मजदूरों के अलावा थ्रेसर का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे कटाई-मिंजाई का कार्य जल्दी हो सके. इधर मंडी में भी नए धान आवक भी शुरू हो गई है, लेकिन किसानों को इसका वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों में मायूसी है.

Intro:प्रदेश में एक तरफ धान खरीदी पर सियासत मची हुई है तो वही दूसरी ऒर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान अपने उपज को कम दर पर बेचने को मजबूर है.धमतरी में भी किसानों ने सरकारी समर्थन मूल्य से एक हजार कम दर पर धान बेचना शुरू कर दिया है ऐसे में किसानों की इस मजबूरी का फायदा उठाने व्यापारी और कोचिये सक्रिय हो गए है.




Body:दरअसल धान खरीदी को लेकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों में इन दिनों आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन इस सियासत का खामियाजा किसान भुगत रहे है.धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की तिथि बढ़ने से किसान मंडी की ऒर रुख कर रहे है लेकिन उन्हें उनके उपज का वाजिब कीमत नहीं मिल रहा है ऐसे में किसान अब मायूस नजर आ रहे है.

धमतरी मंडी में सोमवार से ही धान खरीदी शुरू हो गई है यहां प्रमुख रूप से जल्दी पकने वाली किस्म के आई आर 64 की फसल आ रही है जो तकरीबन 1500 रु के आसपास बिक रही है जबकि धान खरीदी केंद्रों में यही फसल समर्थन मूल्य में 2500 रु तय है.किसानों का कहना है कि धान की कटाई मिंजाई के बाद मजदूरों का भुगतान करना जरूरी हो गया था इसलिए वह धान बेचने मंडी पहुंच रहे है जहां उन्हें औने पौने दाम में बेचना पड़ रहा है.

मंडी सचिव की माने तो मंडी में रोजाना तकरीबन 1700 क्विंटल नए धान की आवक हो रही है इसके अलावा सांभा धान सहित अन्य धान की आवक हो रही है.वही सोसायटी में धान खरीदी नही होने से मंडी में नए धान की आवक बढ़ने की सम्भावना जता रहे है.



Conclusion:गौरतलब है कि मौसम साफ होने के कारण गांव में धान की कटाई का कार्य जोर पकड़ लिया है.किसान मजदूरों के अलावा थ्रेसर में भी उपयोग कर रहे हैं ताकि कटाई मिंजाई का कार्य जल्दी हो सके.इधर मंडी में भी नए धान आवक भी शुरू हो गया है लेकिन किसानों को इसका वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है इससे किसानों में मायूसी है.

बाईट_01 सहदेव निर्लमकर,किसान(गमछा वाला)
बाईट_02 माधवेन्द्र हिरवानी,किसान(युवा)
बाईट_03 डी.के.सिंग,मंडी सचिव(कुर्सी पर बैठा हुआ)

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
Last Updated : Nov 7, 2019, 11:38 PM IST
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