धमतरी: छत्तीसगढ़ में एक तरफ धान खरीदी पर सियासत मची हुई है, तो वहीं दूसरी ओर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. किसान अपनी उपज को कम दामों पर बेचने को मजबूर है. किसानों के धान को कम दामों पर खरीदने के लिए व्यापारी और कोचिये भी सक्रिय हो गए हैं.
दरअसल, धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इस सियासत का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं. धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की तिथि बढ़ने से किसान मंडी की ओर रुख कर रहे हैं.
कम दामों में बेचने को मजबूर
किसानों का कहना है कि 'मजदूरों और साहूकारों को रुपए देने के लिए कम दामों पर अपनी फसल बेचकर जाना पड़ रहा है, किसान मंडी में 1500 से 1800 की कीमत पर धान बेच रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से धान खरीदी केंद्रों में धान समर्थन मूल्य 2500 रुपए तय किया गया है, लेकिन देरी से खरीदी होने के कारण कम दाम पर धान बेचने के लिए किसान मजबूर हैं.
धान की आवक बढ़ी
मंडी सचिव का कहना है कि रोजाना तकरीबन 1700 क्विंटल नए धान की आवक हो रही है. इसके अलावा सांभा धान सहित अन्य धान की आवक भी हो रही है. वहीं सोसायटी में धान खरीदी नहीं होने से मंडी में नए धान की आवक बढ़ने की संभावना है.
किसानों में मायूसी
गौरतलब है कि मौसम साफ होने के कारण गांव में धान की कटाई का काम तेजी से किया जा रहा है. किसान मजदूरों के अलावा थ्रेसर का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे कटाई-मिंजाई का कार्य जल्दी हो सके. इधर मंडी में भी नए धान आवक भी शुरू हो गई है, लेकिन किसानों को इसका वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों में मायूसी है.