धमतरी: कुरूद में मंगलवार को लगने वाला सुखी मछली का बाजार पूरे देश में विख्यात है. छत्तीसगढ़ का ऐसा बाजार, जहां आंध्र प्रदेश, मुबंई, ओडिशा, विशाखापट्टनम सहित राज्य के रायपुर, जगदलपुर, बस्तर के व्यापारी सुखी मछली की खरीदी के लिए आते हैं. वर्तमान में मछलियों की कम आवक से दशकों से विख्यात कुरुद मछली बाजार अब अपनी रौनकता खोते जा रहा है.
धमतरी में ज्यादा बांध, नाले और तालाबों के चलते मछली की आवक अच्छी होती थी. वहीं खेतों नालों में भी छोटी मछली का उत्पादन किया जाता था. जिसे लोग सुखाकर सुकसी बनाते थे. जिसके बाद उसे बाजार में बेचने लाते थे. जो मछुआरों सहित अन्य लोगों के लिए भी रोजगार का साधन रहा है, लेकिन समय के साथ-साथ बाजार में भीड़ कम होती जा रही है. अब दूर से आने वाले व्यापारी नहीं आते, वहीं मेहनत के मुताबिक रुपये नहीं मिलने से स्थानीय व्यापारी मायूस दिखे.
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40 से 50 साल पहले व्यापारी मछली बाजार से मछली लेकर बैलगाड़ी में भर कर रेलवे स्टेशन तक ले जाते थे. जानकारी के अनुसार वर्तमान में 1 चुमड़ी मछली 1200 रुपये में खरीदकर व्यापारी 2 हजार से 5 हजार तक कमाई करते हैं. वहीं खरीददार बताते हैं कि मछली खरीदी का कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे हैं. मछली की किस्म में कोतरी, डंरई, रुदुवा, बाम्बी, चिंगरी, टेंगना आदि मछलियों की बाजार में अच्छी मांग है.