धमतरी: 29 अप्रैल को 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक कोरोना संदिग्ध मिलने की खबर के बाद पूरे जिले में दहशत का माहौल रहा. हालांकि लोगों ने राहत की सांस तब ली जब प्रशासन ने इसे मॉकड्रिल बताया और जिसे कोरोना पॉजिटिव मरीज बताया जा रहा था, दरअसल वह एक कोरोना का डमी मरीज था. कोरोना पॉजिटिव के डमी मरीज बने गिरिवर वर्मा से ETV BHARAT ने खास बातचीत की.
29 अप्रैल को हुआ मॉकड्रिल
29 अप्रैल को धमतरी में उस वक्त सनसनी फैल गई जब जालमपुर वार्ड में कोरोना संदिग्ध मिलने की सूचना सामने आई, खबर सामने आने के बाद पूरे शहर में आग की तरह फैल गई, लेकिन बाद में जिला प्रशासन ने इसे मॉकड्रिल बताकर सबको चौंका दिया. दरअसल इस मॉकड्रिल के पीछे जिला प्रशासन का मकसद था कि वह जान सके कि यदि वाकई में ऐसी स्थिति बनती है तो स्वास्थ्य अमले से लेकर जिला प्रशासन की तैयारी कितनी पूरी है.
डमी मरीज बने गिरिवर वर्मा से खास बातचीत
कोरोना पॉजिटिव के डमी मरीज बने गिरिवर वर्मा ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि वह फरवरी में दिल्ली गया था और दो-तीन दिन बाद वहां से लौट आया. इस दौरान 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. स्वास्थ्य विभाग ने 28 अप्रैल तक उन्हें क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए कहा जिसका उन्होंने पालन भी किया. अचानक मॉकड्रिल के एक दिन पहले एडिशनल एसपी का उनके पास फोन आया और उसे ऑफिस बुलवाया गया और उनसे मॉकड्रिल में मदद करने को कहा गया.
इस पूरे मॉकड्रिल में गिरिवार वर्मा को एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की भूमिका निभानी थी, जिसके लिए वह तैयार भी हो गए और प्रशासन के योजना के मुताबिक 11 बजे उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को फोन कर बताया कि कोरोना संदिग्ध है और करीब 1 बजे उनका चेकअप हुआ फिर उन्हें एम्स रायपुर ले जाया गया. उन्होंने बताया कि मॉकड्रिल के दौरान चेकअप करने आए स्वास्थ्य कर्मचारियों में आत्मविश्वास की कमी थी. कर्मचारियों में हड़बड़ाहट और घबराहट दोनों ही साफ नजर आ रही थी. अगर शहर में इस तरह के हालात बनते हैं तो मुश्किलें हो सकती है.
जागरूकता के बदले मिली जिल्लत
वहीं मॉकड्रिल के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए गिरिवर वर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया में उनके खिलाफ निगेटिव बातों का जिक्र किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें अब लोग कोरोना मरीज कहकर पुकार रहे हैं. जबकि लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने डमी मरीज का किरदार निभाया था.