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SPECIAL: मिलिए बिना डिग्री वाले इस इंजीनियर से, बिना पेट्रोल के चलती है इनकी मोटरसाइकिल

नगरी ब्लॉक के छिपली गांव में रहने वाले डाकेश साहू महज 12वीं पास हैं, जिनका लगाव मशीनों से है. कृषि विज्ञान की पढ़ाई की है. मुकम्मल सुविधा नहीं, कमजोर आर्थिक स्थिति, वनांचल इलाका, फिर भी लगन मजबूत. अपने इरादों के बल पर उसने अपने सपनों को पंख दे दिया. बिना पेट्रोल के चलती है इनकी मोटरसाइकिल

बिना पेट्रोल के चलती है इनकी मोटरसाइकिल
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Published : Jun 9, 2019, 3:23 PM IST

धमतरी: मन में जिज्ञासा कुछ कर जाने की ललक. मेहनत से मुंह न मोड़ना और मंजिल को छूने की जिद, इंसान को सब मुमकिन करा देती है. कुछ ऐसी ही कहानी है डाकेश की, जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से बिना पेट्रोल-डीजल से सड़कों पर दौड़ने वाली साइकिल बनाई है.

बिना पेट्रोल के चलती है इनकी मोटरसाइकिल

इरादे मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं
वो कहते हैं न इरादे मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है, सब हासिल हो जाता है. बस मन में उसे कर जाने की जिद होनी चाहिए. ऐसा ही कमाल धमतरी के वनांचल इलाके में रहने वाले डाकेश ने कर दिखाया है. महज 12वीं पास इस युवक ने बैटरी और मोटर से चलने वाली मोटरसाइकिल बना आदिवासी अंचल में एक नई प्रेरणा दी है, युवाओं को एक सीख दी है. उसने इस खोज से वनांचल क्षेत्र का मान बढ़ाया है.

वनांचल इलाके के डाकेश का कमाल
दरअसल नगरी ब्लॉक के छिपली गांव में रहने वाले डाकेश साहू महज 12वीं पास हैं, जिनका लगाव मशीनों से है. कृषि विज्ञान की पढ़ाई की है. मुकम्मल सुविधा नहीं, कमजोर आर्थिक स्थिति, वनांचल इलाका, फिर भी लगन मजबूत. अपने इरादों के बल पर उसने अपने सपनों को पंख दे दिया.

हुनर से निकाला तरकीब फिर साइकिल में डाला जान
डाकेश ने अपने हुनर से साइकिल में जान डालने की तरकीब निकाली, उसने साइकिल में एक हजार वाट की मोटर लगायी, 2 बैटरियां लगायी, जिससे विद्युत सप्लाई की. फिर देखते ही देखते इसकी साइकिल बिना पेडल मारे 45 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से सड़क पर दौड़ने लगी. 6 जून को वह पहली बार नगर की सड़कों पर निकला तो, देखने वालों की भीड़ लग गई. चारों तरफ से वाहवाही, घर से शाबासी और खोज को बड़ा करने का जुनून ने मुश्किल को भी संभव बना दिया.

महज दो दिन में बनाई ये साइकिल
इस साइकिल को तैयार करने में महज 8 हजार रुपये लगे हैं, इससे ज्यादा हैरत की बात तो ये है कि डाकेश ने इसे मूर्त रूप देने में महज 2 दिन लगाया है. इसमें 1 हॉर्स पावर की मोटर बैटरी और कंट्रोल पैनल भी लगा है, जिससे इसे कंट्रोल किया जाता है. बेटे की इस खोज से पूरा परिवार खुश है और गौरान्वित महसूस कर रहा है. वहीं डाकेश भी आगे चलकर कृषि यंत्र बनाना चाहता है, जिससे किसानों का भला कर सकें.

धमतरी: मन में जिज्ञासा कुछ कर जाने की ललक. मेहनत से मुंह न मोड़ना और मंजिल को छूने की जिद, इंसान को सब मुमकिन करा देती है. कुछ ऐसी ही कहानी है डाकेश की, जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से बिना पेट्रोल-डीजल से सड़कों पर दौड़ने वाली साइकिल बनाई है.

बिना पेट्रोल के चलती है इनकी मोटरसाइकिल

इरादे मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं
वो कहते हैं न इरादे मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है, सब हासिल हो जाता है. बस मन में उसे कर जाने की जिद होनी चाहिए. ऐसा ही कमाल धमतरी के वनांचल इलाके में रहने वाले डाकेश ने कर दिखाया है. महज 12वीं पास इस युवक ने बैटरी और मोटर से चलने वाली मोटरसाइकिल बना आदिवासी अंचल में एक नई प्रेरणा दी है, युवाओं को एक सीख दी है. उसने इस खोज से वनांचल क्षेत्र का मान बढ़ाया है.

वनांचल इलाके के डाकेश का कमाल
दरअसल नगरी ब्लॉक के छिपली गांव में रहने वाले डाकेश साहू महज 12वीं पास हैं, जिनका लगाव मशीनों से है. कृषि विज्ञान की पढ़ाई की है. मुकम्मल सुविधा नहीं, कमजोर आर्थिक स्थिति, वनांचल इलाका, फिर भी लगन मजबूत. अपने इरादों के बल पर उसने अपने सपनों को पंख दे दिया.

हुनर से निकाला तरकीब फिर साइकिल में डाला जान
डाकेश ने अपने हुनर से साइकिल में जान डालने की तरकीब निकाली, उसने साइकिल में एक हजार वाट की मोटर लगायी, 2 बैटरियां लगायी, जिससे विद्युत सप्लाई की. फिर देखते ही देखते इसकी साइकिल बिना पेडल मारे 45 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से सड़क पर दौड़ने लगी. 6 जून को वह पहली बार नगर की सड़कों पर निकला तो, देखने वालों की भीड़ लग गई. चारों तरफ से वाहवाही, घर से शाबासी और खोज को बड़ा करने का जुनून ने मुश्किल को भी संभव बना दिया.

महज दो दिन में बनाई ये साइकिल
इस साइकिल को तैयार करने में महज 8 हजार रुपये लगे हैं, इससे ज्यादा हैरत की बात तो ये है कि डाकेश ने इसे मूर्त रूप देने में महज 2 दिन लगाया है. इसमें 1 हॉर्स पावर की मोटर बैटरी और कंट्रोल पैनल भी लगा है, जिससे इसे कंट्रोल किया जाता है. बेटे की इस खोज से पूरा परिवार खुश है और गौरान्वित महसूस कर रहा है. वहीं डाकेश भी आगे चलकर कृषि यंत्र बनाना चाहता है, जिससे किसानों का भला कर सकें.

Intro:
एंकर.....कहते है कि अगर आप चाह ले तो क्या कुछ नहीं कर सकते.कुछ ऐसा ही कमाल धमतरी के वनांचल इलाके में रहने वाले डाकेश ने कर दिखाया है.महज 12वीं पास इस युवा ने बैटरी और मोटर से चलने वाली साइकिल बनाकर आदिवासी अंचल के युवाओं को नई प्रेरणा दी है तो वही नई खोज इजाद कर वनांचल क्षेत्र का मान भी बढ़ाया है.
दअरसल नगरी ब्लाक के ग्राम छिपली के रहने वाले डाकेश साहू पढ़ाई के साथ हालर मिल भी चलाता है और मशीनों के काम से उनका बेहद लगाव है.कृषि संकाय से 12 वीं की परीक्षा पास करने बाद इस युवा के मन में बिना पैडल मारे साइकिल चलाने की ललक पैदा हुई. फिर इसी ललक के चलते डाकेश अपने सपनो को पंख दे दिया.डाकेष ने अपने हुनर से साइकिल में एक हजार वाट की मोटर लगाकर दो बैटरी के सहारे 48 वाल्ट की विद्युत सप्लाई की.फिर देखते ही देखते इसकी साइकिल बिना पेडल मारे 45 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से सड़क पर दौड़ने लगी.डाकेश अपनी साइकिल लेकर छह जून को पहली बार नगरी की सड़कों पर निकला तो देखने वालों की भीड़ लग गई.डाकेश का कहना है कि एक बार बैटरी फूल चार्ज होने पर 30 किमी तक चलती है.इस तरह पेट्रोल की भी बचत होती है और पर्यावरण को भी कोई क्षति नहीं पहुंचती.डाकेश ने बताते है कि कक्षा 6 वीं से कुछ न कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का निर्माण कर रहा है उसकी इच्छा है कि आगे चलकर वे कृषकों के लिए आधुनिक उपकरण कम लागत में बनाना चाहता है.
आपको बता दें कि इस बाइक को तैयार करने में लगभग 8000रु का कुल लागत से बना है इसको बनाने में 2 दिन का समय लगा है बाइक बनाने में एक साइकिल 1 हॉर्स पावर का मोटर बैटरी और कंट्रोल पैनल लगा हुआ है

इधर बेटे के इस काम में पूरे परिवार का शुरू से भरपूर सहयोग मिलता रहा.इसके लिए उन्हें अपने दादा लुकेश्वर साहू और पिता सोनूराम साहू प्रेरणा देते रहे.फिलहाल बेटे कि इस खोज से पूरा परिवार बेहद खुश है और गौरान्वित महसूस कर रहे है तो वही डाकेश द्वारा बनाई गई साइकिल को लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है.लोगो से इस युवा को काफी शाबासी मिल रही है.
बाईट... डाकेश साहू
बाईट...राजेश आडिल
बाईट... हिर्दय साहूBody:जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 8319178303Conclusion:
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