धमतरी : वक्त बदला जमाना बदला, लोगों के रहन सहन का तरीका बदला, लेकिन तेलीनसती गांव की वर्षों पुरानी मान्यता में कोई बदलाव नहीं आया. धमतरी से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद गांव में आज भी बिना रावण दहन के दशहरा मनाया जाता है. गांव वालों की मान्यता है कि आग लगने से उन पर मुसीबत आ सकती है.
धमतरी से करीब 3 किलोमीटर दूर तालाब किनारे मौजूद इस मंदिर के इतिहास में ही गांव के अनोखे दस्तूर की दास्तां छिपी है. तेलीनसती नाम के इस गांव में न दशहरे में रावण का दहन किया जाता है और न ही होली जलाई जाती है.
कुछ अलग है यहां की कहानी
वैसे इन त्यौहारों की खुशियां और उमंग यहां छोटे से लेकर हर बड़े और बूढ़ों में बराबर नजर आती है, लेकिन इन दोनों मौके पर गांव में आग नहीं जलाई जाती.
- अगर यह सब होता भी है तो गांव की सरहद के बाहर होता है. आज तक किसी ने इस परंपरा के बाहर जाने की कोशिश नहीं की.
- यहां के लोग कहते हैं कि इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश करने पर गांव में मुसीबत आ जाती है.
- गांव वालों की मानें तो सदियों पहले इस गांव में एक महिला अपने पति की चिता में सती हुई थी तब से यह परंपरा चली आ रही है.
- पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस मान्यता को युवा वर्ग अंधविश्वास से परे आस्था से जोड़कर देखता है और इसे संजोए रखने की बात कहता है.