धमतरी: जिला पंचायत सदस्य को रेत खदान में बंधक बनाकर बेरहमी से पीटने वाला रेत माफिया नागू चंद्राकर आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया. धमतरी पुलिस 37 दिनों से नागू की तलाश में जुटी हुई थी, जिसे राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी जिला पंचायत सदस्य से मारपीट कर फरार चल रहा था.
आरोप है कि नागू चंद्राकर ने जोरातराई रेत खदान में 18 जून की रात जिला पंचायत सदस्य खूबलाल ध्रुव को बंधक बनाकर लाठी, डंडे और राॅड से जानलेवा हमला किया था. इस हमले में जिला पंचायत सदस्य और उनके कुछ साथी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इसके बाद मामला तूल पकड़ लिया. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यह कहना पड़ा था कि रेत खदानों में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
नागू पर 20 हजार रुपए का था इनाम
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस ने नागू चन्द्राकर और उनके गुर्गो के खिलाफ आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. साथ ही इस मामले में माफिया के 9 साथियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन मुख्य आरोपी नागू चंद्राकर घटना के बाद से फरार हो गया था. जिला पुलिस प्रशासन ने नागू का पता बताने वाले को 5 हजार रुपये देने की घोषणा की थी. इसी बीच रायपुर रेंज के आईजी आनंद छाबड़ा ने भी 20 हजार रुपए देने की घोषणा कर दी थी.
साइबर की टीम ने नागू का किया पर्दाफाश
बता दें कि कुख्यात रेत माफिया नागू चंद्राकर करीब 37 दिनों से पुलिस को गुमराह कर रहा था. नागू को पकड़ने पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. धमतरी पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए साइबर की दो टीमें बनाई थी. एक टीम ओडिशा की तरफ गई थी, तो दूसरी टीम राजस्थान गई थी. रेत माफिया नागू लगातार अपना लोकेशन बदल रहा था. ऐसे में उसकी लोकेशन ट्रेस करने में पुलिस को काफी परेशानी हुई, लेकिन आखिर में साइबर की टीम ने नागू को राजस्थान के अजमेर में उसके ड्राइवर के साथ धर दबोचा.
कोरोना काल के बीच नागू कैसे पहुंचा राजस्थान ?
अब सवाल उठ रहा है कि कोरोना के चलते राज्य सरकार ने प्रदेश की सीमाओं को सील किया है, तो ऐसे में नागू चंद्राकर छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश होते पश्चिम बंगाल, उतराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और उसके बाद आखिर राजस्थान कैसे पहुंचा. क्या नागू को किसी राजनेता या फिर पुलिस का संरक्षण मिल रहा था. कई ऐसे सवाल अब उठने लगे हैं.