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Jail Bharo Andolan :सर्व आदिवासी समाज का जेल भरो आंदोलन, मणिपुर की घटना पर जताया आक्रोश - हसदेव बचाओ आंदोलन

Jail Bharo Andolan सर्व आदिवासी समाज ने एक साल बाद हुई एफआईआर के खिलाफ जेल भरो आंदोलन किया.इसी के साथ मणिपुर हिंसा और महिलाओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर आक्रोश व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

Dhamtari News
सर्व आदिवासी समाज का जेल भरो आंदोलन
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Published : Jul 21, 2023, 1:47 PM IST

धमतरी : 23 सूत्रीय मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने जेल भरो आंदोलन किया.इस आंदोलन के दौरान सर्व आदिवासी समाज ने मणिपुर में हुई हिंसा और युवतियों के साथ बदसूलकी की घोर निंदा की. आपको बता दें कि हसदेव बचाओ आंदोलन में शामिल सर्व आदिवासी समाज,गोंडवाना गोंड़ महासभा सहित अन्य संस्थाओं के खिलाफ एक साल बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.जिसके खिलाफ आदिवासी समाज एकजुट हो गया है.इसके साथ ही आदिवासी समाज पेसा एक्ट में संशोधन और पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण, जिला रोस्टर लागू करने की मांग पर अड़े हैं.

सर्व आदिवासी समाज के मुताबिक छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज जंगल में रहते हुए प्राकृतिक रूप से जीवकोपार्जन करते हैं. सरकार सड़क और उद्योग के नाम पर आदिवासियों के जमीन हड़प रही है.सरगुजा क्षेत्र के हसदेव में अडानी को लाभ देने के लिए लाखों पेड़ों की बली चढ़ाई गई. विरोध करने पर समाज के लोगों को परेशान करने के लिए अडानी एंड कंपनी के इशारे पर राज्य सरकार आदिवासियों के खिलाफ केस रजिस्टर्ड करवा रही.


'' आदिवासियों को शोषण हो रहा है. जिन पर एफआईआर दर्ज होना चाहिए,उन पर कोई एफआईआर दर्ज नही किया जा रहा है.फर्जी जाति प्रमाण पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.अपने संवैधानिक मांगों को लेकर आदिवासी समाज लगातार लड़ाई रहा है. लेकिन गूंगी बहरी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.'' सदस्य, सर्व आदिवासी समाज

बसपा ने भी दिया आंदोलन को समर्थन : इस पूरे मामले में बहुजन समाज पार्टी ने भी सर्व आदिवासी समाज का समर्थन किया है. बसपा की माने तो नक्सलवाद के नाम पर आदिवासी समाज को गाजर मूली की तरह काटा जा रहा है. लगातार समाज को टारगेट कर जनसंख्या कम करने की साजिश की जा रही है.समाज की बहन बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है. लेकिन सरकार में बैठे एसटी,एससी नेता चुप्पी साधे हैं.

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मणिपुर हिंसा मामले में आक्रोश : मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. उन्हें निर्वस्त्र करके खुली परेड कराई जा रही है. जो वहां के कानून व्यवस्था पर सीधा चोट है.आज सिर्फ एक महिला ही नही बल्कि देश की अस्मिता भी बेआबरू हो गई है.इसे लेकर समाज में भारी आक्रोश है.मणिपुर में कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है. इस सर्व आदिवासी समाज ने राष्ट्रपति कानून लगाने की मांग की है.

धमतरी : 23 सूत्रीय मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने जेल भरो आंदोलन किया.इस आंदोलन के दौरान सर्व आदिवासी समाज ने मणिपुर में हुई हिंसा और युवतियों के साथ बदसूलकी की घोर निंदा की. आपको बता दें कि हसदेव बचाओ आंदोलन में शामिल सर्व आदिवासी समाज,गोंडवाना गोंड़ महासभा सहित अन्य संस्थाओं के खिलाफ एक साल बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.जिसके खिलाफ आदिवासी समाज एकजुट हो गया है.इसके साथ ही आदिवासी समाज पेसा एक्ट में संशोधन और पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण, जिला रोस्टर लागू करने की मांग पर अड़े हैं.

सर्व आदिवासी समाज के मुताबिक छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज जंगल में रहते हुए प्राकृतिक रूप से जीवकोपार्जन करते हैं. सरकार सड़क और उद्योग के नाम पर आदिवासियों के जमीन हड़प रही है.सरगुजा क्षेत्र के हसदेव में अडानी को लाभ देने के लिए लाखों पेड़ों की बली चढ़ाई गई. विरोध करने पर समाज के लोगों को परेशान करने के लिए अडानी एंड कंपनी के इशारे पर राज्य सरकार आदिवासियों के खिलाफ केस रजिस्टर्ड करवा रही.


'' आदिवासियों को शोषण हो रहा है. जिन पर एफआईआर दर्ज होना चाहिए,उन पर कोई एफआईआर दर्ज नही किया जा रहा है.फर्जी जाति प्रमाण पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.अपने संवैधानिक मांगों को लेकर आदिवासी समाज लगातार लड़ाई रहा है. लेकिन गूंगी बहरी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.'' सदस्य, सर्व आदिवासी समाज

बसपा ने भी दिया आंदोलन को समर्थन : इस पूरे मामले में बहुजन समाज पार्टी ने भी सर्व आदिवासी समाज का समर्थन किया है. बसपा की माने तो नक्सलवाद के नाम पर आदिवासी समाज को गाजर मूली की तरह काटा जा रहा है. लगातार समाज को टारगेट कर जनसंख्या कम करने की साजिश की जा रही है.समाज की बहन बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है. लेकिन सरकार में बैठे एसटी,एससी नेता चुप्पी साधे हैं.

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मणिपुर हिंसा मामले में आक्रोश : मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. उन्हें निर्वस्त्र करके खुली परेड कराई जा रही है. जो वहां के कानून व्यवस्था पर सीधा चोट है.आज सिर्फ एक महिला ही नही बल्कि देश की अस्मिता भी बेआबरू हो गई है.इसे लेकर समाज में भारी आक्रोश है.मणिपुर में कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है. इस सर्व आदिवासी समाज ने राष्ट्रपति कानून लगाने की मांग की है.

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