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Barabandha Primary School : वनांचल क्षेत्र का बरबांधा प्राथमिक स्कूल पेश कर रहा मिसाल, नवोदय और एकलव्य स्कूल में बच्चे होते हैं चयनित - नवोदय विद्यालय

Barabandha Primary School धमतरी के सिहावा का स्कूल नई इबारत लिख रहा है. कहने के लिए ये स्कूल सरकारी है.लेकिन यहां होने वाली पढ़ाई महंगे स्कूलों को भी टक्कर दे रही है.यही वजह है कि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का चयन एकलव्य और नवोदय स्कूलों में होता है.

Barabandha Primary School
वनांचल क्षेत्र का बरबांधा प्राथमिक स्कूल पेश कर रहा मिसाल
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Published : Jul 21, 2023, 2:23 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 11:06 PM IST

बरबांधा प्राथमिक स्कूल पेश कर रहा मिसाल

धमतरी : ऐसा कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.धमतरी के सिहावा में मौजूद एक सरकारी स्कूल इसका जीता जागता उदाहरण है.ये स्कूल आने वाले कल के लिए नौनिहालों को तैयार कर रहा है.यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने गुरुजनों की छत्र छाया में अपना भविष्य गढ़ रहे हैं.इस स्कूल की खासियत ये है कि यहां पढ़ने वाले बच्चों में से हर साल कई बच्चों का चयन नवोदय और एकलव्य विद्यालय के लिए होता है.इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक कितने संवेदनशील हैं.इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो खुद अपने बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ा रहे हैं.


कहां है ये अनोखा स्कूल : धमतरी जिले से महज 70 किलोमीटर दूर नगरी क्षेत्र में ये प्राथमिक स्कूल आता है. जिसे लोग बरबांधा गांव का शासकीय प्राथमिक शाला के नाम से जानते हैं. हर साल यहां पढ़ने वाले बच्चे अच्छे नंबर से पास होकर जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य विद्यालय में अपना चयन करवाते हैं. इसके पीछे यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की मेहनत है.क्योंकि शिक्षकों ने ही इस धारणा को गलत साबित किया कि महंगे और बड़े स्कूलों में ही अच्छी पढ़ाई होती है.शिक्षकों ने ये बता दिया कि यदि शिक्षा सही तरीके से दी जाए तो नामुमकिन भी मुमकिन हो सकता है.

''वे अक्सर अखबार में देखा करते थे कि बड़े बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य विद्यालय में होता है.इसलिए सोचा क्यों ना गरीब और आदिवासी बच्चों का भी चयन नवोदय और एकलव्य स्कूल में करवाया जाए.तब से बच्चों के लिए मेहनत कर रहे हैं.'' कृष्ण कुमार कोटेंद्र, सहायक शिक्षक

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बरबांधा गांव के प्राथमिक शाला में 2017 से 2023 तक कुल 48 बच्चों का एकलव्य विद्यालय और नवोदय स्कूल में चयन हो चुका है. इसका श्रेय पालकों ने यहां के शिक्षकों को दिया है. इस स्कूल में आदिवासी गरीब बच्चे ही पढ़ते है.क्योंकि इनके पालकों के पास महंगे स्कूलों में भेजने के पैसे नहीं है.इस स्कूल के शिक्षक छुट्टी वाले दिन भी गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ाते हैं.ताकि होनहार बच्चे नवोदय और एकलव्य विद्यालयों के लिए चयनित हो सके.

बरबांधा प्राथमिक स्कूल पेश कर रहा मिसाल

धमतरी : ऐसा कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.धमतरी के सिहावा में मौजूद एक सरकारी स्कूल इसका जीता जागता उदाहरण है.ये स्कूल आने वाले कल के लिए नौनिहालों को तैयार कर रहा है.यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने गुरुजनों की छत्र छाया में अपना भविष्य गढ़ रहे हैं.इस स्कूल की खासियत ये है कि यहां पढ़ने वाले बच्चों में से हर साल कई बच्चों का चयन नवोदय और एकलव्य विद्यालय के लिए होता है.इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक कितने संवेदनशील हैं.इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो खुद अपने बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ा रहे हैं.


कहां है ये अनोखा स्कूल : धमतरी जिले से महज 70 किलोमीटर दूर नगरी क्षेत्र में ये प्राथमिक स्कूल आता है. जिसे लोग बरबांधा गांव का शासकीय प्राथमिक शाला के नाम से जानते हैं. हर साल यहां पढ़ने वाले बच्चे अच्छे नंबर से पास होकर जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य विद्यालय में अपना चयन करवाते हैं. इसके पीछे यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की मेहनत है.क्योंकि शिक्षकों ने ही इस धारणा को गलत साबित किया कि महंगे और बड़े स्कूलों में ही अच्छी पढ़ाई होती है.शिक्षकों ने ये बता दिया कि यदि शिक्षा सही तरीके से दी जाए तो नामुमकिन भी मुमकिन हो सकता है.

''वे अक्सर अखबार में देखा करते थे कि बड़े बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य विद्यालय में होता है.इसलिए सोचा क्यों ना गरीब और आदिवासी बच्चों का भी चयन नवोदय और एकलव्य स्कूल में करवाया जाए.तब से बच्चों के लिए मेहनत कर रहे हैं.'' कृष्ण कुमार कोटेंद्र, सहायक शिक्षक

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बरबांधा गांव के प्राथमिक शाला में 2017 से 2023 तक कुल 48 बच्चों का एकलव्य विद्यालय और नवोदय स्कूल में चयन हो चुका है. इसका श्रेय पालकों ने यहां के शिक्षकों को दिया है. इस स्कूल में आदिवासी गरीब बच्चे ही पढ़ते है.क्योंकि इनके पालकों के पास महंगे स्कूलों में भेजने के पैसे नहीं है.इस स्कूल के शिक्षक छुट्टी वाले दिन भी गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ाते हैं.ताकि होनहार बच्चे नवोदय और एकलव्य विद्यालयों के लिए चयनित हो सके.

Last Updated : Jul 22, 2023, 11:06 PM IST
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