धमतरी: "भोयना गांव से 4 दिन पहले कार सवार 4 लोग बच्चे को उठा ले जाते हैं. शोर मचाने पर नशे का इंजेक्शन लगाते हैं. रात के समय मौका मिलता है तो वो अपने पैरों की रस्सियां खोल लेता है और किडनैपरों को चकमा देकर भाग निकलता है. भागते भागते वह जगदलपुर पहुंच जाता है. पुलिस सहायता केंद्र से मदद मांगता है, जहां से संपर्क कर परिजनों को बुलवाता है. किडनैपरों की हिंदी अलग थी और वे लंबे कद काठी के गोरे चिट्टे थे." यहा सारा बयान उस 14 साल के बच्चे का है, जिसने घर लौट कर मां बाप को बताया कि उसका अपहरण कैसे हुआ और वो कैसे उनके चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा. मगर पुलिस जांच में ये सारा बयान मनगढ़ंत निकला.
ऐसे पकड़ में आई अपहरण की फर्जी कहानी: बालक ने खुद के अपहरण की ऐसी कहानी बनाई कि सनसनी फैल गई. चैनलों अखबारों में सुर्खियां बनीं. डीएसपी धमतरी मोहसिन खान को कहानी पर शक हुआ. बारीकी से जांच करने पर कहानी फर्जी निकली. बच्चे ने बताया था कि दोपहर साढ़े 3 बजे उसका अपहरण हुआ था. जबकि धमतरी के बस स्टैंड में लगे कैमरे की शाम 4 बजे की फुटेज में वो दिख रहा था. पुलिस ने इसी सुराग के आधार पर अपहरण की झूठी कहानी का पर्दाफाश किया.
घर से 500 रुपए लेकर निकला था बच्चा: लोकल बस में बैठकर बालक धमतरी बस स्टैंड पहुंचा, जहां से बस पकड़कर जगदलपुर पहुंच गया. पुलिस ने उसे भटकते हुए देखा तो पूछताछ की और घरवालों को बुलाया. परिजनों के आने से पहले ही नाबालिग को डांट फटकार का भय सताने लगा और इसी से बचने के लिए उसने खुद के अपहरण की कहानी दिमाग में रच ली, जिसे उसने अपने मां बाप को सुनाया और पुलिस के सामने भी यही बयान दिया.
आखिर बच्चे ने क्यों सुनाई किडनैपिंग की कहानी: डीएसपी धमतरी मोहसिन खान ने बताया कि "घर पर मां बाप के बीच आए दिन झगड़ा होता था. इस माहौल से बच्चे के दिमाग और मन पर नकारात्मक असर पड़ने लगा. वो अक्सर अकेला रहता था और खाली समय में मोबाइल फोन पर वीडियो देखता रहता था. वो अंदर ही अंदर परेशान और तनाव में था, जिस पर कभी बड़ों का ध्यान नहीं गया. 15 तारीख को जब नाबालिग की मां ने उससे कहा कि गुल्लक से 50 रुपए निकालो और दुकान से सामान ले आओ, तो उसने 500 निकाले और धमतरी बस स्टैंड चला गया. वहां से जगदलपुर पहुंच गया. पिता से डांट न सुननी पड़े इसलिए पिता के जगदलपुर पहुंचने से पहले कहानी बना ली."
पुलिस में हरगिज न करें झूठी कंप्लेन: धमतरी डीएसपी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि "बच्चे के भविष्य को देखते हुए उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. पुलिस में हरगिज झूठी कंप्लेन न करें. इससे पुलिस का समय और संसाधन दोनों बर्बाद होते हैं. घर में बच्चों का खयाल रखना और उन पर नजर रखना जरूरी है. टीवी पर आने वाले अपराध से जुड़े सीरियल भी बच्चों के मानसिक सेहत के लिए खतरनाक हैं.