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धमतरी: विकास किस चिड़िया का नाम, यह सुनने के लिए तरस रहे ग्रामीण, देखिए ये रिपोर्ट

आजादी के बाद कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने इस गांव की ओर मुड़कर नहीं देखा. अब प्रदेश में एक बार फिर नई सरकार बनी है. तो यहां के लोगों में आस जगी है कि शायद इनके दिन फिर जाएं.

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Published : May 15, 2019, 3:37 PM IST

Updated : May 15, 2019, 4:45 PM IST

सड़क और पुल-पुलिया देखने को तरसी आंखे


धमतरी: ये गांव आज भी उम्मीदों पर जिंदा है. इस गांव में समस्या नहीं समस्याओं का अंबार है. आजादी के बाद कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने इस गांव की ओर मुड़कर नहीं देखा. अब प्रदेश में एक बार फिर नई सरकार बनी है. तो यहां के लोगों में आस जगी है कि शायद इनके दिन फिर जाएं.

उम्मीदों पर जिंदा हैं यहां के ग्रामीण

यहां समस्या नहीं समस्यों का अंबार है

सरकारी महकमे ने फाइलें भरने के लिए कुछ पुल बनवाए, भवन बनवाए, कइयों की नींव रखी गई, लेकिन वो नींव आज तक लोगों को नजर नहीं आई. सरकारी तंत्र की तपिश ने इस गांव की खुशियों को भाप बनाकर उड़ा दिया. हालांकि कलेक्टर साहब का आश्वासन एक बार फिर मिला है.

उम्मीदों पर जिंदा हैं यहां के ग्रामीण
आजादी के 70 साल, नये प्रदेश के 19 साल और पिछली सरकार के 15 साल, अब नई सरकार के 4 महीने, आखिर आमालीपारा गांव के लोगों का इंतजार कब खत्म होगा, कब पुल बनेगा, तो कब स्कूली बच्चे सड़कों पर दौड़ेंगे, कब मरीजों को राहत मिलेगी, कब लोगों को मुकम्मल सुविधा मिलेगी.


धमतरी: ये गांव आज भी उम्मीदों पर जिंदा है. इस गांव में समस्या नहीं समस्याओं का अंबार है. आजादी के बाद कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने इस गांव की ओर मुड़कर नहीं देखा. अब प्रदेश में एक बार फिर नई सरकार बनी है. तो यहां के लोगों में आस जगी है कि शायद इनके दिन फिर जाएं.

उम्मीदों पर जिंदा हैं यहां के ग्रामीण

यहां समस्या नहीं समस्यों का अंबार है

सरकारी महकमे ने फाइलें भरने के लिए कुछ पुल बनवाए, भवन बनवाए, कइयों की नींव रखी गई, लेकिन वो नींव आज तक लोगों को नजर नहीं आई. सरकारी तंत्र की तपिश ने इस गांव की खुशियों को भाप बनाकर उड़ा दिया. हालांकि कलेक्टर साहब का आश्वासन एक बार फिर मिला है.

उम्मीदों पर जिंदा हैं यहां के ग्रामीण
आजादी के 70 साल, नये प्रदेश के 19 साल और पिछली सरकार के 15 साल, अब नई सरकार के 4 महीने, आखिर आमालीपारा गांव के लोगों का इंतजार कब खत्म होगा, कब पुल बनेगा, तो कब स्कूली बच्चे सड़कों पर दौड़ेंगे, कब मरीजों को राहत मिलेगी, कब लोगों को मुकम्मल सुविधा मिलेगी.

Intro:
एंकर....छत्तीसगढ सूबे की सरकार अतिंम छोर मे बसे वाशिंदो तक बुनियादी सहूलियते मिलने की तमाम दावे करते हुऐ नजर आते है लेकिन जमीनी हकीकत क्या है ये धमतरी के नक्सल प्रभावित ईलाके के घुरावड़ के आश्रित ग्राम अमलीपारा गांव मे देखा जा सकता है.आवागमन के कोई साधन नही होने के चलते यह गांव विकास से कोसो दूर है.वही वर्षो से विकास की बांट जोह रहे ग्रामीणों ने स्वयं ही गांव में कच्ची पुल बना दिया है ताकि आवाजाही संभव हो सके और मुख्यधारा में जुड़कर सहभागी बन सके.
Body:
हालांकि धमतरी जिला मुख्यालय से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर घने जंगल मे स्थित इस ग्राम पंचायत घुरावड़ के आश्रित ग्राम आमली पारा में सरकारी महकमें ने एक पुल बनाया था और ग्रामीण एकमात्र इसी पुल के जरिए आना जाना करते थे.मौजूदा वक्त में यह पुल तकरीबन 10 सालों से जर्जर हालात में है.आलम ये है कि यह पुल कभी भी टूट सकता है लिहाजा ग्रामीण दहशत में इस पुल का उपयोग करना बंद दिए है.जर्जर पुल की शिकायत ग्रामीणों ने कई मर्तबा जिला प्रशासन से किया था.इसके आलावा जनसमस्या निवारण शिविर में भी इसकी शिकायत की गई.लेकिन किसी ने इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया.जिनके वजह से ग्रामीणों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस समस्या को लेकर सभी जगह शिकायत करने के बाद कुछ निराकरण नही होते देख ग्रामीणों ने आने जाने के लिए खुद ही कच्ची पुल की निर्माण किया है लेकिन यह भी किसी जोखिम से कम नही है कच्ची पुल होने की वजह से ये पुल महज चंद महीनांे के लिए होता है जो हर बरसात के दौरान बाढ़ में बह जाया करती है और बरसात के दिनों ये गांव टापू में तब्दील हो जाता है.
शासन प्रशासन के अनदेखी के कारण गांव के लोग थकहार कर इस पूल का निर्माण किया है जो गर्मी और ठंड के मौसम में आने जाने के लिए लोगों को राहत देती है.बहरहाल सरकार बदलते ही लोगों को नई सरकार बड़ी उम्मीदें है कि उनकी समस्याओं निराकरण होगा.अब देखना होगा कि शासन प्रशासन लोगों की इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेते है.
बाईट..... धीरज मरकाम ग्रामीण
बाईट....रोशन मरकाम ग्रामीण
बाईट..... रमा बाई
बाईट.... रजत बंसल कलेक्टर
जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 8319178303Conclusion:
Last Updated : May 15, 2019, 4:45 PM IST
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