ETV Bharat / state

दिव्यांग होने के बावजूद कर रहा कमाल, हुनर के बलबूते मिटा रहा 'अंधकार' - joratrai

धमतरी जिले की जोरातराई गांव में रहने वाले दिव्यांग धनेश विश्कर्मा भले ही धनेश अपने आंखों से नहीं देख पाता है, लेकिन इसके कामों को देखकर कोई भी अचंभित हो जाएगा.

जिंदगी से लड़ रहा है यह दिव्यांग
author img

By

Published : Nov 17, 2019, 12:03 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 7:48 AM IST

धमतरी : जिले के जोरातराई गांव में रहने वाला धनेश दृष्टिहीन है, लेकिन बिना किसी मदद के अपने सारे काम बखूबी कर लेता है. धनेश एक इलेक्ट्रीशियन है, लेकिन शासन से मदद नहीं मिलने के कारण गरीबी से बेहाल है और दृष्टिहीन होने के बाद भी खुद कमाकर जीवन यापन करने को मजबूर है.

पैकेज.

धनेश के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है. एक बहन है जिनकी भी शादी हो चुकी है. लिहाजा धनेश घर पर अकेले ही रहते हैं. खाना बनाने से लेकर बर्तन धोने तक का सारा काम खुद ही करता है. बिजली से लेकर पंखा, कूलर समेत कई चीजों को बनाता है, जिसके लिए ग्रामीण इसका तारफ करते नहीं थकते.

पंचायत की ओर से की जी रही मदद

वहीं ग्रामीणों को कहना है कि गरीबी परिस्थिति में जी रहे इस दिव्यांग को हालांकि पंचायत की ओर शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन दिव्यांग धनेश को अगर प्रशासनिक मदद मिले तो वह और भी आगे बढ़ सकता है.

धमतरी : जिले के जोरातराई गांव में रहने वाला धनेश दृष्टिहीन है, लेकिन बिना किसी मदद के अपने सारे काम बखूबी कर लेता है. धनेश एक इलेक्ट्रीशियन है, लेकिन शासन से मदद नहीं मिलने के कारण गरीबी से बेहाल है और दृष्टिहीन होने के बाद भी खुद कमाकर जीवन यापन करने को मजबूर है.

पैकेज.

धनेश के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है. एक बहन है जिनकी भी शादी हो चुकी है. लिहाजा धनेश घर पर अकेले ही रहते हैं. खाना बनाने से लेकर बर्तन धोने तक का सारा काम खुद ही करता है. बिजली से लेकर पंखा, कूलर समेत कई चीजों को बनाता है, जिसके लिए ग्रामीण इसका तारफ करते नहीं थकते.

पंचायत की ओर से की जी रही मदद

वहीं ग्रामीणों को कहना है कि गरीबी परिस्थिति में जी रहे इस दिव्यांग को हालांकि पंचायत की ओर शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन दिव्यांग धनेश को अगर प्रशासनिक मदद मिले तो वह और भी आगे बढ़ सकता है.

Intro:कहते हैं कि अगर हौसला बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है.कुछ ऐसे ही कहानी धमतरी जिले की जोरातराई गांव में रहने वाले दिव्यांश धनेश विश्कर्मा की है.भले धनेश अपने आंखों से नहीं देख पाता है लेकिन इनकी इस विसंगति उनके जीने के जज्बे को कभी कम नहीं होने दिया.धनेश प्रेरणा है उनके लिए जिन्हें जिंदगी से लड़ना नहीं आता है.


Body:जिंदगी शायद ही किसी की लिए सब कुछ लेकर आती हो,हर व्यक्ति कभी कुछ पाता है तो कभी कुछ खोता भी है और यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे अपनी जिंदगी को जीना चाहते है.इंसान कभी बुलंदियों पर आता है तो कभी गर्दिशों में लेकिन असली सूरमा वही होते हैं इन तमाम मुश्किलो से जूझकर आगे बढ़ते रहते है.

ये कहानी जिले के जोरातराई गांव में रहने वाले धनेश की है जो जन्मांध है लेकिन उसे इस बात का कोई भी शिकवा नहीं है.आज धनेश बिना किसी मदद के अपने सारे काम बखूबी कर लेता है. वह एक इलेक्ट्रीशियन है अगर गांव में किसी की घर बिजली बन्द हो या पंखे कूलर काम नहीं कर रहे हो तो लोग उन्हें ही याद करते हैं और धनेश से एक पेशेवर इलेक्ट्रीशियन की तरह उनकी समस्या को झट से दूर कर देता है जिसके वजह से ग्रामीण उनकी तारीफ करते नहीं थकते.

धनेश की माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है एक बहन जिनकी भी शादी हो चुकी है.लिहाजा धनेश घर पर अकेले ही रहते है खाना बनाने से लेकर बर्तन धोने तक का सारा काम खुद ही कर लिया करता है जैसे पोछा लगाना,साफ़ सफाई,खाना बनाना, कपड़े धोना इनकी दिनचर्या में शामिल है.गरीब परिस्थिति में जी रहे इस दिव्यांग को हालांकि पंचायत की ओर शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है लेकिन दिव्यांग धनेश को अगर प्रशासनिक मदद मिले तो वह और भी आगे बढ़ सकता है.


Conclusion:बहरहाल आज धनेश ऐसे लोगों के लिए मिसाल है दो छोटी-छोटी परेशानियों से डर जाया करते है दिव्यांग होने के बावजूद धनेश ने कभी हिम्मत नहीं हारा और जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे है.धनेश को अगर और भी मदद मिले तो ये तय कि वह आसमां छू सकता है.

बाईट_01 नन्दकुमार बनपेला,स्थानीय(वाईट शर्ट में)
बाईट_02 धनेश विश्वकर्मा,दिव्यांग(शर्ट आसमानी कलर)
बाईट_03 गोविंद राजपूत,सरपंच(चेक टी शर्ट में)

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
Last Updated : Nov 17, 2019, 7:48 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.