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धमतरी: धान का उठाव नहीं होने से परेशान कर्मचारी - धान का उठाव नहीं होने से परेशान कर्मचारी

धमतरी जिले में धान उठाव की रफ्तार धीमी हो गई है. यदि ज्यादा समय तक धान संग्रहण केंद्रों में पड़ा रहा तो गर्मी के चलते सूख सकता है. जिससे उसके वजन में कमी आएगी. इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ेगा.

Cooperative Society employees
सहकारी समिति के कर्मचारी
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Published : Mar 21, 2021, 4:35 PM IST

धमतरी: जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को 2 महीने पूरे होने जा रहे है. लेकिन धान के उठाव की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है. संग्रहण केंद्रों में धान जाम है. ऐसे में समिति संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धान का उठाव नहीं होने के कारण अब समितियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है. समितियों ने जल्द उठाव करने शासन-प्रशासन को पत्र भी लिखा है. पत्र में उठाव नहीं होने पर संग्रहण केंद्रों को बंद कर आंदोलन में जाने की चेतावनी दी है.

धमतरी में धान का उठाव नहीं होने से परेशान कर्मचारी

छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार, सरकार के लिए बनी मुसीबत

चूहे और कीट प्रकोप से हो रहा धान खराब

जिले में 74 सहकारी समितियों के 89 धान उपार्जन केंद्र हैं. सभी केंद्रों में धान बड़ी मात्रा में संग्रहित है. डीओं जारी नही होने के कारण उठाव की प्रक्रिया तेज नहीं हो रही है. उठाव नहीं होने की वजह से संग्रहण केंद्रों में धान में सूखत आ रही है. चूहे और कीट प्रकोप से भी धान को नुकसान हो रहा है.

जांजगीर-चांपा: धान के उठाव में देरी से चिंतित केंद्र प्रभारी

72 घंटे के भीतर होना था धान का उठाव

समिति प्रबंधको का कहना है कि नमी कम होने की वजह से धान का वजन घटता जा रहा है. जबकि धान खरीदी नीति के अनुसार समितियों में 17 प्रतिशत की नमी वाला धान खरीदी किया गया है. जो सूखकर अब 12 से 13 प्रतिशत रह गया है. धान खरीदी अनुबंध के अनुसार धान बंपर लिमिट के 72 घंटे के भीतर उठाव किया जाना था.

ई-नीलामी के बावजूद नहीं हो रहा धान का उठाव

नियमानुसार सरकार नमी वाले धान का पैसा समितियों को नहीं देगी. धान का परिवहन नहीं होने पर समितियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि सरकार ने धान संग्रहण केंद्रों में ई-नीलामी की व्यवस्था की है. फिर भी जिले में उठाव नही हो रहा है.

कर्मचारी घर बैठने पर मजबूर

समिति प्रबंधको ने कहा है कि धान संग्रहण नहीं होने से समितियां डूब जाएंगी. समितियों के हित के साथ-साथ किसानों का हित भी प्रभावित होगा. पिछले साल को शून्य शार्टेज का पैसा भी सरकार समितियों को नहीं दे रही है. कर्मचारी घर बैठने पर मजबूर हो रहे हैं. कर्मचारी त्योहार भी नही मना पाएंगे. समिति प्रबंधकों ने शासन से मांग की है कि सूखत की राशि शासन उनको दे और धान का बीमा कराए. क्योंकि मौसम आए दिन खराब हो रहा है.

बीजेपी ने राज्य सरकार को ठहराया जिम्मेदार

धान उठाव नहीं होने से बीजेपी ने प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का कहना है कि सरकार का ध्यान दूसरे क्षेत्र रेत, अवैध शराब और नशा सहित धान सड़ाने में है. सरकार कानून व्यवस्था को बिगाड़ने में लगी है.

धमतरी: जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को 2 महीने पूरे होने जा रहे है. लेकिन धान के उठाव की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है. संग्रहण केंद्रों में धान जाम है. ऐसे में समिति संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धान का उठाव नहीं होने के कारण अब समितियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है. समितियों ने जल्द उठाव करने शासन-प्रशासन को पत्र भी लिखा है. पत्र में उठाव नहीं होने पर संग्रहण केंद्रों को बंद कर आंदोलन में जाने की चेतावनी दी है.

धमतरी में धान का उठाव नहीं होने से परेशान कर्मचारी

छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार, सरकार के लिए बनी मुसीबत

चूहे और कीट प्रकोप से हो रहा धान खराब

जिले में 74 सहकारी समितियों के 89 धान उपार्जन केंद्र हैं. सभी केंद्रों में धान बड़ी मात्रा में संग्रहित है. डीओं जारी नही होने के कारण उठाव की प्रक्रिया तेज नहीं हो रही है. उठाव नहीं होने की वजह से संग्रहण केंद्रों में धान में सूखत आ रही है. चूहे और कीट प्रकोप से भी धान को नुकसान हो रहा है.

जांजगीर-चांपा: धान के उठाव में देरी से चिंतित केंद्र प्रभारी

72 घंटे के भीतर होना था धान का उठाव

समिति प्रबंधको का कहना है कि नमी कम होने की वजह से धान का वजन घटता जा रहा है. जबकि धान खरीदी नीति के अनुसार समितियों में 17 प्रतिशत की नमी वाला धान खरीदी किया गया है. जो सूखकर अब 12 से 13 प्रतिशत रह गया है. धान खरीदी अनुबंध के अनुसार धान बंपर लिमिट के 72 घंटे के भीतर उठाव किया जाना था.

ई-नीलामी के बावजूद नहीं हो रहा धान का उठाव

नियमानुसार सरकार नमी वाले धान का पैसा समितियों को नहीं देगी. धान का परिवहन नहीं होने पर समितियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि सरकार ने धान संग्रहण केंद्रों में ई-नीलामी की व्यवस्था की है. फिर भी जिले में उठाव नही हो रहा है.

कर्मचारी घर बैठने पर मजबूर

समिति प्रबंधको ने कहा है कि धान संग्रहण नहीं होने से समितियां डूब जाएंगी. समितियों के हित के साथ-साथ किसानों का हित भी प्रभावित होगा. पिछले साल को शून्य शार्टेज का पैसा भी सरकार समितियों को नहीं दे रही है. कर्मचारी घर बैठने पर मजबूर हो रहे हैं. कर्मचारी त्योहार भी नही मना पाएंगे. समिति प्रबंधकों ने शासन से मांग की है कि सूखत की राशि शासन उनको दे और धान का बीमा कराए. क्योंकि मौसम आए दिन खराब हो रहा है.

बीजेपी ने राज्य सरकार को ठहराया जिम्मेदार

धान उठाव नहीं होने से बीजेपी ने प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का कहना है कि सरकार का ध्यान दूसरे क्षेत्र रेत, अवैध शराब और नशा सहित धान सड़ाने में है. सरकार कानून व्यवस्था को बिगाड़ने में लगी है.

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