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बिना धागे 'अभागे' हुए धमतरी के बुनकर, कैसे पालें परिवार ?

धमतरी में करीब 1000 से अधिक बुनकर काम करते हैं. इसी काम से इनकी रोजी-रोटी चलती है. यही काम इनके रोजगार का मुख्य जरिया है. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण बुनकर व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

badly affected on Weaver business,Effect on work of weavers
बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
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Published : Apr 10, 2021, 5:47 PM IST

Updated : Apr 10, 2021, 7:51 PM IST

धमतरी: कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य हो रही थी. लग रहा था कि व्यापार भी पटरी पर लौटेगा लेकिन एक बार फिर वही दिन लौटने लगे हैं. कोविड-19 की दूसरी लहर और तेज आई है. जिले में फिर लॉकडाउन को ऐलान हो गया है. पिछले साल आई महामारी ने रोजगार चौपट कर दिया था. हर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था. जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट सबसे ज्यादा खड़ा हुआ, बुनकर उनमें से एक थे. लेकिन उम्मीद फिर टूटने लगी हैं. बुनकरों की माली हालत सुधरने से पहले बिगड़ने लगी है. परिवार कैसे चलाएं, ये बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया है.

बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बुनकरों को नहीं मिल रहा काम

धमतरी जिले में बुनकर बड़ी संख्या में हैं. जिले में करीब 1000 से अधिक बुनकर काम करते हैं. इन्हें छत्तीसगढ़ हथकरघा बोर्ड की ओर से विभिन्न सोसायटियों के माध्यम से कच्चा धागा उपलब्ध कराया जाता है. इन धागों से वे बुनकर कई वैरायटी के कपड़े, चादर, दरी और मच्छरदानी सहित अन्य कपड़े बनाकर शासन को रिटर्न करते हैं. इसके बदले शासन बुनकरों को मेहनताना के तौर पर निर्धारित दरों पर भुगतान करता है. लेकिन ज्यादातर बुनकरों का मानना है कि पहले की अपेक्षा उनका काम काफी कम हो गया है.

SPECIAL: ETV भारत पर छलका हथकरघा बुनकरों का दर्द

कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित

लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन के कारण बुनकरों का कारोबार पूरी तरह ठप होने के कगार पर है. बुनकरों के सामने बड़ी समस्या पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल की आपूर्ति ना हो पाना है. बुनकरों के लिए जो धागे सप्लाई किए जाते हैं, उनकी मात्रा पहले की अपेक्षा कम हो गई है. ऐसे में काम पर असर पड़ा है. बुनकरों का कहना है कि धागों को कड़ी मेहनत से बुन बुनकर अपने परिवार की आजीविका किसी तरह चला रहे हैं. जब से कोरोना आया, तब से खुशियों के लिए तरस गए.

कोरबा: लापता बुनकर की जंगल में पेड़ से लटकी मिली लाश

भविष्य को लेकर चिंतित

बुनकर न सिर्फ मौजूदा हालात से पीड़ित हैं. बल्कि उन्हें अपना और अपने बच्चों का भविष्य भी अंधकार में दिख रहा है. उनका कहना है कि बुनकर बाजार भी अब धीरे-धीरे ठप पड़ रहा है. लोगों के बीच इसकी मांग भी घट गई है. साथ ही बाजार में इनके दाम भी घट रहे हैं. कई पीढ़ियों से बुनकर व्यवसाय के जरिए परिवार चला रहे बुनकरों को अब भविष्य की चिंता सता रही है. ऐसे में बुनकरों को सरकार से बड़ी उम्मीदें है. जरूरत है कि बुनकरों के हालातों को देखते हुए सरकार इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के लिए भरपूर मात्रा में कच्चे माल की जरूरत को पूरा करे. साथ ही उनके काम को बढ़ावा दे.

धमतरी: कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य हो रही थी. लग रहा था कि व्यापार भी पटरी पर लौटेगा लेकिन एक बार फिर वही दिन लौटने लगे हैं. कोविड-19 की दूसरी लहर और तेज आई है. जिले में फिर लॉकडाउन को ऐलान हो गया है. पिछले साल आई महामारी ने रोजगार चौपट कर दिया था. हर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था. जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट सबसे ज्यादा खड़ा हुआ, बुनकर उनमें से एक थे. लेकिन उम्मीद फिर टूटने लगी हैं. बुनकरों की माली हालत सुधरने से पहले बिगड़ने लगी है. परिवार कैसे चलाएं, ये बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया है.

बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बुनकरों को नहीं मिल रहा काम

धमतरी जिले में बुनकर बड़ी संख्या में हैं. जिले में करीब 1000 से अधिक बुनकर काम करते हैं. इन्हें छत्तीसगढ़ हथकरघा बोर्ड की ओर से विभिन्न सोसायटियों के माध्यम से कच्चा धागा उपलब्ध कराया जाता है. इन धागों से वे बुनकर कई वैरायटी के कपड़े, चादर, दरी और मच्छरदानी सहित अन्य कपड़े बनाकर शासन को रिटर्न करते हैं. इसके बदले शासन बुनकरों को मेहनताना के तौर पर निर्धारित दरों पर भुगतान करता है. लेकिन ज्यादातर बुनकरों का मानना है कि पहले की अपेक्षा उनका काम काफी कम हो गया है.

SPECIAL: ETV भारत पर छलका हथकरघा बुनकरों का दर्द

कच्चे माल की सप्लाई प्रभावित

लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन के कारण बुनकरों का कारोबार पूरी तरह ठप होने के कगार पर है. बुनकरों के सामने बड़ी समस्या पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल की आपूर्ति ना हो पाना है. बुनकरों के लिए जो धागे सप्लाई किए जाते हैं, उनकी मात्रा पहले की अपेक्षा कम हो गई है. ऐसे में काम पर असर पड़ा है. बुनकरों का कहना है कि धागों को कड़ी मेहनत से बुन बुनकर अपने परिवार की आजीविका किसी तरह चला रहे हैं. जब से कोरोना आया, तब से खुशियों के लिए तरस गए.

कोरबा: लापता बुनकर की जंगल में पेड़ से लटकी मिली लाश

भविष्य को लेकर चिंतित

बुनकर न सिर्फ मौजूदा हालात से पीड़ित हैं. बल्कि उन्हें अपना और अपने बच्चों का भविष्य भी अंधकार में दिख रहा है. उनका कहना है कि बुनकर बाजार भी अब धीरे-धीरे ठप पड़ रहा है. लोगों के बीच इसकी मांग भी घट गई है. साथ ही बाजार में इनके दाम भी घट रहे हैं. कई पीढ़ियों से बुनकर व्यवसाय के जरिए परिवार चला रहे बुनकरों को अब भविष्य की चिंता सता रही है. ऐसे में बुनकरों को सरकार से बड़ी उम्मीदें है. जरूरत है कि बुनकरों के हालातों को देखते हुए सरकार इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के लिए भरपूर मात्रा में कच्चे माल की जरूरत को पूरा करे. साथ ही उनके काम को बढ़ावा दे.

Last Updated : Apr 10, 2021, 7:51 PM IST
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