धमतरी: 135 साल तक धमतरी नगर पालिका रही है. पांच साल पहले सीमांकन के बाद धमतरी को नगर निगम घोषित किया गया है. धमतरी को नगर निगम बने 5 साल हो गए हैं, लेकिन यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. पार्षद और महापौर का कहना है कि शहर में विकास कार्य हुए हैं, लेकिन लोगों का आरोप है कि वार्ड में नाली से लेकर सड़क-पानी, सब्जी मंडी समेत तमाम समस्याएं आज भी हैं. नाली की सफाई नहीं होने से नालियां बजबजाती रहती है, जिससे वार्ड में बीमारियां फैलती है. इससे लोगों में कहीं न कहीं नाराजगी है.
धमतरी का राजनैतिक इतिहास
देश-प्रदेश में भले ही कई दशकों तक कांग्रेस की सत्ता रही है, लेकिन धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस काबिज नहीं हो सकी है. यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास है.
धमतरी का राजनैतिक इतिहास देखें, तो यहां अनेक ऐसे नेता हुए हैं, जिनकी प्रदेश की राजनीति में धाक रही है. बाबू पंडरीराव कृद्दत ने जी तोड़ मेहनत कर जनसंघ की मजबूत नींव रखी, तो वहीं कांग्रेस के लिए भोपालराव पवार एक बड़ा नाम हुआ करता था. वे अविभाजित मध्यप्रदेश में शिक्षामंत्री थे.
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निगम में किसका रहा कब कब्जा ?
- धमतरी पहले नगर पालिका परिषद और फिर बाद में नगर निगम बना. चुनाव में हर बार कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से हार का सामना करना पड़ा.
- छत्तीसगढ़ राज्य बनने के शुरू के 3 साल के कार्यकाल को छोड़ दें, तो 15 साल तक भाजपा यहां सत्ता में रही.
- 2014 में पहली बार नगर निगम बनने के बाद महापौर का चुनाव हुआ. सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित सीट में से महिला उम्मीदवारों की संख्या 7 थी.
- 7 महिलाओं ने अपनी किस्मत को आजमाया, लेकिन हर बार की तरह मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच हुआ.
- इसमें भाजपा ने 4540 मतों से जीत हासिल की. भाजपा के अर्चना चौबे को 25827 वोट मिले जबकि प्रतिद्वंदी डॉ.सरिता दोषी को 21286 मत हासिल हुए.
- वहीं 2009 में नगर पालिका परिषद का आखिरी कार्यकाल रहा. इस नगर पालिका के चुनाव में 5 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.
- मुख्य मुकाबला बीजेपी की एनपी गुप्ता और कांग्रेस के मोहन लालवानी के बीच हुआ.
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भाजपा-कांग्रेस में रही कांटे की टक्कर
- हालांकि इस कांटे की टक्कर में भाजपा ने 728 वोट से जीत दर्ज की.
- कांग्रेस के मोहन लालवानी को 20708 मिले, तो वहीं भाजपा के एनपी गुप्ता को 21432 वोट मिले.
- 2004 के नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के ताराचंद हिंदुजा को 20736 और कांग्रेस के एलएन महावर को 16182 मत हासिल हुए.
- इस तरह पूर्व के रिकॉर्ड को कायम रखते हुए भाजपा ने 4554 मतों से विजय हासिल किया था.
- 1999 में नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए सामान्य महिला वर्ग से इस चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के जानकी पवार ने कांग्रेस की रेहाना कदीर को 3052 मतों से हराया था.
- इस तरह अध्यक्ष और महापौर के लिए मतदाताओं के मध्य कराए गए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सफलता हासिल करती रही.
- 1994 में नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बीच से ही चुना गया था.
- वर्तमान में राज्य सरकार कांग्रेस की है महापौर कांग्रेसी चुना जाएगा यह न केवल कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है बल्कि जनता की हिस्सेदारी किस तरह होगी. यह बड़ा सवाल लोगों के जेहन में है.
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बीते दशकों से बढ़ रही समस्याएं
तकरीबन 90 हजार जनसंख्या वाले इस नगर निगम क्षेत्र में बीते दशकों में बढ़ते शहर के साथ समस्याएं भी बढ़ी है. सत्ताधारी भाजपा कभी संतुलित विकास की योजना नहीं बना सकी.
- शहर में रेन वाटर ड्रेनेज की कमी
- गोकुल नगर की कमी
- आवारा मवेशी ट्रांसपोर्ट नगर की कमी
- नए बस स्टैंड की कमी
- बाग बगीचे की कमी
- अवैध निर्माण अतिक्रमण
- व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स की चुनौतियां
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चुनावी मुद्दे
- सड़र चौड़ीकरण
- शहर में पार्किंग स्थल
- औद्योगिक ट्रांसपोर्ट नगर
- गोकुल नगर की मांग लंबे समय से लोग कर रहे हैं
निगम के विकास कार्य
निगम बनने के साथ यहां कई विकास कार्य हुए शहर से लगे गलियों में सीसी रोड का निर्माण कराया गया. शहर के तालाबों और आसपास आकर्षक गार्डन बनाया गया. जहां लोग सुबह शाम फिट रहने के लिए घूमते नजर आते है. चौक चौराहों को सुसज्जित करने की कोशिश की गई. सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास किया गया.
स्वच्छता मिशन में बड़ी सफलता मिली
- वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
- सिटी बस
- चिल्ड्रन पार्क
- गांधी मैदान सौंदर्यीकरण
- रैन बसेरा
- प्रधानमंत्री आवास योजना
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महापौर के रेस में कांग्रेस के दर्जनों उम्मीदवार
इस बार आरक्षित पिछड़ा वर्ग से नगर निगम महापौर के लिए दोनों ही दलों में दर्जनों उम्मीदवार है.
- कांग्रेस से जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी
- महामंत्री विजय देवांगन
- हरमीत सिंह होरा
- पूर्व नेता प्रतिपक्ष सलीम रोकड़िया
- पूर्व पार्षद आलोक जाधव संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं
भाजपा से महापौर के दावेदार
- भाजपा से जिलाध्यक्ष रामू रोहरा
- पूर्व नपा अध्यक्ष एनपी गुप्ता
- पूर्व जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा चेतन हिंदूजा
- पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा कुंजलाल देवांगन
- पार्षद सरिता यादव संभावित प्रत्याशी हो सकती हैं.
बहरहाल प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार है, तो इससे लोगों में उत्साह भी है. इसके बावजूद ये तय है कि मुकाबला बेहद कड़ा होगा, क्योंकि दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी बड़ी चुनौती है, लेकिन कांग्रेस जनता के बीच अपने 1 साल में किए कामों को लेकर जा रही है, जिसमें बिजली बिल हाफ और पट्टा वितरण जैसे मुद्दों को भुनाने में लगी हुई है. अब देखना है कि इस चुनाव में जनता किसके सिर ताज पहनाती है.