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नगर सरकार: निर्दलीय पार्षदों में मनाने में जुटी भाजपा-कांग्रेस

निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद धमतरी में मेयर बनाने के लिए भाजपा-कांग्रेस निर्दलीय पार्षदों को मनाने में जुट गई है. वहीं दोनों ही पार्टी मेयर बनाने का दावा करने में पीछे नहीं है. अब देखना होगा की इस रेस में निर्दलीय पार्षद किस पार्टी का साथ देते हैं.

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Published : Dec 26, 2019, 9:42 AM IST

Updated : Dec 26, 2019, 12:45 PM IST

निगम सरकार बनाने में जुटी भाजपा-कांग्रेस
निगम सरकार बनाने में जुटी भाजपा-कांग्रेस

धमतरी: नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम सामने आते ही धमतरी में समीक्षा का दौर जारी है. धमतरी नगर निगम में इस बार 40 वार्डों में से भाजपा 17 वार्डों में सिमट कर रह गई है. जबकि इस बार कांग्रेस ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 10 सीटों पर बढ़त बनाई है और कुल 18 सीटों पर कब्जा जमाया है. हालांकि यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में यहां शहर का मेयर कौन बनेगा यह सवाल जरुरी हो गया है.

निर्दलीय पार्षदों में मनाने में जुटी भाजपा-कांग्रेस

पार्षदों के जुगाड़ में लगी बीजेपी-कांग्रेस
धमतरी नगर निगम के लिए नतीजों के बाद भी पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है. दोनों ही बड़े दल अधर में हैं और गेंद निर्दलीय पार्षदों के पाले में है. वहीं नतीजे आते ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्षदों की जुगाड़ में लगी है.

पढ़े: SPECIAL: छत्तीसगढ़ के जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च !

खेल बदल सकते हैं निर्दलीय पार्षद
138 साल पुराने निकाय धमतरी नगर निगम में इस बार भाजपा कांग्रेस ने जोर लगाया. लेकिन किस्मत ऐसी कि सत्ता दोनों को ही नहीं मिल सकी है. सत्ता के गणित में भाजपा और कांग्रेस दोनों को 40 वार्ड के लिए कम से कम 21 पार्षदों जरूरत है. इस बार जनता ने कांग्रेस को 18 पार्षद दिए हैं. जबकि भाजपा को 17 और 5 निर्दलीय जीत कर आए हैं. अब धमतरी में निर्दलीय पार्षदों का ऐसा हो गया है कि कुछ न कह कर वो सब कह रहे हैं.

धमतरी: नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम सामने आते ही धमतरी में समीक्षा का दौर जारी है. धमतरी नगर निगम में इस बार 40 वार्डों में से भाजपा 17 वार्डों में सिमट कर रह गई है. जबकि इस बार कांग्रेस ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 10 सीटों पर बढ़त बनाई है और कुल 18 सीटों पर कब्जा जमाया है. हालांकि यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में यहां शहर का मेयर कौन बनेगा यह सवाल जरुरी हो गया है.

निर्दलीय पार्षदों में मनाने में जुटी भाजपा-कांग्रेस

पार्षदों के जुगाड़ में लगी बीजेपी-कांग्रेस
धमतरी नगर निगम के लिए नतीजों के बाद भी पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है. दोनों ही बड़े दल अधर में हैं और गेंद निर्दलीय पार्षदों के पाले में है. वहीं नतीजे आते ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्षदों की जुगाड़ में लगी है.

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खेल बदल सकते हैं निर्दलीय पार्षद
138 साल पुराने निकाय धमतरी नगर निगम में इस बार भाजपा कांग्रेस ने जोर लगाया. लेकिन किस्मत ऐसी कि सत्ता दोनों को ही नहीं मिल सकी है. सत्ता के गणित में भाजपा और कांग्रेस दोनों को 40 वार्ड के लिए कम से कम 21 पार्षदों जरूरत है. इस बार जनता ने कांग्रेस को 18 पार्षद दिए हैं. जबकि भाजपा को 17 और 5 निर्दलीय जीत कर आए हैं. अब धमतरी में निर्दलीय पार्षदों का ऐसा हो गया है कि कुछ न कह कर वो सब कह रहे हैं.

Intro:नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम सामने आते ही धमतरी में समीक्षा का दौर जारी है.धमतरी नगर निगम में इस बार 40 वार्डो में से भाजपा ने 17 वार्डो में सिमट कर रह गई है जबकि इस बार कांग्रेस दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है.कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 10 सीटों में बढ़त बनाई है और कुल 18 सीटों पर कब्जा जमाया है.हालांकि यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही स्पश्ट बहुमत नही मिला है ऐसे में यहां शहर का मेयर कौन बनेगा यह सवाल महत्वपूर्ण हो चला है.
Body:धमतरी नगर निगम के लिये नतीजों के बाद भी पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई.दोनो बड़े दल अधर में है और गेंद निर्दलियो के पाले में है.वही नतीजों के आते ही भाजपा और कांग्रेस दोनो पार्षदो के जुगाड़ में लग चुके है.जाहिर है कि धमतरी में सियासत का सिनेमा इंटरवेल से लेकर क्लाईमेक्स तक नहीं पहुंचा है.पार्षदो को पता है कि अब वो जैसा चाहेंगे वैसा कथानक होगा और वैसा ही स्क्रीन प्ले तय होगा चाहे डायरेक्टर कोई भी रहे.इधर ऐसे निर्दलीय भी है जो क्लाईमेक्स अपने हिसाब से रखना चाहते है.

138 साल पुराने निकाय धमतरी नगर निगम में इस बार चुनाव तो हुए.इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस ने अपना जोर लगाया लेकिन किस्मत ऐसी कि सत्ता दोनो को ही नहीं मिल सकी है. सत्ता के गणित में भाजपा और कांग्रेस दोनो को 40 वार्ड और सत्ता पाने के लिए कम से कम 21 पार्षद जरूरी है.इस बारे जनता ने कांग्रेस को 18 पार्षद दिए जबकि भाजपा को 17 और 5 निर्दलीय जीत कर आए और निर्दलीय हैं कि कुछ न कह कर वो सब कह रहे है जिसके मायने सियासत में बिना कहे ही समझे जाते है.

सियासत कभी कभी ऐसे मोड़ पर ला देती है कि आदर्श सिद्धांत और पार्टी लाईन से ज्यादा जुगाड़ कौशल यानी मैनेजमेंट स्कील का महत्व हो जाता है.धमतरी में वही स्थिति है इस परिस्थिति में कांग्रेस का पलड़ा थोड़ा भारी दिखता है क्योंकि उसके तीन बागी जीते है जिन्हे मैनेज करना है.इनमें से दो को तो कांग्रेस अपने गुप्त अज्ञातवास पर ले जा चुकी है.राज्य में सत्ता होने का लाभ भी कांग्रेस को ही मिलेगा.इधर भाजपा ने इससे पहले धमतरी जनपद में अंको से पिछड़ने के बाद भी जुगाड़ कौशल से सत्ता हथियाई थी.अब अगर वहीं कौशल भाजपा दोहरा पाती है तो धमतरी में 135 साल का इतिहास भाजपा दोहरा सकती है.यही दोनो वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनो ही शहर की सत्ता का सरताज बनने का दावा छोड़ नहीं रहे है.

Conclusion:वैसे तो लोकतंत्र का मंत्र जनता को जनार्दन का दर्जा देता है लेकिन अगर स्थिति ऐसी हो जाए तो कैसे कहेंगे कि सरकार जनता ने चुनी है अब तो सिर्फ जुगाड़ कौशल की परीक्षा हैजो जनता को नहीं नेताओ को करना है.

बाइट- 1 रूपेश राजपूत,निर्दलीय पार्षद (ऑरेंज कुर्ता)
बाइट- 2 मोहन लालवानी,जिलाध्यक्ष कांग्रेस ( ब्लेक चश्मा वाला)
बाइट- 3 शशि पवार,जिलाध्यक्ष भाजपा (कुर्सी में बैठे )
बाइट- 4 भागेश बैद, विश्लेषक (वाइट् चश्मा )

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत, धमतरी
Last Updated : Dec 26, 2019, 12:45 PM IST
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