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न सड़क है, न पीने को पानी, बिजली भी पहुंची फिर भी लानटेन युग में जी रहा गांव

हिंदुस्तान आज दुनिया के विकसित देशों की कतार में खड़े होने की जद्दोजहद में लगा है, तो वहीं देश के कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. वह देश की आत्मा गांवों में बसती है, उसी देश की नींव कितनी कमजोर है इसका अंदाजा बरपदर गांव को देखकर लगाया जा सकता है.

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Published : Jun 23, 2019, 7:49 PM IST

धमतरी: केंद्र सरकार देश के कोने-कोने में बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं धमतरी का बरपदर गांव आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर है. जिले के अंतिम छोर में बसे इस गांव के लोग पिछले कई साल से अंधेरे में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

स्टोरी पैकेज

नदी-नाला पार कर करते हैं आवाजाही
जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर बसे बेलरबाहरा के आश्रित ग्राम बरपदर में तकरीबन 21 परिवार रहते हैं. गांव में आवाजाही का कोई साधन नहीं है, लिहाजा यहां के लोगों को जंगलों के रास्ते से नदी और नाला पार कर आवाजाही करते हैं.

वाशिंदों को नहीं मिलती स्वास्थ्य सुविधाएं
गांव में न बिजली है, न पानी है और न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का फायदा यहां बाशिदों को मिलता है. पुल-पुलिया और सड़क का इंतजार यहां के लोग पिछले कई साल से कर रहे हैं. जिम्मेदारों से फरियाद भी लगाई पर किसी ने सुध नहीं ली.

गांव में नहीं है आंगनबाड़ी
गांव पेयजल संकट से भी जूझ रहा है. यहां स्कूल तो हैं, लेकिन पिछले दो साल से यहां ताला लगा हुआ है. ऐसे में यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए नदी पार कर बेलरबाहरा गांव जाना पड़ता है. बता दें कि यहां आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. जहां नौनिहाल पढ़ाई कर सकें और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार मिल सके.

उपयोग के लायक नहीं है शौचालय
बारिश दिनों में अगर गांव में मौजूद कोई बीमार हो जाए तो, हालात बेकाबू हो जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन का भी बुरा हाल है. स्वच्छता के नाम पर घर-घर शौचालय तो बनाया गया, लेकिन से शौचालय उपयोग के लायक नहीं है और टूट फूट की स्थिति में है. इस गांव की महिलाएं आज भी खुले में शौच जाने मजबूर हैं.

बिजली पहुंची फिर भी अंधेरे में डूबा है गांव
कुछ साल पहले गांव में सौर उर्जा के तहत बिजली पहुंचाई गई थी, लेकिन चंद महीनों बाद उसने भी दम तोड़ दिया. जिसकी वजह से यह गांव दोबारा अंधेरे में डूब गया. विकास के नाम पर उनके गांव में कुछ भी नहीं है. सरकारी योजनाएं कब आती है और कब चली जाती हैं, पता ही नहीं चलता. इधर हर बार की तरह प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है कि गांव में हर मुमकिन सुविधाएं मुहैया करा दी जाएंगी. प्रशासन की बेरुखी की वजह से यहां के लोग आज भी पुराने तरीकों से जीवन जी रहे हैं.

धमतरी: केंद्र सरकार देश के कोने-कोने में बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं धमतरी का बरपदर गांव आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर है. जिले के अंतिम छोर में बसे इस गांव के लोग पिछले कई साल से अंधेरे में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

स्टोरी पैकेज

नदी-नाला पार कर करते हैं आवाजाही
जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर बसे बेलरबाहरा के आश्रित ग्राम बरपदर में तकरीबन 21 परिवार रहते हैं. गांव में आवाजाही का कोई साधन नहीं है, लिहाजा यहां के लोगों को जंगलों के रास्ते से नदी और नाला पार कर आवाजाही करते हैं.

वाशिंदों को नहीं मिलती स्वास्थ्य सुविधाएं
गांव में न बिजली है, न पानी है और न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का फायदा यहां बाशिदों को मिलता है. पुल-पुलिया और सड़क का इंतजार यहां के लोग पिछले कई साल से कर रहे हैं. जिम्मेदारों से फरियाद भी लगाई पर किसी ने सुध नहीं ली.

गांव में नहीं है आंगनबाड़ी
गांव पेयजल संकट से भी जूझ रहा है. यहां स्कूल तो हैं, लेकिन पिछले दो साल से यहां ताला लगा हुआ है. ऐसे में यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए नदी पार कर बेलरबाहरा गांव जाना पड़ता है. बता दें कि यहां आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. जहां नौनिहाल पढ़ाई कर सकें और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार मिल सके.

उपयोग के लायक नहीं है शौचालय
बारिश दिनों में अगर गांव में मौजूद कोई बीमार हो जाए तो, हालात बेकाबू हो जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन का भी बुरा हाल है. स्वच्छता के नाम पर घर-घर शौचालय तो बनाया गया, लेकिन से शौचालय उपयोग के लायक नहीं है और टूट फूट की स्थिति में है. इस गांव की महिलाएं आज भी खुले में शौच जाने मजबूर हैं.

बिजली पहुंची फिर भी अंधेरे में डूबा है गांव
कुछ साल पहले गांव में सौर उर्जा के तहत बिजली पहुंचाई गई थी, लेकिन चंद महीनों बाद उसने भी दम तोड़ दिया. जिसकी वजह से यह गांव दोबारा अंधेरे में डूब गया. विकास के नाम पर उनके गांव में कुछ भी नहीं है. सरकारी योजनाएं कब आती है और कब चली जाती हैं, पता ही नहीं चलता. इधर हर बार की तरह प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है कि गांव में हर मुमकिन सुविधाएं मुहैया करा दी जाएंगी. प्रशासन की बेरुखी की वजह से यहां के लोग आज भी पुराने तरीकों से जीवन जी रहे हैं.

Intro:

एंकर....हिन्दुस्तान आज दुनिया के विकसित देशों के कतार में खड़े होने की जददोजहद में लगा है तो वही उसी देश के कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.वह देश जिसकी आत्मा गांवों में बसती है उसी देश की नींव कितनी कमजोर है इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ के इस गांव से लगाया जा सकता है.हालांकि केन्द्र सरकार के कोने कोने में बिजली पहुंचाने को अपना मिशन बताकर जनता के बीच खूब वाहवाही बटोरी लेकिन इन वाहवाही के बीच धमतरी जिले का बरपदर गांव आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर है.

धमतरी जिले के अंतिम छोर में बसे बरपदर गांव सालों से अंधेरे में जी रहा है.यहां के लोग नेताओं के वायदे सुनते थक गए है न उनके विकास का रथ दौड़ पाया और न ही अच्छे दिन की तलाश पुरी हुई.जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर बेलरबाहरा का इस आश्रित ग्राम बरपदर में तकरीबन 21 परिवार निवास करते है.गांव में आवाजाही का साधन नही है लिहाजा यहां लोग जंगलो के रास्ते से नदी नाला पार कर आना जाना करते है.यहां समस्या नहीं बल्कि समस्याओं का अंबार है.

गांव में न बिजली है न पानी है और न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ यहां वाशिदों को मिलता है.पुल पुलिया और सड़क का इंतजार यहां के लोग बरसो से कर रहे है पर कोई सुध नही लेने वाला है.गांव पेयजल संकट से भी जूझ रहा है.शिक्षा के मंदिर में पिछले 2 सालों से ताला लगा हुआ है.ऐसे में यहां के बच्चे को पढ़ने के लिए नदी पार कर बेलरबाहरा गांव जाते है.यहां आंगनबाड़ी केंद्र भी नही है जहां छोटे छोटे पढ़ सके और गर्भवती माताओं को पोषण आहार मिल सके.ग्रामीण बारिश दिनों में यहां के लोगों की जिंदगी माने कट सी जाती है.अगर कोई बीमार हो जाए तो बड़ी मुश्किल हालात बन जाते है.

यहां देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन का बुराहाल है स्वच्छता के नाम पर घर घर शौचालय तो बनाया गया.पर इसमें जमकर भ्रष्टाचार भी किया गया.नतीजन शौचालय उपयोग लायक नही रहा और टूट फूट की स्थिति में है ऐसे में ग्रामीण और महिलाएं आज भी खुले में षौच जाने मजबूर है.

गांव के .......बताते है कि पिछले कुछ साल पहले गांव में सौर उर्जा के तहत बिजली पहुंचाया गया था लेकिन चंद महीनों बाद वह भी दम तोड़ दिया.जिसके के कारण वे पहले की तरह अब भी अंधेरे में जिंदगी काट कर रहे है.विकास के नाम पर उनके गांव में कुछ भी नही है.सरकारी योजनाएं कब आती है और कब चली जाती है पता ही नही चलता.इधर हर बार की तरह प्रषासन सिर्फ आष्वासन दे रही है कि गांव में हर मुमकिन सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी.बहरहाल सरकार और प्रषासन के बेरूखी के चलते यहां के लोग आज भी पुराने तरीकों से जीवन जी रहे है.
बाईट....सुखंतीं बाई
बाईट....मेहरू राम
बाईट ....फुलबती
बाईट...मोहन मांडवी सांसद कांकेर
बाईट.....रजत बंसल कलेक्टरBody:जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी8319178303Conclusion:
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