धमतरी: सरकार ने राशनकार्डों के नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंप दिया है, लेकिन इससे आंगनबाड़ी के कामकाज में बाधा पड़ रही है. ऐसे में आंगनबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी सहायिकाओं के कंधे पर आ गई है. सहायिका ही बच्चों को पढ़ा रही है. इसके आलावा मिड डे मिल की जिम्मेदारी भी सहायिका के कंधे पर ही है.
प्रदेश सरकार ने पीडीएस लाभार्थियों के लिए अपनी नीति में बदलाव लाया था. नई नीति को जमीन पर लागू करने के लिए राशन कार्डों का नवीनीकरण जरूरी था और इस काम को प्राथमिकता से तय वक्त में निपटाने के लिये निगम, ग्राम पंचायत के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी ड्यूटी इस काम में लगा दी गई है.
सहायिका के सिर पर है आंगनबाड़ी केंद्रों का काम
वहीं महिला बाल विकास विभाग की डीपीओ रेणु प्रकाश का कहना है कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का काम अब सहायिकाओं के सिर पर है. बच्चों को पोषक आहार बना कर खिलाना, केंद्र की सफाई करना, बच्चों को उनके घर छोड़ कर आना, गर्भवतियों को पोषक आहार उपलब्ध कराना इस बीच और भी बहुत से काम है जो फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्रों में ठप्प पड़े हैं. इस कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका दोनों परेशान हैं.
2390 बच्चे कुपोषण के हैं शिकार
बता दें कि जिले में चार ब्लॉक हैं जिनमें नगरी, कुरुद, भखारा और धमतरी हैं. इसमें कुल 1 हजार 106 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. पूरे जिले के केंद्रों में कुल 52 हजार बच्चों को संभालने के लिये 1 हजार 97 कार्यकर्ता और 1 हजार 90 सहायिकाएं हैं. इन बच्चों में 2390 बच्चे फिलहाल कुपोषण के शिकार हैं, जिन्हें ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. फिलहाल कार्यकर्ताओं की ड्यूटी राशनकार्ड के लिये लगा दी गई है, जिससे वो एक मिनट का समय भी आंगनबाड़ी को नहीं दे पाते हैं.