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धमतरी: राशनकार्ड नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी को सौंपने से चरमराई व्यवस्था

आंगनबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी सहायिकाओं के कंधे पर आ गई है. सहायिका ही बच्चों को पढ़ा रही है. इसके आलावा मिड डे मिल की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है.

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Published : Aug 2, 2019, 2:47 PM IST

आंगनबाड़ी

धमतरी: सरकार ने राशनकार्डों के नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंप दिया है, लेकिन इससे आंगनबाड़ी के कामकाज में बाधा पड़ रही है. ऐसे में आंगनबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी सहायिकाओं के कंधे पर आ गई है. सहायिका ही बच्चों को पढ़ा रही है. इसके आलावा मिड डे मिल की जिम्मेदारी भी सहायिका के कंधे पर ही है.

राशनकार्ड नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी को सौंपने से चरमराई व्यवस्था

प्रदेश सरकार ने पीडीएस लाभार्थियों के लिए अपनी नीति में बदलाव लाया था. नई नीति को जमीन पर लागू करने के लिए राशन कार्डों का नवीनीकरण जरूरी था और इस काम को प्राथमिकता से तय वक्त में निपटाने के लिये निगम, ग्राम पंचायत के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी ड्यूटी इस काम में लगा दी गई है.

सहायिका के सिर पर है आंगनबाड़ी केंद्रों का काम
वहीं महिला बाल विकास विभाग की डीपीओ रेणु प्रकाश का कहना है कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का काम अब सहायिकाओं के सिर पर है. बच्चों को पोषक आहार बना कर खिलाना, केंद्र की सफाई करना, बच्चों को उनके घर छोड़ कर आना, गर्भवतियों को पोषक आहार उपलब्ध कराना इस बीच और भी बहुत से काम है जो फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्रों में ठप्प पड़े हैं. इस कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका दोनों परेशान हैं.

2390 बच्चे कुपोषण के हैं शिकार
बता दें कि जिले में चार ब्लॉक हैं जिनमें नगरी, कुरुद, भखारा और धमतरी हैं. इसमें कुल 1 हजार 106 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. पूरे जिले के केंद्रों में कुल 52 हजार बच्चों को संभालने के लिये 1 हजार 97 कार्यकर्ता और 1 हजार 90 सहायिकाएं हैं. इन बच्चों में 2390 बच्चे फिलहाल कुपोषण के शिकार हैं, जिन्हें ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. फिलहाल कार्यकर्ताओं की ड्यूटी राशनकार्ड के लिये लगा दी गई है, जिससे वो एक मिनट का समय भी आंगनबाड़ी को नहीं दे पाते हैं.

धमतरी: सरकार ने राशनकार्डों के नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंप दिया है, लेकिन इससे आंगनबाड़ी के कामकाज में बाधा पड़ रही है. ऐसे में आंगनबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी सहायिकाओं के कंधे पर आ गई है. सहायिका ही बच्चों को पढ़ा रही है. इसके आलावा मिड डे मिल की जिम्मेदारी भी सहायिका के कंधे पर ही है.

राशनकार्ड नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी को सौंपने से चरमराई व्यवस्था

प्रदेश सरकार ने पीडीएस लाभार्थियों के लिए अपनी नीति में बदलाव लाया था. नई नीति को जमीन पर लागू करने के लिए राशन कार्डों का नवीनीकरण जरूरी था और इस काम को प्राथमिकता से तय वक्त में निपटाने के लिये निगम, ग्राम पंचायत के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी ड्यूटी इस काम में लगा दी गई है.

सहायिका के सिर पर है आंगनबाड़ी केंद्रों का काम
वहीं महिला बाल विकास विभाग की डीपीओ रेणु प्रकाश का कहना है कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का काम अब सहायिकाओं के सिर पर है. बच्चों को पोषक आहार बना कर खिलाना, केंद्र की सफाई करना, बच्चों को उनके घर छोड़ कर आना, गर्भवतियों को पोषक आहार उपलब्ध कराना इस बीच और भी बहुत से काम है जो फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्रों में ठप्प पड़े हैं. इस कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका दोनों परेशान हैं.

2390 बच्चे कुपोषण के हैं शिकार
बता दें कि जिले में चार ब्लॉक हैं जिनमें नगरी, कुरुद, भखारा और धमतरी हैं. इसमें कुल 1 हजार 106 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. पूरे जिले के केंद्रों में कुल 52 हजार बच्चों को संभालने के लिये 1 हजार 97 कार्यकर्ता और 1 हजार 90 सहायिकाएं हैं. इन बच्चों में 2390 बच्चे फिलहाल कुपोषण के शिकार हैं, जिन्हें ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. फिलहाल कार्यकर्ताओं की ड्यूटी राशनकार्ड के लिये लगा दी गई है, जिससे वो एक मिनट का समय भी आंगनबाड़ी को नहीं दे पाते हैं.

Intro:सरकार ने राशनकार्डो के नवीनीकरण का काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ को तो सौंप दिया है लेकिन इससे आंगनबाड़ियो में कामकाज ठीक से चलाना असंभव हो गया है.ऐसे मे आंगनबाड़ी की पूरी जिम्मेदारी सहायिकाओ के कंधे आ गई है.सहायिका ही बच्चो को पढ़ा रही है इसके आलावा मिड डे मिल की जिम्मेदारी भी सहायिका के ही कंधे पर है.अब राशन कार्ड नवीनीकरण की तरीख को और बढा दिया है जिसके वजह से आंगनबाड़ियों की व्यवस्था चरमरा गई है.

Body:प्रदेश सरकार अपनी पीडीएस लाभार्थीयो के लिये अपने नीति में बदलाव किया था.नई नीति को जमीन पर लागू करने के लिये राशन कार्डो का नवीनी करण जरूरी था और इस काम को प्राथमिकता से तय वक्त में निपटाने के लिये निगम,ग्राम पंचायत के साथ साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ की भी ड्यूटी इस काम में लगा दी गई है. लेकिन ये विचार नहीं किया गया कि कार्यकर्ताओ के बिना आंगनबाड़ी कैसे संचालित किये जाएंगे.यही प्लानिंग और दूरदर्शिता की कमी नई मुसीबत का कारण बन गई है जिले के सभी आंगन बाड़ी केंद्रो का काम अब सहायिका के सर है.मसलन बच्चो को पोषक आहार बना कर खिलाना,केंद्र की सफाई करना,बच्चो को उनके घर छोड़ कर आना,गर्भवतियो को पोषक आहार उपलब्ध कराना इस बीच और भी बहुत से काम है जो फिलहाल आंगनवाड़ी केंद्रो में ठप्प पड़े हैं.इस स्थिति से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका दोनो परेशान है. 

धमतरी जिले के आंगनबाड़ियो का हिसाब किताब कुछ इस तरह है जिले में चार ब्लाक हैं जिनमें नगरी,कुरूद, भखारा और धमतरी है.इनमें कुल 1106 आंगनबाड़ी केंद्र है.पूरे जिले के केंद्रों में कुल 52 हजार बच्चो को सम्हालने के लिये 1 हजार 97 कार्यकर्ता और 1 हजार 90 सहायिका है.इन बच्चो में 23 सौ 90 बच्चे फिलहाल कुपोषण के शिकार है जिन्हे ज्यादा ध्यान देना पड़ता है.

Conclusion:फिलहाल कार्यकर्ताओ की ड्यूटी राशनकार्ड के लिये लगा दी जाती है जिससे वो एक मिनट का समय भी आंगनबाड़ी को नहीं दे पाते है.

बाईट...रिना साहू,आंगनबाड़ी सहायिका
बाईट...मंजू साहू,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
बाईट...रेणु प्रकाश,डीपीओ महिला बाल विकास विभाग

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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