दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाओं को लागू किया गया है. जिसका फायदा नक्सल प्रभावित सहित अन्य क्षेत्रों की महिलाएं उठाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाओं को सक्षम बनाने को सरकार अक्सर कोई न कोई योजनाएं लागू करती हैं, ताकि ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं भी सबल बन सकें. दंतेवाड़ा में रेशम विभाग जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रेशम कीट पालन का रोजगार कर ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत कर (Women of Dantewada Self Help Group) रही है.
रेशम के धागे से बुन रही किस्मत
स्वसहायता समूह की महिलाएं रेशम के धागे से अपने किस्मत का ताना-बाना बुन रही हैं. महिलाओं के लिए कृमि पालन समिति बनाई गई. इस समिति में 10 महिलाएं यह कार्य कर रही हैं. रेशम केंद्र चितालंका में शहतूत कृमि पालन का काम इन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है. जिसके लिए 9 एकड़ की जमीन में शहतूत के पौधे लगाए गए हैं.
यूं होती है प्रोसेसिंग
महिलाओं की देखरेख में यह पौधे तैयार होते हैं, जिसके बाद महिलाओं द्वारा इन्हें काटकर मकबरी किटको खिलाया जाता है, जिसके बाद कीड़े इन पत्तियों को खाकर हष्ट-पुष्ट हो जाते हैं. कीड़े नुमा इलियों को फीडिंग कराई जाती है.फीडिंग के बाद जो अंडे तैयार होते हैं, उसे तीन से चार हफ्ते ढंक कर रखा जाता है. जिसके बाद महिलाओं के माध्यम से हार्वेस्टर का प्रोसेस कर पूरी तरह से कोसा तैयार हो जाता है, जिसे कृमि पालन महिला समिति बेचती हैं. इसे बेचने पर महिला स्वच्छता समूह को अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
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महिलाओं को मिल रहा रोजगार
इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्व सहायता समूह की अनीता कुमारी कहती हैं कि, साल 2021-22 में द्वितीय फसल के अंतर्गत 14 सौ अंडो का कृमि पालन किया गया. रेशम विभाग के मार्गदर्शन में हम महिलाओं ने 230 किलोग्राम मल्टी वोल्टाइन मगबरी कोसा उत्पादन किया है. उत्पादित कोसे को विक्रय कर हम महिलाओं को 90,000 हजार रुपए की आमदनी हुई है. जिससे प्रत्येक महिलाएं 5 से ₹6000 कमा रही हैं. महिलाओं का कहना है कि, इस काम से हमारे घर की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है.