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SPECIAL: छिंद के पत्ते का गुलदस्ता संवार रहा है इन महिलाओं की जिंदगी

छिंद के पत्ते से गुलदस्ता बनाकर 22 महिलाएं अपनी जिंदगी संवार रही हैं. इससे उन्हें हर महीने 5 से 10 रुपए की आमदनी हो रही है. शासन-प्रशासन की ओर से इन्हें गुलदस्ता बनाने का आर्डर मिलना भी शुरू हो गया है.

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स्व सहायता
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Published : Dec 27, 2020, 6:38 PM IST

Updated : Dec 27, 2020, 6:52 PM IST

दंतेवाड़ा: छिंद के पत्ते से गुलदस्ता बनाकर 22 महिलाएं अपनी जिंदगी संवार रही हैं. ज्ञानानंद स्व सहायता समूह की 22 महिलाएं गुलदस्ता बनाने का काम कर रही हैं. इसके जरिए उन्हें हर महीने 5 से 10 रुपए की आमदनी हो रही है. इन महिलाओं की मेहनत और लगन काम रही है. खूबसूरत गुलदस्तों के लिए उन्हें कई ऑर्डर मिल रहे हैं.

छिंद के पत्ते के गुलदस्ता संवार रहा है इन महिलाओं की जिंदगी

ज्ञानानंद स्व सहायता समूह की महिलाओं को शासन-प्रशासन की ओर से गुलदस्ता बनाने का आर्डर मिलना भी शुरू हो गया है. इनके बनाए गुलदस्ते से VIP लोगों का स्वागत किया जाता है. शासन-प्रशासन की तरफ से गुलदस्ते का वाजिब दाम स्व सहायता समूह के खाते में डाल दिया जाता है.

Women becoming self-sufficient by making a bouquet with the leaves of chind
छिंद के पत्ते से गुलदस्ते का निर्माण

पढ़ें : SPECIAL: फूलों की खेती कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है महिलाएं, नरवा-गरूवा-घुरवा और बाड़ी योजना बनी वरदान

22 महिलाएं इस उद्योग से जुड़ी

स्व सहायता समूह की महिला रामवती ने बताया कि शासन-प्रशासन की मदद से यह काम तीन महिलाओं ने शुरू किया था. इस उद्योग को बढ़ता देख कई 22 अन्य महिलाएं भी स्व सहायता समूह से जुड़कर गुलस्ता बनाने का काम कर रही हैं. महिलाओं को हर महीने 5 से 10 हजार रुपये तक की भी आमदनी हो जाती है. महिलाओं का कहना है इस उद्योग से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. उनकी जीविका चलाने के लिए कई रास्ते आसान हो गए हैं.

Women becoming self-sufficient by making a bouquet with the leaves of chind
छिंद के पत्ते से गुलदस्ते का निर्माण

पढ़ें : कोरिया: स्व सहायता समूह की महिलाओं ने किया कमाल, गोबर के दीये बनाकर हुई मालामाल

4 से 5 हजार तक का मुनाफा
शासन-प्रशासन के अधिकारी NRLM अजय कुमार ने बताया कि शासन-प्रशासन के आजीविका केंद्र में इन महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई थी. उस दौरान छिंद के पत्ते से गुलदस्ता बनाना सिखाया गया था. आज सहायता समूह की महिलाएं हर गुलदस्ते पर 100 से 200 रुपए तक कमा लेती हैं. शासन-प्रशासन से भी गुलदस्ते बनाने के लिए ऑर्डर मिलते हैं. ऑर्डर पूरा होने के बाद इसके पैसे स्व सहायता समूह के खाते में डाल दिए जाते हैं. इन्हें मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में दुकान दिए जाने की तैयारी की जा रही है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें.

दंतेवाड़ा: छिंद के पत्ते से गुलदस्ता बनाकर 22 महिलाएं अपनी जिंदगी संवार रही हैं. ज्ञानानंद स्व सहायता समूह की 22 महिलाएं गुलदस्ता बनाने का काम कर रही हैं. इसके जरिए उन्हें हर महीने 5 से 10 रुपए की आमदनी हो रही है. इन महिलाओं की मेहनत और लगन काम रही है. खूबसूरत गुलदस्तों के लिए उन्हें कई ऑर्डर मिल रहे हैं.

छिंद के पत्ते के गुलदस्ता संवार रहा है इन महिलाओं की जिंदगी

ज्ञानानंद स्व सहायता समूह की महिलाओं को शासन-प्रशासन की ओर से गुलदस्ता बनाने का आर्डर मिलना भी शुरू हो गया है. इनके बनाए गुलदस्ते से VIP लोगों का स्वागत किया जाता है. शासन-प्रशासन की तरफ से गुलदस्ते का वाजिब दाम स्व सहायता समूह के खाते में डाल दिया जाता है.

Women becoming self-sufficient by making a bouquet with the leaves of chind
छिंद के पत्ते से गुलदस्ते का निर्माण

पढ़ें : SPECIAL: फूलों की खेती कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है महिलाएं, नरवा-गरूवा-घुरवा और बाड़ी योजना बनी वरदान

22 महिलाएं इस उद्योग से जुड़ी

स्व सहायता समूह की महिला रामवती ने बताया कि शासन-प्रशासन की मदद से यह काम तीन महिलाओं ने शुरू किया था. इस उद्योग को बढ़ता देख कई 22 अन्य महिलाएं भी स्व सहायता समूह से जुड़कर गुलस्ता बनाने का काम कर रही हैं. महिलाओं को हर महीने 5 से 10 हजार रुपये तक की भी आमदनी हो जाती है. महिलाओं का कहना है इस उद्योग से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. उनकी जीविका चलाने के लिए कई रास्ते आसान हो गए हैं.

Women becoming self-sufficient by making a bouquet with the leaves of chind
छिंद के पत्ते से गुलदस्ते का निर्माण

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4 से 5 हजार तक का मुनाफा
शासन-प्रशासन के अधिकारी NRLM अजय कुमार ने बताया कि शासन-प्रशासन के आजीविका केंद्र में इन महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई थी. उस दौरान छिंद के पत्ते से गुलदस्ता बनाना सिखाया गया था. आज सहायता समूह की महिलाएं हर गुलदस्ते पर 100 से 200 रुपए तक कमा लेती हैं. शासन-प्रशासन से भी गुलदस्ते बनाने के लिए ऑर्डर मिलते हैं. ऑर्डर पूरा होने के बाद इसके पैसे स्व सहायता समूह के खाते में डाल दिए जाते हैं. इन्हें मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में दुकान दिए जाने की तैयारी की जा रही है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें.

Last Updated : Dec 27, 2020, 6:52 PM IST
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