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भूमकाल दिवस मनाने नंदराज पर्वत पहुंचे आदिवासी, बड़े आंदोलन का इशारा

दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के आदिवासी समाज ने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए एक बार फिर अभियान शुरू किया. बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर आदिवासी समाज ने विधि विधान से पूजा कर खदान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया.

Bhumakam Day
भूमकाम दिवस
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Published : Feb 11, 2020, 11:38 AM IST

Updated : Feb 11, 2020, 12:20 PM IST

दंतेवाड़ाः सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के आदिवासी समाज ने जल,जंगल और जमीन को बचाने के लिए एक बार फिर अभियान शुरू किया है. सोमवार को भूमकाल दिवस पर एक बार फिर इलाके के सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने नंदराज बचाओ अभियान शुरू किया. आदिवासी समाज ने पंचायत संघर्ष समिति की अगुवाई में अभियान के लिए एकजुटता दिखाई है.

भूमकाम दिवस

आदिवासी क्रांतिकारियों की याद में 10 फरवरी को मनाए जाने वाले भूमकाल दिवस के दिन बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर हजारों आदिवासी लगभग 15 किलोमीटर पदयात्रा कर पहुंचे और आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना कर खदान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया. यहां आदिवासी नाट्य मंडली ने परंपरागत नृत्य और गीत के माध्यम से जल,जंगल और जमीन को बचाए रखने की अपील की है.

जल,जंगल और जमीन बचाने के लिए भूमकाल विद्रोह
पंचायत संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के अनुसार साल 1910 में वीर गुंडाधुर और वीर गेंद सिंह ने जल,जंगल और जमीन सहित अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए भूमकाल विद्रोह किया था. हर साल 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है. तीनों जिले के आदिवासी समाज के लोग NMDC खदान डिपॉजिट नंबर 13 पर स्थित देवधाम पेटोडमेटा में पहुंचे, जहां उन्होंने परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की.

संस्कृति बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई

सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने बताया कि इस पहाड़ से ग्रामवासियों की आस्था जुड़ी हुई है, जिसे अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से आदिवासी समाज ने नाराज होकर पिछले साल जून महीने में बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस खदान में चल रहे सभी काम को रोकने का आदेश दिया था. उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नंदराज को बचाने की मुहिम में लगे लोगों को पुलिस नक्सली बताकर मार रही है, लेकिन हम अंतिम सांस तक आदिवासी आस्था को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे.

दंतेवाड़ाः सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के आदिवासी समाज ने जल,जंगल और जमीन को बचाने के लिए एक बार फिर अभियान शुरू किया है. सोमवार को भूमकाल दिवस पर एक बार फिर इलाके के सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने नंदराज बचाओ अभियान शुरू किया. आदिवासी समाज ने पंचायत संघर्ष समिति की अगुवाई में अभियान के लिए एकजुटता दिखाई है.

भूमकाम दिवस

आदिवासी क्रांतिकारियों की याद में 10 फरवरी को मनाए जाने वाले भूमकाल दिवस के दिन बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर हजारों आदिवासी लगभग 15 किलोमीटर पदयात्रा कर पहुंचे और आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना कर खदान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया. यहां आदिवासी नाट्य मंडली ने परंपरागत नृत्य और गीत के माध्यम से जल,जंगल और जमीन को बचाए रखने की अपील की है.

जल,जंगल और जमीन बचाने के लिए भूमकाल विद्रोह
पंचायत संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के अनुसार साल 1910 में वीर गुंडाधुर और वीर गेंद सिंह ने जल,जंगल और जमीन सहित अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए भूमकाल विद्रोह किया था. हर साल 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है. तीनों जिले के आदिवासी समाज के लोग NMDC खदान डिपॉजिट नंबर 13 पर स्थित देवधाम पेटोडमेटा में पहुंचे, जहां उन्होंने परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की.

संस्कृति बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई

सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने बताया कि इस पहाड़ से ग्रामवासियों की आस्था जुड़ी हुई है, जिसे अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से आदिवासी समाज ने नाराज होकर पिछले साल जून महीने में बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस खदान में चल रहे सभी काम को रोकने का आदेश दिया था. उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नंदराज को बचाने की मुहिम में लगे लोगों को पुलिस नक्सली बताकर मार रही है, लेकिन हम अंतिम सांस तक आदिवासी आस्था को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे.

Intro:दंतेवाड़ा -दंतेवाड़ा में सोमवार को पंचायत संघर्ष समिति के अगुवाई में भूमकाल दिवस पर एक बार फिर इलाके के सर्व आदिवासी समाज के लोगो ने नंदराज बचाओ अभियान को शुरू करने एकजुटता दिखाई है । आदिवासी क्रांतिकारीयो की याद में 10 जनवरी को मनाये जाने वाले भूमकाल दिवस के दिन बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर हज़ारो आदिवासी लगभग 15 किलोमीटर पदयात्रा कर पहुंचे और आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना कर खदान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया । यहां आदिवासी नाट्य मंडली द्वारा परंपरागत नृत्य और गीत के माध्यम से जल जंगल और जमीन को बचाये रखने की अपील भी की गई ।


वीओ 01 - पंचायत संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के अनुसार सन 1910 में वीर गुण्डाधुर व वीर गेंद सिंह ने जल जंगल जमीन व अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए भूमकाल विद्रोह किया था । जिसके चलते इस वर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस को एनएमडीसी खदान डिपॉजिट नम्बर 13 स्थित देवधाम पेटोडमेटा में आसपास के सभी आदिवासी पहुंचकर आदिवासियों की परंपरागत तरीके पूजा आनुस्ठान करेंगे ।। ज्ञात हो की इस पहाड़ से ग्रामवासियों की आस्था जुड़ी हुई है जिसे अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से नाराज़ आदिवासियों ने विगत वर्ष जून माह में बड़ा आंदोलन भी किया था जिसके बाद राज्य सरकार ने इस खदान में चल रहे सभी काम को रोकने के आदेश दिए थे । आदिवासी नेत्री ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते कहा है कि नंदराज को बचाने की मुहिम में लगे लोगो को पुलिस नक्सली बताकर मार रही है पर हम अंतिम सांस तक आदिवासी आस्था को बचाने लड़ते रहेंगे ।

बाईट - सोनी सोरी , सामाजिक कार्यक्रता ......
बाईट - नंदा कुंजाम , अध्यक्ष पंचायत संघर्ष समिति ,Body:।।।।Conclusion:।।।।।
Last Updated : Feb 11, 2020, 12:20 PM IST
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