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दंतेवाड़ा: आदिवासियों ने मनाया भूमकाल दिवस, NMDC के बहिष्कार का लिया संकल्प - अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से नाराज

बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर हजारों आदिवासियों ने एक साथ पहुंचकर भूमकाल दिवस मनाया. साथ आदिवासियों ने एक बार फिर NMDC खदान के बहिष्कार का संकल्प लिया.

Tribals celebrate Bhumkal day on Nandraj mountain in dantewada
आदिवासियों ने मनाया भूमकाल दिवस
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Published : Feb 12, 2020, 5:18 PM IST

Updated : Feb 12, 2020, 10:18 PM IST

दंतेवाड़ा: पंचायत संघर्ष समिति की अगुवाई में एक बार फिर आदिवासी समाज ने 'नंदराज बचाओ' अभियान छेड़ दिया है. भूमकाल दिवस के मौके पर इलाके के सर्व आदिवासी समाज के लोग फिर एकजुट नजर आने लगे हैं. इसी कड़ी में हजारों आदिवासियों ने अपने क्रांतिकारियों की याद में भूमकाल दिवस पर 15 किलोमीटर पदयात्रा कर नंदराज पर्वत पहुंचे. जहां सभी ने आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना कर खदान के बहिष्कार का संकल्प लिया.

आदिवासियों ने मनाया भूमकाल दिवस

दरअसल, पंचायत संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के अनुसार सन 1910 में वीर गुण्डाधुर, वीर गेंद सिंह ने जल जंगल जमीन और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए भूमकाल विद्रोह किया था, जिसके कारण भूमकाल दिवस को NMDC खदान डिपॉजिट नम्बर 13 स्थित देवधाम पेटोडमेटा में आदिवासियों ने परंपरागत तरीके से पूजा किया. साथ ही आदिवासी नाट्य मंडली ने परंपरागत नृत्य और गीत के माध्यम से जल जंगल और जमीन को बचाए रखने की अपील भी की.

आस्था को बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे आदिवासी

बता दें, नंदराज पर्वत में आदिवासियों की आस्था जुड़ी हुई है, जिसे अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से नाराज आदिवासियों ने विगत वर्ष जून माह में बड़ा आंदोलन भी किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस खदान में चल रहे सभी काम को रोकने के आदेश दिए थे. आदिवासी नेता ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 'नंदराज को बचाने की मुहिम में लगे लोगों को पुलिस नक्सली बताकर मार रही है, लेकिन हम अंतिम सांस तक आदिवासी आस्था को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे'.

दंतेवाड़ा: पंचायत संघर्ष समिति की अगुवाई में एक बार फिर आदिवासी समाज ने 'नंदराज बचाओ' अभियान छेड़ दिया है. भूमकाल दिवस के मौके पर इलाके के सर्व आदिवासी समाज के लोग फिर एकजुट नजर आने लगे हैं. इसी कड़ी में हजारों आदिवासियों ने अपने क्रांतिकारियों की याद में भूमकाल दिवस पर 15 किलोमीटर पदयात्रा कर नंदराज पर्वत पहुंचे. जहां सभी ने आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना कर खदान के बहिष्कार का संकल्प लिया.

आदिवासियों ने मनाया भूमकाल दिवस

दरअसल, पंचायत संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के अनुसार सन 1910 में वीर गुण्डाधुर, वीर गेंद सिंह ने जल जंगल जमीन और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए भूमकाल विद्रोह किया था, जिसके कारण भूमकाल दिवस को NMDC खदान डिपॉजिट नम्बर 13 स्थित देवधाम पेटोडमेटा में आदिवासियों ने परंपरागत तरीके से पूजा किया. साथ ही आदिवासी नाट्य मंडली ने परंपरागत नृत्य और गीत के माध्यम से जल जंगल और जमीन को बचाए रखने की अपील भी की.

आस्था को बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे आदिवासी

बता दें, नंदराज पर्वत में आदिवासियों की आस्था जुड़ी हुई है, जिसे अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिए जाने से नाराज आदिवासियों ने विगत वर्ष जून माह में बड़ा आंदोलन भी किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस खदान में चल रहे सभी काम को रोकने के आदेश दिए थे. आदिवासी नेता ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 'नंदराज को बचाने की मुहिम में लगे लोगों को पुलिस नक्सली बताकर मार रही है, लेकिन हम अंतिम सांस तक आदिवासी आस्था को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे'.

Last Updated : Feb 12, 2020, 10:18 PM IST
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