दंतेवाड़ा: दक्षिण बस्तर पुलिस की ओर से चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान और प्रदेश सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर मंगलवार को 5 इनामी समेत 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.
दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि पुलिस की ओर से बीते 4 महीने से क्षेत्र में लोन वर्राटू अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत नक्सल क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने की अपील की जा रही है. इसके अलावा सक्रिय नक्सलियों के नाम से क्षेत्रों में पोस्टर चस्पा कर उन्हें सरेंडर करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.
नक्सलियों पर लाखों का इनाम
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में एरिया कमिटी अध्यक्ष कोसा मड़काम, जिसपर 5 लाख रुपये का इनाम है, एलजीएस सेक्शन डिप्टी कमांडर माड़वी आयता, जिसपर 2 लाख रुपये का इनामी है और जनमिलिशिया कमांडर भीमा कोर्राम, मुक्का माड़वी समेत डीकेएमइस अध्यक्ष देवा मंडावी पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था. इन सभी इनामी समेत 10 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है.
बीजापुर: गंभीर घटनाओं में शामिल 4 नक्सली गिरफ्तार, जिला पुलिस की कार्रवाई
लगातार मिल रही सफलता
नक्सल मोर्चे को लेकर बस्तर पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है. पुलिस की ओर से चलाए जा रहे अभियान, लगातार सर्चिंग और जनता से अच्छे संबंध का फायदा पुलिस को मिल रहा है. जिसके चलते नक्सली लगातार सरेंडर कर रहे हैं. साथ ही बड़ी तादाद में नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा रही है. इसके अलावा कई नक्सली अब हिंसा का रास्ता भी छोड़ रहे हैं. बीते दो दिनों में बीजापुर जिले में भी करीब 8 नक्सलियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
अगस्त महीने से अब तक सरेंडर करने वाले नक्सलियों के आंकड़े
- कोंडागांव में बीते 9 अगस्त को 4 नक्सलियों ने किया था सरेंडर
- दंतेवाड़ा में भी बीते 9 अगस्त को 5 इनामी सहित 12 नक्सलियों ने सरेंडर किया था
- 13 अगस्त को 3 इनामी समेत 16 नक्सलियों ने किया सरेंडर
- 26 अगस्त को 5 नक्सलियों ने किया था सरेंडर
- 28 सितंबर को 8 लाख के इनामी नक्सली कोसा मरकाम ने किया था सरेंडर
- 13 अक्टूबर को 3 लाख के इनामी नक्सली ने किया था सरेंडर
- 17 अक्टूबर को एक लाख के इनामी समेत तीन नक्सलियों ने किया था आत्मसमर्पण
- 25 अक्टूबर को 4 इनामी समेत 32 नक्सलियों ने किया था सरेंडर
- 1 नवंबर को 27 नक्सलियों ने किया था आत्मसमर्पण
क्या है लोन वर्राटू
नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए साल 2005 में भी अभियान चलाया जा चुका है. राज्य सरकार द्वारा बनाये गए पुनर्वास नीति में समय-समय पर बदलाव कर नक्सलियों की इनाम की राशि भी बढ़ाई जाती रही है. इसी दिशा में अब लोन वर्राटू (घर वापसी अभियान) की भी शुरुआत की गई है. जिसमें अब सरेंडर करने वाले नक्सलियों को केवल पुलिस में ही नौकरी नहीं मिलेगी, बल्कि उनकी रुचि और कौशल के आधार पर नौकरी व रोजगार के साथ सभी साधन मुहैया कराने की नीति बनाई गई है.