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ताकि 'लाल आतंक' से हो सकें दूर, जेल में सीख रहे जिंदगी जीने के गुर

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Published : Oct 4, 2019, 1:26 PM IST

Updated : Oct 4, 2019, 1:39 PM IST

दंतेवाड़ा की जेल में बंद कैदियों पर जेल प्रबंधन दिनों एक अनूठा प्रयोग कर रहा है. जेल में बंद कैदियों को प्रबंधन आधुनिक खेती का गुर सिखा रहा है. जेल प्रबंधन इन बंदियों को डिजिटल साक्षर और किसान बनाकर इन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाह रहा है.

दंतेवाड़ा जेल में कैदियो को दिया जा रहा खेती किसानी का प्रशिक्षण

दंतेवाड़ा: नक्सली गतिविधियों में संलिप्त बंदियों को ई-मितान के तहत जेल में आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रबंधन बंदियों को जेल से कुशल किसान बनाकर बाहर भेजना चाह रहा है. जिससे वे रोजगार के अभाव में फिर से कोई गलत रास्ता न अपनाये.

दंतेवाड़ा जेल में कैदियो को दिया जा रहा खेती किसानी का प्रशिक्षण

प्रबंधन ने बताया कि जेल में बंद कैदियों में 60 प्रतिशत कैदियों पर नक्सलवाद में शामिल होने का आरोप हैं. जेल प्रबंधन का मानना है कि प्रशिक्षण के बाद जेल से बाहर निकलने पर कैदी खेती-किसानी में जुट जाएंगे और लाल आतंक से तौबा कर लेंगे.

जेल पर लगे दाग को मिटाने में लगा प्रबंधन
2007 में बंदियों ने जेल ब्रेक किया था और 2018 में जेल ब्रेक की कोशिश की गई थी. जेल प्रबंधन अब कैदियों के माध्यम से जेल पर लगे इस दाग को मिटाना चाह रहा है. जेल प्रबंधन की ओर से बंदियों को डिजिटल साक्षर बनाने के साथ बेहतर खेती के गुर सिखाने की कोशिश की जा रही है. जेल में E-MITAN कार्यक्रम के तहत कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें जैविक खाद बनाने के साथ धान की बेहतर खेती और फसलों से किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लेने की जानकारी दी गई है.

दंतेवाड़ा: नक्सली गतिविधियों में संलिप्त बंदियों को ई-मितान के तहत जेल में आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रबंधन बंदियों को जेल से कुशल किसान बनाकर बाहर भेजना चाह रहा है. जिससे वे रोजगार के अभाव में फिर से कोई गलत रास्ता न अपनाये.

दंतेवाड़ा जेल में कैदियो को दिया जा रहा खेती किसानी का प्रशिक्षण

प्रबंधन ने बताया कि जेल में बंद कैदियों में 60 प्रतिशत कैदियों पर नक्सलवाद में शामिल होने का आरोप हैं. जेल प्रबंधन का मानना है कि प्रशिक्षण के बाद जेल से बाहर निकलने पर कैदी खेती-किसानी में जुट जाएंगे और लाल आतंक से तौबा कर लेंगे.

जेल पर लगे दाग को मिटाने में लगा प्रबंधन
2007 में बंदियों ने जेल ब्रेक किया था और 2018 में जेल ब्रेक की कोशिश की गई थी. जेल प्रबंधन अब कैदियों के माध्यम से जेल पर लगे इस दाग को मिटाना चाह रहा है. जेल प्रबंधन की ओर से बंदियों को डिजिटल साक्षर बनाने के साथ बेहतर खेती के गुर सिखाने की कोशिश की जा रही है. जेल में E-MITAN कार्यक्रम के तहत कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें जैविक खाद बनाने के साथ धान की बेहतर खेती और फसलों से किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लेने की जानकारी दी गई है.

Intro:अपराधी बन कर आए है, टेकिनिकल किसान बन कर बारह निकलेंगे - ई मितान के माध्यम से बंदी सीख रहे है खेती किसानी के गुर - 95 प्रतिशत बंदी गांव देहात से जुड़े हुए है, इस लिए किसानी भी प्रमुख है - नक्सलवाद का 60 प्रतिशत से अधिक बंदियों पर है आरोप - जेल प्रबंधन का मकसद बेहतर खेती के गुर सीखने के बाद लाल आतंक से तौबा करेंगे - जेल प्रबंधन भी जेल पर लगे दाग इन्ही कैदियों की प्रतिभा से धुलने में जुटा - 2007 बंदियों ने जेल ब्रेक किया और 2018 में जेल ब्रेक का प्रयास किया दंतेवाड़ा। जिला जेल दंतेवाड़ा में अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं। डिजिटल साक्षर बनाने के साथ ही, बंदियों को बेहतर खेती के गुर सिखाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके पीछे जेल प्रबंधन का मकसद साफ है, किसी तरह माओवाद में संलिप्त यहां का आदिवासी लाल आतंक से तौबा करे। जेल में E MITAN कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ये ऐसा शॉफ्टवेयर हैं जिसमे खेती किसानी से जुड़ी पूरी जानकारी है। इसमें जबिक खाद बनान के साथ ही धान की बेहतर खेती और तमाम फसलों को तैयार कर कैसे ज्यादा मुनाफा किसान ले सकता है दी गई है। इसके अलावा कुक्कुट पालन,पशुपालन, मत्स्यपालन, बकरी पालन और सुअर पालन की भी जानकारी दी गई। कैदियों को डिजिटल साक्षर बनाने के साथ खेती के भी गुर सिखाए जा रहे। 2007 में जो दाग इस जेल पर कैदियों ने लगाया अब वही कैदी इन दंगों को धुलने में लगे हुए है। जेल प्रबंधन भी कोई कसर नही छोड़ रहा है।


Body:नक्सलवाद का 60 प्रतिशत से अधिक बंदियों पर है आरोप इस जेल में 739 बंदी है और 2 दंडित बंदी है। 250 कि क्षमता वाली जेल में क्राउड अधिक होने के बाद भी बेहतर प्रयास किए जा रहे। इस जेल पर विशेष नजर इसलिए भी है,60 प्रतिशत से अधिक बंदियों पर माओवाद में संलिप्तता का आरोप है। जेल प्रबंधन का उद्देश्य साफ है कि जब भी यहां से निकले तो पढ़े लिखे हो और स्वालम्बी भी। बंदी लाल आतंक की गलियों को छोड़ कर किसान बने। अपने खेतों में लहलहाती फसलों को तैयार करे। दोबारा उस दल दल में ना जाए।


Conclusion:vis byt जेल अधीक्षक जी एस सोरी
Last Updated : Oct 4, 2019, 1:39 PM IST
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