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नन्ही बेटी ने दी शहीद को मुखाग्नि, पिता ने कहा- 'बेटे की शहादत पर गर्व है'

धमतरी के छिंदभर्री गांव का एक जवान दंतेवाड़ा में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए, जिनका पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया.

नन्ही बेटी ने दी शहीद को मुखाग्नि
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Published : Oct 9, 2019, 11:37 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 11:59 PM IST

दंतेवाड़ा: शहीद अपना फर्ज निभा कर चले जाते हैं, दर्द क्या होता है कोई उनके परिवार से पूछे. धमतरी के कैलाश दंतेवाड़ा में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो मातम छा गया. जब नन्ही बेटी ने मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े. शहीद की देह पर कफन बनकर लिपटे तिरंगे को देखकर लोग फूट-फूटकर कर रो रहे थे.

नन्ही बेटी ने दी शहीद को मुखाग्नि

शहीद कैलाश के पिता भी जहां एक तरफ शहीद बेटे का शव देख रोए जा रहे थे, वहीं शहादत पर गर्व से उनका सिर ऊंचा भी था. पिता का कहना है कि उनके बेटे ने नक्सलियों से लड़ते-लड़ते प्राण न्योछावर कर दिए. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
शहीद को मुखाग्नि

बड़ी बेटी ने दी मुखाग्नि
गांव के सरपंच बताते हैं कि शहीद बेटे कैलाश को छिंदभर्री गांव में उनकी बड़ी बेटी ने मुखाग्नि दी, जिसे ये भी नहीं पता था कि वहां हो क्या रहा है. उसके नन्हे हाथों ने पिता को अंतिम सफर पर विदा किया. सरपंच ने बताया कि 3 महीने पहले ही कैलाश की पोस्टिंग यहां हुई थी.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
शहीद को राजकीय सम्मान

राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार
वहीं एसडीओपी नितीश ठाकुर बताते हैं कि कैलाश नेताम की 6 जनवरी 2012 को दंतेवाड़ा में पोस्टिंग हुई थी. वे पहली सर्चिंग में निकले थे लेकिन नक्सलियों के खिलाफ जाबांजी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए. राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया है.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
फूट-फूटकर कर रो रहे लोग

दंतेवाड़ा: शहीद अपना फर्ज निभा कर चले जाते हैं, दर्द क्या होता है कोई उनके परिवार से पूछे. धमतरी के कैलाश दंतेवाड़ा में हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो मातम छा गया. जब नन्ही बेटी ने मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े. शहीद की देह पर कफन बनकर लिपटे तिरंगे को देखकर लोग फूट-फूटकर कर रो रहे थे.

नन्ही बेटी ने दी शहीद को मुखाग्नि

शहीद कैलाश के पिता भी जहां एक तरफ शहीद बेटे का शव देख रोए जा रहे थे, वहीं शहादत पर गर्व से उनका सिर ऊंचा भी था. पिता का कहना है कि उनके बेटे ने नक्सलियों से लड़ते-लड़ते प्राण न्योछावर कर दिए. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
शहीद को मुखाग्नि

बड़ी बेटी ने दी मुखाग्नि
गांव के सरपंच बताते हैं कि शहीद बेटे कैलाश को छिंदभर्री गांव में उनकी बड़ी बेटी ने मुखाग्नि दी, जिसे ये भी नहीं पता था कि वहां हो क्या रहा है. उसके नन्हे हाथों ने पिता को अंतिम सफर पर विदा किया. सरपंच ने बताया कि 3 महीने पहले ही कैलाश की पोस्टिंग यहां हुई थी.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
शहीद को राजकीय सम्मान

राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार
वहीं एसडीओपी नितीश ठाकुर बताते हैं कि कैलाश नेताम की 6 जनवरी 2012 को दंतेवाड़ा में पोस्टिंग हुई थी. वे पहली सर्चिंग में निकले थे लेकिन नक्सलियों के खिलाफ जाबांजी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए. राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया है.

Police personnel given god of honor to martyr in dantewada
फूट-फूटकर कर रो रहे लोग
Intro:दंतेवाड़ा के कटेकल्याण में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए जवान कैलाश नेताम के पार्थिव शरीर को उनके गृहग्राम छिंदभर्री लाया गया.गमगीन माहौल के बीच पुलिस जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.वही उनके शव को उनकी बड़ी बेटी ने मुखाग्नि दी.इस बीच वहां मौजूद परिजनों सहित ग्रामीणों के आंखों से आंसू छलक आए.

Body:शहीद कैलाश नेताम धमतरी जिले का रहने वाला था.केरेगांव थाना क्षेत्र के छिंदभर्री गाँव में रहने वाले कैलाश पहले दंतेवाड़ा में सहायक आरक्षक के पद पदस्थ था.वही काफी वक्त तक विधायक देवती कर्मा के फॉलोगार्ड में सेवाएं दे रहे थे और 3 महीने पहले उन्हें डीआरजी की टीम में शामिल किया गया था. शे दंतेवाड़ा में ही पदस्थ रहा.8 अक्टूबर को वह अपनी पहली सर्चिंग में निकला था.इस बीच पुलिस और नक्सलियों में मुठभेड़ हो गई.जहाँ नक्सलियों के खिलाफ जाबांजी से लड़ते हुए कैलाश वीरगति को प्राप्त हो गया.

आपको बता दे कि कैलाश का भरा पूरा परिवार है घर मे पत्नी,दो बेटियाँ,भाई और माँ-बाप ,दादी,चाचा-चाची,बुआ-फूफा रहते है.बताया जा रहा है कि कैलाश की पहली पोस्टिंग 6 जनवरी 2012 को दंतेवाड़ा में ही हुई थी.पिछले अगस्त महीने में वह अपने घर आया था लेकिन एक दिन रहने के बाद चला गया.इस बीच घर में उनकी बातचीत होती रहती थी.

Conclusion:शहीद कैलाश की चिता को उसकी बड़ी बेटी ने मुखाग्नि दी.कैलाश की शहादत पर एक तरफ उनके परिवार को और पूरे गाव को दुख है तो वही फख्र भी है.इधर अंतिम संस्कार के दौरान नगरी एसडीओपी सहित पुलिस के अधिकारी मौजूद रहे.

बाईट_01 ईश्वर नागवंशी,परिजन
बाईट_02 ज्वाला प्रसाद मंडावी,सरपंच
बाईट_03 नितीश ठाकुर,एसडीओपी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
Last Updated : Oct 9, 2019, 11:59 PM IST
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