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अब मछली पालन की बायोफ्लाॅक तकनीक से किसान होंगे आत्मनिर्भर

दंतेवाड़ा (Dantewada) में कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) द्वारा किसानों (Farmer) को मछली पालन (fish farming ) की नयी बायोफ्लाॅक तकनीक (Bioflak technology) सीखाई जा रही है. बताया जा रहा है कि इस प्रणाली से मछली पालन कर किसान आत्मनिर्भर (self sufficient) होंगे.

Bioflak technology of fish farming
मछली पालन की बायोफ्लाॅक तकनीक
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Published : Nov 11, 2021, 11:41 AM IST

दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा कृषि विज्ञान केंद्र (Dantewada Krishi Vigyan Kendra) गीदम (Gidam) में किसानों (Farmer) की आय को बढ़ाने को लेकर विभिन्न प्रकार के उपाय किए जा रहे हैं. जिसके तहत कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) में डॉक्टर नारायण साहू (Dr. Narayan Sahu)की टीम द्वारा किसानों को कडकनाथ की ब्रिडिंग इकाई से प्राप्त अण्डे को मशीन के द्वारा हेचिंग करना, बु्रडर में चूजों का रखरखाव तथा बु्रडर से प्रक्षेत्र में शिप्टिंग की जानकारी दी जा रही है.

कम खर्च में होगा मछली पालन

साथ ही किसानों को बटेर और बतख पालन इकाई का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा किसानों की आय को बनाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से अब नई तकनीक के द्वारा किसानों को कम खर्च में मछली पालन की नवीनतम प्रणाली बायोफ्लाॅक तकनीक (Bioflak technology) से देशी मांगुर, तिलापिया एवं फंगास किस्म के मछली पालन (fish farming )की जानकारी दी जा रही है.

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यूं होता है मछली पालन

दरअसल इसकी खासियत यह है कि इसे गोलाकार गिरे में पानी भरकर मछलियों को पाला जा सकता है, जो कम समय में अधिक उत्पादन देती है, जिससे समय भी कम लगता है. मछलियों को ज्यादा उत्पादन होता है, जिससे किसानों के आमदनी बढ़ाने के लिये सशक्त माध्यम है.

बढ़-चढ़ कर किसान ले रहे हिस्सा

बता दें कि अंदरूनी क्षेत्र के किसान इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही मछली पालन करने की नई तकनीक सीख रहे हैं, जिससे आने वाले समय में उन्हें कम जगह में मछली पालन कर अच्छी खासी आमदनी होगी. जिसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा उन्हें बीज नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा है.

दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा कृषि विज्ञान केंद्र (Dantewada Krishi Vigyan Kendra) गीदम (Gidam) में किसानों (Farmer) की आय को बढ़ाने को लेकर विभिन्न प्रकार के उपाय किए जा रहे हैं. जिसके तहत कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) में डॉक्टर नारायण साहू (Dr. Narayan Sahu)की टीम द्वारा किसानों को कडकनाथ की ब्रिडिंग इकाई से प्राप्त अण्डे को मशीन के द्वारा हेचिंग करना, बु्रडर में चूजों का रखरखाव तथा बु्रडर से प्रक्षेत्र में शिप्टिंग की जानकारी दी जा रही है.

कम खर्च में होगा मछली पालन

साथ ही किसानों को बटेर और बतख पालन इकाई का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा किसानों की आय को बनाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से अब नई तकनीक के द्वारा किसानों को कम खर्च में मछली पालन की नवीनतम प्रणाली बायोफ्लाॅक तकनीक (Bioflak technology) से देशी मांगुर, तिलापिया एवं फंगास किस्म के मछली पालन (fish farming )की जानकारी दी जा रही है.

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यूं होता है मछली पालन

दरअसल इसकी खासियत यह है कि इसे गोलाकार गिरे में पानी भरकर मछलियों को पाला जा सकता है, जो कम समय में अधिक उत्पादन देती है, जिससे समय भी कम लगता है. मछलियों को ज्यादा उत्पादन होता है, जिससे किसानों के आमदनी बढ़ाने के लिये सशक्त माध्यम है.

बढ़-चढ़ कर किसान ले रहे हिस्सा

बता दें कि अंदरूनी क्षेत्र के किसान इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही मछली पालन करने की नई तकनीक सीख रहे हैं, जिससे आने वाले समय में उन्हें कम जगह में मछली पालन कर अच्छी खासी आमदनी होगी. जिसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा उन्हें बीज नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा है.

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