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Lone Varratu campaign in Dantewada: दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू के तहत तीन नक्सलियों ने छोड़ी हिंसा की राह - What is Lone Verratu Campaign

Naxalites surrendered in Dantewada: दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान के तहत नक्सलियों का आत्मसमर्पण जारी है. तीन और नक्सलियों ने सरेंडर किया है.

Lone Varratu campaign in Dantewada
दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान
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Published : Mar 15, 2022, 10:49 AM IST

Updated : Mar 15, 2022, 6:48 PM IST

दंतेवाड़ा: लोन वर्राटू कैंपेन के तहत तीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सरेंडर नक्सलियों में दो महिला और एक पुरुष शामिल है. लोन वर्राटू अभियान (Lone Varratu campaign in Dantewada ) से प्रेरित होकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. समर्पित नक्सलियों में सीएनएम सदस्य जोगी कलमूमी, भीमे कुंजाम और बामन राम मंडावी शामिल है.

दंतेवाड़ा में तीन नक्सलियों का सरेंडर (Surrender of three naxalites in Dantewada)

दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि 'आत्म समर्पित नक्सली बामन राम मंडावी मलांगिर एरिया कमेटी अंतर्गत जबेली पंचायत में मिलिशिया सदस्य के रूप में काम कर रहा था, जबकि जोगी और भीमे दोनों जबेली पंचायत के रहने वाले हैं. इन्होंने मुख्यधारा में जुड़कर अच्छा जीवन व्यतीत करने की इच्छा जताई थी. समर्पित नक्सलियों के ऊपर जिले के अलग-अलग थानों में कई मामले दर्ज हैं.


नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए दंतेवाड़ा प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब है 'आओ घर लौट चलें'. यह अभियान काफी सफल हो रहा है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 516 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिनमें 127 इनामी नक्सली हैं.

Major Naxalite attacks in Bastar 2021: साल 2021 की बड़ी नक्सली घटनाएं, लाल आतंक से बस्तर की धरती हुई लाल !


क्या है लोन वर्राटू अभियान (What is Lone Verratu Campaign)

लोन वर्राटू गोंडी शब्द है. इसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं, उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

लोन वर्राटू अभियान की खास बातें (Highlights of Lone Verratu Campaign)

  • इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस -प्रशासन तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
  • सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
  • सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
  • यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
  • इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
  • लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.

दंतेवाड़ा: लोन वर्राटू कैंपेन के तहत तीन नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सरेंडर नक्सलियों में दो महिला और एक पुरुष शामिल है. लोन वर्राटू अभियान (Lone Varratu campaign in Dantewada ) से प्रेरित होकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. समर्पित नक्सलियों में सीएनएम सदस्य जोगी कलमूमी, भीमे कुंजाम और बामन राम मंडावी शामिल है.

दंतेवाड़ा में तीन नक्सलियों का सरेंडर (Surrender of three naxalites in Dantewada)

दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि 'आत्म समर्पित नक्सली बामन राम मंडावी मलांगिर एरिया कमेटी अंतर्गत जबेली पंचायत में मिलिशिया सदस्य के रूप में काम कर रहा था, जबकि जोगी और भीमे दोनों जबेली पंचायत के रहने वाले हैं. इन्होंने मुख्यधारा में जुड़कर अच्छा जीवन व्यतीत करने की इच्छा जताई थी. समर्पित नक्सलियों के ऊपर जिले के अलग-अलग थानों में कई मामले दर्ज हैं.


नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए दंतेवाड़ा प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब है 'आओ घर लौट चलें'. यह अभियान काफी सफल हो रहा है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 516 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिनमें 127 इनामी नक्सली हैं.

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क्या है लोन वर्राटू अभियान (What is Lone Verratu Campaign)

लोन वर्राटू गोंडी शब्द है. इसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं, उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

लोन वर्राटू अभियान की खास बातें (Highlights of Lone Verratu Campaign)

  • इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस -प्रशासन तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
  • सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
  • सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
  • यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
  • इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
  • लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.
Last Updated : Mar 15, 2022, 6:48 PM IST
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