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दंतेवाड़ाः 3 इनामी समेत 13 नक्सलियों ने किया सरेंडर

दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. यहां पुलिस के समक्ष 3 इनामी समेत 13 नक्सलियों ने सरेंडर किया है.

Bhumkal day is being celebrated in Dantewada
भूमकाल दिवस
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Published : Feb 10, 2021, 3:49 PM IST

Updated : Feb 10, 2021, 4:33 PM IST

दंतेवाड़ाः नक्सल मोर्चे पर दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस के समक्ष 3 इनामी समेत 13 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर अब तक 310 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. जिसमें 77 नक्सली इनामी हैं.

भूमकाल दिवस पर नक्सलियों ने किया सरेंडर

नक्सली कर रहे आत्मसमर्पण
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि भूमकाल दिवस के मौके पर लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर तीन इनामी सहित 13 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. भूमकाल के दिन इतनी बड़ी संख्या में नक्सली अपनी खोखली विचारधारा से तंग आकर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर रहे हैं.

-भूमकाल दिवस से पहले नक्सलियों ने पर्चे फेंककर की आगजनी

भूमकाल दिवस

बस्तर में शहीद गुण्डाधुर के बलिदान दिवस के रूप में हर साल सर्व आदिवासी समाज 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाता है. देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बस्तर में संघर्ष का शंखनाद करते हुए भूमकाल की शुरुआत की गई थी. भूमकाल यानी जमीन से जुड़े लोगों का आंदोलन, जिसमें भूमकाल के महानायक शहीद गुण्डाधुर, डेबरीधूर और अन्य क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया था.'

दंतेवाड़ाः नक्सल मोर्चे पर दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस के समक्ष 3 इनामी समेत 13 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर अब तक 310 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. जिसमें 77 नक्सली इनामी हैं.

भूमकाल दिवस पर नक्सलियों ने किया सरेंडर

नक्सली कर रहे आत्मसमर्पण
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि भूमकाल दिवस के मौके पर लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर तीन इनामी सहित 13 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. भूमकाल के दिन इतनी बड़ी संख्या में नक्सली अपनी खोखली विचारधारा से तंग आकर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर रहे हैं.

-भूमकाल दिवस से पहले नक्सलियों ने पर्चे फेंककर की आगजनी

भूमकाल दिवस

बस्तर में शहीद गुण्डाधुर के बलिदान दिवस के रूप में हर साल सर्व आदिवासी समाज 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाता है. देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बस्तर में संघर्ष का शंखनाद करते हुए भूमकाल की शुरुआत की गई थी. भूमकाल यानी जमीन से जुड़े लोगों का आंदोलन, जिसमें भूमकाल के महानायक शहीद गुण्डाधुर, डेबरीधूर और अन्य क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया था.'

Last Updated : Feb 10, 2021, 4:33 PM IST
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