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दंतेवाड़ा: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने की पहल, गांव-गांव में दी जाएगी जानकारी

दंतेवाड़ा में कुपोषण से मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है. कलेक्टर ने अभियान के लिए निकली गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. गाड़ी के माध्यम से गांव-गांव में प्रचार और इलाज किया जाएगा. लोगों को कुपोषण की जानकारियां दी जाएंगी.

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मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने की पहल
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Published : Dec 11, 2020, 12:42 AM IST

दंतेवाड़ा: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और यूनिसेफ ने बीड़ा उठाया है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान राज्य और देश में पहला ऐसा एमओयू है, जिससे गांव की दीदीयों और बुजुर्ग महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति मिलेगी. क्षेत्रीय बोली में अभियान का नाम 'बापी न उवाट' (दादी के नुस्खे) रखा गया है. कलेक्टर ने प्रचार-प्रसार के लिए गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. गाड़ी के माध्यम से गांव-गांव में प्रचार किया जा सकेगा.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने की पहल

अंदरूनी क्षेत्रों के गांव-गांव में अभियान चलाया जाएगा. शासन-प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है. अभियान का नाम 'बापी न उवाट' रखा गया है. पुराने समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार घर में रहने वाली बड़े बुजुर्ग दादी हैं. इसलिए इस अभियान का नाम 'दादी के नुस्खे' रखा गया है. इस अभियान के तहत अनेक प्रकार की बीमारियों से निजात मिलेगी.

पढ़ें: बस्तर: 8 महीने में 300 नवजातों ने तोड़ा दम, कुपोषण और मांओं की कमजोर सेहत बड़ी वजह

कुपोषण को मिटाने की जानकारी

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. अभियान के बारे में 143 ग्राम पंचायतों के देवगुडि़यों को कुपोषण को मिटाने की जानकारी दी जाएगी. अच्छी आदतों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के बारे में समझाया जाएगा. देवगुड़ी के सात सूत्रीय शपथ में कुपोषण मुक्त गांव बनाना भी शामिल है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना संकट से सुपोषण अभियान को झटका, 20 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित

'बापी' धरातल पर उतरकर करेंगी अपना कार्य

इस अभियान को जन सहभागिता और सभी के सामूहिक प्रयास से सफल बनाया जा सकेगा. जिला प्रशासन और यूनिसेफ महिला बाल विकास विभाग के कार्यकर्ता साथ मिलकर कार्य करेंगे. प्रशिक्षण के बाद 'बापी' मतलब 'दादी' धरातल पर उतरकर अपना कार्य करेंगी. जिले को कुपोषण मुक्त बनाकर ही दम लेंगी. इनमें से जो 'बापी' या दीदी बेहतर काम करेंगी, उन्हें जिला प्रशासन सम्मानित करेगा.

दंतेवाड़ा: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और यूनिसेफ ने बीड़ा उठाया है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान राज्य और देश में पहला ऐसा एमओयू है, जिससे गांव की दीदीयों और बुजुर्ग महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति मिलेगी. क्षेत्रीय बोली में अभियान का नाम 'बापी न उवाट' (दादी के नुस्खे) रखा गया है. कलेक्टर ने प्रचार-प्रसार के लिए गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. गाड़ी के माध्यम से गांव-गांव में प्रचार किया जा सकेगा.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सफल बनाने की पहल

अंदरूनी क्षेत्रों के गांव-गांव में अभियान चलाया जाएगा. शासन-प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है. अभियान का नाम 'बापी न उवाट' रखा गया है. पुराने समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार घर में रहने वाली बड़े बुजुर्ग दादी हैं. इसलिए इस अभियान का नाम 'दादी के नुस्खे' रखा गया है. इस अभियान के तहत अनेक प्रकार की बीमारियों से निजात मिलेगी.

पढ़ें: बस्तर: 8 महीने में 300 नवजातों ने तोड़ा दम, कुपोषण और मांओं की कमजोर सेहत बड़ी वजह

कुपोषण को मिटाने की जानकारी

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. अभियान के बारे में 143 ग्राम पंचायतों के देवगुडि़यों को कुपोषण को मिटाने की जानकारी दी जाएगी. अच्छी आदतों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के बारे में समझाया जाएगा. देवगुड़ी के सात सूत्रीय शपथ में कुपोषण मुक्त गांव बनाना भी शामिल है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना संकट से सुपोषण अभियान को झटका, 20 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित

'बापी' धरातल पर उतरकर करेंगी अपना कार्य

इस अभियान को जन सहभागिता और सभी के सामूहिक प्रयास से सफल बनाया जा सकेगा. जिला प्रशासन और यूनिसेफ महिला बाल विकास विभाग के कार्यकर्ता साथ मिलकर कार्य करेंगे. प्रशिक्षण के बाद 'बापी' मतलब 'दादी' धरातल पर उतरकर अपना कार्य करेंगी. जिले को कुपोषण मुक्त बनाकर ही दम लेंगी. इनमें से जो 'बापी' या दीदी बेहतर काम करेंगी, उन्हें जिला प्रशासन सम्मानित करेगा.

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